कांग्रेस के हमलों को न्यूट्रलाइज करने में कैसे थर्ड पार्टी बन रही BJP की मददगार
बीस साल बाद बीजेपी आक्रामक है. कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है. तीस्ता सीतलवाड़ और अहमद पटेल के बहाने बीजेपी समझा रही है कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से पुरानी दुश्मनी है - और ये सब मॉनसून सेशन (Monsoon Session) शुरू होने से पहले हो रहा है.
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देश की राजनीति में हाल फिलहाल जो कुछ भी चल रहा है, बेशक नजर 2024 के आम चुनाव पर होगी - लेकिन अभी सभी का सारा फोकस मॉनसून सेशन पर ही लगता है. आने वाले विधानसभा चुनाव भी रणनीति का निश्चित तौर पर हिस्सा होंगे, लेकिन कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि कैसे केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को संसद के मॉनसून सेशन में कठघरे में खड़ा किया जाये? और बीजेपी कांग्रेस की ऐसी हर कोशिश को पहले ही खत्म कर देना चाहती है.
वैसे तो ये लड़ाई सीधे सीधे सत्ता पक्ष और विपक्ष की है, यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ लेकिन चीजें उतनी सीधी और सरल भी तो नहीं हैं. सत्ता पक्ष में बीजेपी के साथ एनडीए के साथी भी हैं. कुछ घोषित तौर पर साथ न रहते हुए भी साथ खड़े रहते हैं - और द्रौपदी मूर्मू के मैदान में आ जाने के बाद तो ये घालमेल और भी ज्यादा बढ़ गया है.
विपक्षी खेमे में सूत्रधार तो कांग्रेस ही रहती है, या बने रहने की कोशिश रहती है. कभी ममता बनर्जी तो कभी शरद पवार और अभी केसीआर यीनी के चंद्रशेखर राव भी वैसी ही भूमिका में खुद को पेश करने की कोशिश करते आ रहे हैं.
मॉनसून सेशन (Monsoon Session) से पहले केसीआर ने विपक्ष के कई नेताओं को नये सिरे से फोन किया है. केसीआर सत्ता पक्ष को मॉनसून सेशन में घेरने की तैयारी कर रहे हैं - और कह रहे हैं ये आगे भी जारी रहेगा.
विपक्ष की एक और साझा कोशिश: अब तक तो यही देखने को मिला है कि विपक्ष के लिए एकजुट होना मुश्किल नहीं नामुमकिन होता जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव प्रत्यक्ष उदाहरण है. विपक्ष ने उम्मीदवार तो एक ही खड़ा किया, लेकिन धीरे धीरे ज्यादातर बीजेपी की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सपोर्ट में जा खड़े हुए.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने संसद के मॉनसून सत्र में सभी विपक्षी दलों को एकमंच पर आकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने की अपील की है. केसीआर ने इसके लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, एनसीपी नेता शरद पवार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव सहित विपक्षी दलों के और भी नेताओं से बात की है.
लेकिन मोटे तौर पर देखें तो आखिरकार ये लड़ाई कांग्रेस बनाम बीजेपी ही समझ में आती है. मतलब, सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) बनाम नरेंद्र मोदी कांग्रेस की तरफ से बीजेपी को घेरने की तरह तरह से कोशिशें हो रही हैं - और बीजेपी की तरफ से उसका काउंटर या एहतियाती अटैक किये जा रहे हैं.
लड़ाई में जिसे जो मुद्दा तगड़ा समझ में आ रहा है, खुल कर उसके साथ खेलने की कोशिश कर रहा है. कांग्रेस डॉलर के मुकाबले रुपये की ताजा स्थिति पर सोशल मीडिया कैंपेन चला रही है, तो बीजेपी के लिए थर्ड पार्टियां ऐसे हमलों को न्यूट्रलाइज करने में मददगार बन रही हैं - हामिद अंसारी से लेकर तीस्ता सीतलवाड़ के मामले मिसाल ही तो हैं.
ये थर्ड पार्टी कौन है?
थर्ड पार्टी कोई एक नहीं है. ये एक समूह बन गया है. जैसे पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी के केस में वो पाकिस्तानी पत्रकार - और तीस्ता सीतलवाड़ या गांधी परिवार से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के मामले में अदालतों के आदेश.
सोनिया गांधी बीजेपी के निशाने पर हैं ताकि मॉनसून सेशन में कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करने से परहेज करे!
बीजेपी इन थर्ड पार्टी राजनीतिक कवच के तौर पर इस्तेमाल करने लगी है. सबकी अपनी अपनी और महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसा भी नहीं कि सिर्फ बीजेपी ऐसा कर रही है, कांग्रेस की तरफ से भी वैसा ही इस्तेमाल हो रहा है - लेकिन ये तो राजनीतिक कौशल की बात है कि कौन किस चीज का कितने असरदार तरीके से इस्तेमाल कर सकता है?
एक पाकिस्तानी कॉलमनिस्ट के दावे के चलते पूर्व उपराष्ट्रपति हामित अंसारी सवालों के घेरे में आ जाते हैं. हालांकि, पाकिस्तानी पत्रकार खुद भी सवालों के घेरे में रहा है - लेकिन राजनीति में तो ये सब करने के लिए बस छौंका लगाने की जरूरत होती है. पाकिस्तानी पत्रकार की भूमिका का राजनीतिक इस्तेमाल हो जाता है. बाकी बहस अलग से होती रहेगी.
देखा जाये तो बीजेपी के निशाने पर हामिद अंसारी लगते जरूर हैं, लेकिन असली टारगेट तो सोनिया गांधी हैं. तीस्ता सीतलवाड़ के मामले में भी बिलकुल ऐसा ही है. और एसआईटी के हलफनामे से आरोपों को मजबूत करने के लिए अहमद पटेल का नाम भी मिल गया है.
सबसे बड़ा फायदा ये है कि इन टूल्स के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस, बीजेपी पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल का इल्जाम भी नहीं लगा सकती. तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ एसआईटी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच कर रही है.
प्रवर्तन निदेशालय भी अदालत के आदेश पर ही जांच कर रहा है. राहुल गांधी से पूछताछ हो चुकी है. सोनिया गांधी से अभी होनी है. जाहिर है जांच पड़ताल के बाद ईडी की तरफ से रिपोर्ट कोर्ट में दिये ही जाएंगे - और उससे निकल कर जो आएगा उस पर भी राजनीति वैसे ही होगी जैसे तीस्ता के मामले में गुजरात एसआईटी की रिपोर्ट पर हो रहा है.
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम
कांग्रेस भी बीजेपी के खिलाफ ताबड़तोड़ आक्रामक मुहिम चला रही है. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को लेकर भी कांग्रेस हमलावर है और उदयपुर में हुई हत्या के आरोपियों के बीजेपी नेताओं के साथ हाथ लगी तस्वीरों के जरिये भी.
बीजेपी नेताओं का हत्यारों से कैसा कनेक्शन: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना काम तो कर ही दिया था. उदयपुर में कन्हैयालाल साहू के हत्यारों को फौरन गिरफ्तार करके. लिहाजा अब बीजेपी के खिलाफ खुल कर खेलने लगे हैं.
पत्रकारों से बातचीत में अशोक गहलोत का कहना है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के आरोपियों की बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरें सामने आई हैं और पार्टी को इस पर जवाब देना चाहिये. ये NIA के लिए भी जांच का विषय है कि किस हद तक उनका कनेक्शन था, कितना कर्मठ कार्यकर्ता था?
एक पुराने मामले का जिक्र कर अशोक गहलोत किस्सा सुनाते हैं. कहते हैं जब थाने में आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हो रहा था तभी किसी बीजेपी नेता का फोन आ गया. कोई बीजेपी नेता थे. पुलिस से कहने लगे - ये हमारे कार्यकर्ता हैं, तंग मत करो.
फिर सवाल उठाते हुए अशोक गहलोत कहते हैं, मतलब, वो उनके संपर्क में रहा... कितना संपर्क में रहा है? किस हद तक उनकी दोस्ती थी? सदस्यता थी? कितना कर्मठ उनका कार्यकर्ता था? किस रूप में था? ये तो NIA ही पता लगा सकती है.
रुपया क्यों गिर रहा है: कांग्रेस डॉलर के मुकाबले रुपये के घटते मूल्य को लेकर भी बीजेपी सरकार पर हमलावर है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस की तरफ से कैंपेन चलाया जा रहा है - #अबकी_बार_80_पार. कैंपेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले के बयानों के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
PM Modi, do you still stand by your words? #अबकी_बार_80_पार pic.twitter.com/F00YvPYWzd
— Congress (@INCIndia) July 15, 2022
असंसदीय शब्द और धरने पर पाबंदी: कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश खासे एक्टिव हैं. असंसदीय शब्दों को लेकर तो बीजेपी को घेरा ही, धरने पर रोक को लेकर आदेश की कॉपी के साथ भी सवाल पूछे - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'विषगुरु' कह कर संबोधित करने लगे हैं.
असंसदीय शब्दों पर लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला ने खुद आगे आकर सफाई दी है. सवाल उठाने पर कांग्रेस नेताओं को शब्दों की सूची ठीक से पढ़ लेने की नसीहत भी दी है - और धरने पर रोक को लेकर भी बीजेपी की तरफ से पुराने आदेश की कॉपी पेश कर दी जाती है.
Answers to @Jairam_Ramesh &his @INCIndia party who tweeted earlier calling #VishGuru names! The 'VISH-GURU' gives it back to you! 'Nectar for Venom' delivered through @amitmalviya.The 'venom suppliers' & CREATORS of the alleged VISH-GURU are Congress &its #Gandhis themselves! https://t.co/UZjdvSzUuy
— C. Chandramouli (@cchandramouli1) July 15, 2022
बीजेपी की तरफ से आक्रामक पलटवार
सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय के सामने 21 जुलाई को पेश होना है. कांग्रेस नेता से पूछताछ शुरू होने से पहले ही बीजेपी ने ताजा ताजा मिले बहाने के जरिये धावा बोल दिया है - आरोप है कि मोदी के खिलाफ गुजरात में तीस्ता सीतलवाड़ तो सिर्फ चेहरा थीं, असली भूमिका तो सोनिया गांधी की रही.
तीस्ता पर निगाहें, सोनिया पर निशाना: बीजेपी की तरफ से सोनिया गांधी पर हमले के लिए तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर आयी एसआईटी की रिपोर्ट को उछाला जा रहा है. बीजेपी प्रवक्ता लगे हाथ यूपीए सरकार के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ को मिले पद्मश्री पुरस्कार की भी बार बार याद दिला रहे हैं.
गुजरात सरकार की SIT ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ असल में राजनीति में आना चाहती थीं. एसआईटी ने ये दावा एक गवाह के हवाले से किया है. एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक, तीस्ता सीतलवाड़ ने एक नेता से कहा था कि अगर शबाना आजमी और जावेद अख्तर को राज्य सभा सांसद बनाया जा सकता है तो मुझे क्यों नहीं? रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ तब कांग्रेस नेता रहे अहमद पटेल के साथ मिलकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार गिराने के लिए साजिश रच रही थीं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बाकायदा बयान जारी कर ऐसे आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है. साथ ही 2002 के गुजरात दंगों की याद दिलाते हुए, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से मोदी को राजधर्म की याद दिलाये जाने का भी खास तौर पर जिक्र किया है. जयराम रमेश का कहना है, 'हम जानते हैं कि कैसे एक पूर्व एसआईटी प्रमुख को मुख्यमंत्री को क्लीन चिट देने के बाद पुरस्कृत किया गया था.'
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर कहा है कि गुजरात सरकार को अस्थिर करने की मंशा से कांग्रेस ने तीस्ता सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये दिये थे - और ये सब अहमद पटेल के कहने पर हुआ था.
और फिर सोनिया गांधी पर संबित पात्रा सीधा हमला बोल देते हैं, 'नाम अहमद पटेल का और काम सोनिया जी का था... अहमद पटेल तो बस एक जरिया थे... असली षडयंत्र की रचयिता सोनिया गांधी थीं.'
अहमद पटेल का नाम आने पर उनकी बेटी मुमताज पटेल का भी बयान आया है. ट्विटर पर मुमताज पटेल ने लिखा है, मुझे लगता है उनके नाम में अब भी वजन है... तभी तो विपक्ष की छवि खराब करने और राजनीतिक फायदे के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है... 2020 तक आखिर इस सरकार ने इतने बड़े साजिश की जांच क्यों नहीं करवाई?'
I guess his name @ahmedpatel still holds weight to be used for political conspiracies to malign d opposition.Why during UPA years @TeestaSetalvad was not rewarded & made Rajya sabha membr & why the center uptil 2020 did not prosecute my father for hatching such a big conspiracy ?
— Mumtaz Patel (@mumtazpatels) July 16, 2022
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