सोनिया गांधी पर बैकफायर करने लगा गुजरात दंगा केस - वक्त का खेल नहीं तो क्या है?
ED की मुश्किलें अभी खत्म भी नहीं हुईं कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के सामने नयी मुसीबत आ खड़ी हुई है - गुजरात चुनाव (Gujarat Election 2022) से पहले तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) की गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी जिस तरह से आक्रामक है, कांग्रेस के लिए बचाव करना कठिन है.
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तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) अब तक गुजरात के दंगा पीड़ितों के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ती रही हैं. अब तीस्ता सीतलवाड़ को अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी है. आगे की जांच पड़ताल और ट्रायल के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को सजा सुनायी जाती है या बरी कर दिया जाता है - होगा तो इंसाफ ही.
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात केस में एसआईटी के फैसले पर मुहर लगाते हुए साफ तौर पर कहा है कि ऐसे तमाम लोग, जिन लोगों ने केस के साथ खिलवाड़ किया, जिन लोगों ने साजिश रची उनको भी कानून के मुताबिक कोर्ट के सामने आना होगा - और कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बाकियों को भी क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी के फैसले को चैलेंज करने वाली जकिया जाफरी की वो याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें एसआईटी ने मोदी और अन्य को बेकसूर करार दिया था.
अदालत का फैसला आने के बाद गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लेने के साथ ही मामले से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर जकिया जाफरी को बरगलाने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है. जकिया जाफरी कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं, जिनकी गुजरात दंगों के दौरान ही मारे गये थे.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और छानबीन की जरूरत है - क्योंकि तीस्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का गोपनीय तरीके से अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही थीं. तीस्ता सीतलवाड़ केस के अंदर तक इसलिए लगातार घुसी रहीं क्योंकि जकिया जाफरी ही मामले की असली पीड़ित हैं.
गुजरात सरकार की दलीलों और एसआईटी की रिपोर्ट के हवाले से सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ के पिछले रिकॉर्ड और भूमिका का जिक्र भी किया है - और पाया है कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने हित के लिए केस में बदले की भावना से दिलचस्पी ले रही थीं. वो जकिया जाफरी की मदद के बहाने अपने मनमाफिक चीजों को गढ़ भी रही थीं.
अदालत की टिप्पणी के बाद तीस्ता सीतलवाड़ खुद तो फंसी ही, लगे हाथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को भी लपेटे में ले लिया है - और देखते ही देखते बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा सीधे सीधे मामले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से जोड़ दे रहे हैं.
ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जब गुजरात में विधानसभा के लिए चुनाव (Gujarat Election 2022) होने हैं - और प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ शुरू होने से पहले तक राहुल गांधी चुनावों की तैयारियों में जुटे हुए थे. प्रवर्तन निदेशालय पांच दिन में राहुल गांधी से 50 घंटे से ज्यादा पूछताछ कर चुका है.
राहुल गांधी के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से भी प्रवर्तन निदेशालय को पूछताछ करनी है. पहले ईडी ने सोनिया गांधी को 8 जून को बुलाया था, लेकिन कोविड संक्रमण के दौरान तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, लिहाजा 23 जून की नयी तारीख मिली थी. अब सोनिया गांधी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर वापस आ चुकी हैं - और प्रवर्तन निदेशालय ने जुलाई के आखिर में पूछताछ के लिए पेश होने को बोला है.
ये 2002 के गुजरात दंगों का ही मामला है जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ही अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी क्लीन चिट मिल जाने के बाद मान कर चलना चाहिये कि बीजेपी को गुजरात चुनाव में हद से ज्यादा फायदा हो सकता है. फायदे का आकलन आप नतीजे आने से पहले ही जीत के तौर पर भी समझ सकते हैं - और सिर्फ गुजरात ही क्यों आगे के चुनावों में भी बीजेपी के हमलों से कांग्रेस के लिए बचना काफी मुश्किल होगा.
सीतलवाड़ और कांग्रेस के कैसे रिश्ते की बात हो रही है?
अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने जो एफआईआर दर्ज किया है, उसमें तीस्ता सीतलवाड़ के साथ साथ दो पूर्व आईपीएस अधिकारियों का भी नाम है. आरोप है कि दोनों पुलिस अफसरं के साथ मिलकर तीस्ता सीतलवाड़ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी के खिलाफ साजिश रची थी.
राजनीति में कभी कभी किसी मुद्दे पर यू-टर्न का रास्ता नजर नहीं आता - तीस्ता सीतलवाड़ के कानूनी घेरे में आने के बाद कांग्रेस नेतृत्व की हालत भी वैसी ही हो गयी है
तीस्ता सीतलवाड़ के साथ साथ पूर्व पुलिस अधिकारियों के भी कांग्रेस से कनेक्शन होने का इल्जाम है. बीजेपी ने तीस्ता सीतलवाड़ और कांग्रेस नेताओं के रिश्तों को लेकर कई सवाल खड़े किये हैं - और बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा कह रहे हैं कि ये सब मोदी के खिलाफ मुहिम चलाने और देश को बदनाम करने के मकसद से किया गया था.
कांग्रेस नेताओं के संपर्क में रहे पुलिस अफसर: गुजरात दंगा केस को लेकर अब ये बात भी सामने आ रही है कि पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट गुजरात में तब के बड़े कांग्रेस नेताओं के संपर्क में रहे. ऐसे नेताओं में गुजरात विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष शक्तिसिंह गोहिल और तभी के गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया के नाम का जिक्र तमाम मीडिया रिपोर्ट में नजर आ रहा है. आरोप है कि कांग्रेस नेता संजीव भट्ट के लिए तमाम तरीकों से मददगार बने रहे.
तीस्ता के बहाने निशाने पर सोनिया गांधी: बीजेपी सोनिया गांधी के नेशनल एडवाइजरी काउंसिल में तीस्ता सीतलवाड़ को सदस्य बनाये जाने को लेकर भी सवाल उठा ही रही है. मतलब, गुजरात कांग्रेस के नेताओं से लेकर सोनिया गांधी तक से तीस्ता सीतलवाड़ के संबंध तक कठघरे में खड़ा करने का बीजेपी को मौका मिल गया है.
बीजेपी का ये भी आरोप है कि तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ को कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में 1.4 करोड़ का ग्रांट मिला था - और इसे बीजेपी मोदी को बदनाम करने के लिए अभियान चलाने के तौर पर पेश कर रही है.
2002 में ही तीस्ता सीतलवाड़ ने अपना एनजीओ शुरू किया था सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस. गुजरात दंगों में मारे गये अपने पति एहसान जाफरी को इंसाफ दिलाने के लिए जकिया जाफरी की लड़ाई में तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने मदद की थी - और अब मदद के मकसद पर ही सवाल उठ रहे हैं.
कांग्रेस से तीस्ता सीतलवाड़ के संबंधों को जोड़ने के क्रम में बीजेपी 2002 में उनको दिये गये राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार पर भी सवाल उठा रही है - और सवालों के घेरे में 2007 में तीस्ता सीतलवाड़ को मिला पद्मश्री सम्मान भी आ जाता है.
गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ को मुंबई से और पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार क अहमदाबाद से हिरासत में लिया तो इसरो के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायण की भी प्रतिक्रिया आयी. नंबी नारायण खुद पर पुलिस के झूठे आरोपों के खिलाफ 25 साल की लड़ाई के बाद बेकसूर पाये गये.
नंबी नारायण ने कहा है, 'मुझे पता चला कि उनको कहानियों को गढ़ने और उन्हें सनसनीखेज बनाने की कोशिश करने के लिए गिरफ्तार किया गया है... ठीक वैसा ही मेरे मामले में भी किया गया था.'
#LISTEN | In a conversation with ANI, former ISRO scientist Nambi Narayan reacts to Ahmedabad Police detaining former IPS officer RB Sreekumar in Gujarat riots case"Happy to note he has been arrested, there's a limit for everything &he's crossing all limits in terms of decency" pic.twitter.com/FaeWOJcVHc
— ANI (@ANI) June 25, 2022
दोनों पुलिस अधिकारियों और तीस्ता सीतलवाड़ के बहाने बीजेपी ने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला बोल दिया है. पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट फिलहाल पालनपुर जेल में हैं जहां से उनको अहमदाबाद लाने की गुजरात पुलिस की तैयारी है - अब तीनों ही आरोपियों से पूछताछ के बाद जो बातें सामने आएंगी, उन पर बवाल तो मचना ही है.
तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर संबित पात्रा कह रहे हैं, 'वो अकेली नहीं थीं... प्रेरक शक्ति कौन थीं? सोनिया गांधी और कांग्रेस.' संबित पात्रा का सवाल है, 'जो झूठ उन्होंने फैलाया और भ्रष्टाचार किया - क्या वो सरकार के समर्थन के बिना संभव था?'
सीतलवाड़ के मामले में कैसे बचाव करेगी कांग्रेस?
राहुल गांधी भी अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर नफरत और प्यार में फर्क समझाते रहे हैं. ये समझाते हुए ही राहुल गांधी संसद में पिछली मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में पकड़ कर गले तक मिल आये थे - और बार बार ये जिक्र करने का कोई मतलब भी नहीं लगता कि उसके बाद आंख भी मारे थे. मोदी से गले मिलने की बात करते ही, सबको अपनेआप उनके भरी संसद में आंख मारना याद जा जाता है.
ये गुजरात दंगा का ही तो मामला है, जिसे लेकर सोनिया गांधी 2007 के गुजरात चुनाव में मोदी को मौत का सौदागर तक बता चुकी हैं. ये हाल तब का है जब गांधी परिवार खुद 1984 में दिल्ली के सिख दंगों को लेकर हमेशा ही निशाने पर रहा है. भला राजीव गांधी की वो बात कोई कैसे भूल सकता है, '...जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है.' ये बात देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिल्ली बोट क्लब पर कही थी. उस दिन इंदिरा गांधी की पहली बर्थ एनिवर्सरी थी.
कांग्रेस नेतृत्व के सामने अब सबसे मुश्किल टास्क ये है कि कैसे वो अपने पुराने आरोपों को लेकर सही ठहरा पाएगी?
राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ईडी के नोटिस और फिर पूछताछ को लेकर कांग्रेस का दावा है कि ये सब राजनीतिक वजहों से किया जा रहा है. कांग्रेस के मुताबिक, ईडी और दूसरी केंद्रीय जांच एजेंसियां मोदी सरकार के दबाव में काम कर रही हैं - और राजनीतिक विरोधियों को चुन चुन कर टारगेट किया जा रहा है.
मुद्दे की बात ये है कि जैसे अदालत के आदेश पर ईडी की जांच चल रही है, ठीक वैसे ही तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी गुजरात पुलिस एक्शन में आयी है. कांग्रेस भले ही राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को राजनीति से प्रेरित बता कर धरना प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन अब उसके बचाव का ये तरीका भी कमजोर पड़ रहा है. ठीक वैसे ही तीस्ता सीतलवाड़ के मामले में बीजेपी के हमलों से कांग्रेस के लिए बचाव करना मुश्किल हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 18 साल से विषपान करते रहे. बोले, 'आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है तो अब आनंद आ रहा है. अमित शाह कहते हैं, 'मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है.'
तीस्ता सीतलवाड़ का कानूनी पचड़े में फंस जाना, मजह उनके लिए या पुलिसवालों के लिए कौन कहे - ये तो कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी एक बड़ा रेड अलर्ट है.
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