मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: कामयाबी के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करे कांग्रेस
यदि कांग्रेस को लगता है कि कमल नाथ की दावेदारी से, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह हतोत्साहित हो जाएंगे तो इस समस्या का समाधान भी राहुल गांधी को ही ढूंढना होगा.
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मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी पार्टी की कमान वरिष्ठ नेता कमल नाथ के हाथ सौंप दी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनाव समिति का प्रमुख बनाया गया है. कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिया परंतु आगामी चुनावों के लिए उन्हे पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं घोषित किया. पिछले तीन बार से भाजपा राज्य की सत्ता में आसीन है. आने वाले चुनावों में कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद का दावेदार अवश्य घोषित करना चाहिए, तभी वह शिवराज सिंह को टक्कर दे पाएगी.
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का डर सता रहा होगा की यदि कमल नाथ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया जाएगा तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट नाराज़ होकर, चुनावों में अपनी क्षमता से कम मेहनत करेगा. इस कशमकश के बवजूद कांग्रेस पार्टी को कुछ साहसिक कदम तो उठाने ही पड़ेगे. यदि कांग्रेस को लगता है कि कमल नाथ की दावेदारी से, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह हतोत्साहित हो जाएंगे तो इस समस्या का समाधान भी राहुल गांधी को ही ढूंढना होगा. किस प्रकार अलग-अलग गुटों को प्रसन्न रखते हुए पार्टी का हित साधना है, यह कला राहुल गांधी को सीखनी होगी.
गुजरात विधान सभा चुनावों के समय भी कांग्रेस ने कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया था. मुख्यमंत्री पद के दावेदार के बिना भी कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी. गुजरात में कांग्रेस के पास कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया व दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेता नहीं थे. यदि गुजरात कांग्रेस के पास मध्य प्रदेश जैसे नेता होते और मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित होता तो आज वहां कांग्रेस की सरकार हो सकती थी.
कांग्रेस जो सफलता गुजरात में न पा सकी वह उसे मध्य प्रदेश में मिल सकती है. मध्य प्रदेश में भाजपा का संगठन गुजरात के मुकाबले कमजोर है. हिंदुत्व भी मध्य प्रदेश में उतना बड़ा मुद्दा नहीं है, न ही मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री का गृह प्रदेश है. इन सब फायदों को कांगेस तभी भुना सकती है जब वह जनता के सामने एक लोकप्रिय चहरा प्रस्तुत करे.
चाहे कमल नाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस को किसी एक नेता के नाम को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए. 15 मार्च से 20 अप्रैल के बीच हुए एक ओपिनियन पोल के अनुसार इस साल मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा 230 विधानसभा सीट में से 153 सीट जीत सकती है, वहीं कांग्रेस 58 सीटे जीत सकती है.
निष्कर्ष सॉफ है, यदि कांग्रेस मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है तो उसे कुछ साहसी कदम उठाने पड़ेंगे अन्यथा भाजपा यहां भी बाजी मार लेगी.
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