सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो पर सियासत कर कांग्रेसी नेता अपनी जड़ों में मट्ठा डाल रहे हैं...
सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो पर सरकार की आलोचना करते कांग्रेसी नेताओं को समझ लेना चाहिए कि जब बात देश और रक्षा से जुड़े मुद्दों की होगी तो देश का प्रत्येक नागरिक अपनी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है.
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जैसे-जैसे 2019 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे कश्मीर, पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर सियासत तेज होती जा रही है. सितंबर 2016 में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले पीओके में भारतीय सेना ने आतंकियों को मार गिराया था. इसका वीडियो आ चुका है. वीडियो के बाद वही हुआ जिसकी उम्मीद थी. कांग्रेस आलोचना में जुट गई है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस की मगर उस प्रेस कांफ्रेंस को अगर ध्यान से सुनें तो मिल रहा है कि सरकार पर गंभीर आरोप लगाते कहीं न कहीं कांग्रेस खुद अपनी कही बात में फंस गयी है और बातों की कड़ियां जोड़कर बचने का स्वांग रच रही है.
सेना के वीडियो ने एक बार फिर आलोचकों को आलोचना का मौका दे दिया है
ज्ञात हो कि जब भारतीय सेना पाकिस्तान से उसकी नाजायज़ घुसपैठ पर मोर्चा ले रही थी और उनके बंकरों को नस्तो-नाबूद कर रही थी तब कांग्रेस ने भाजपा से इस कार्यवाई के सबूत मांगे थे. अब जब ये वीडियो आ चुका है और कांग्रेस को इस बात की याद दिलाई गई तो उसने बहुत ही तेजी के साथ अपनी कही बात से यू टर्न ले लिया. सुरजेवाला की तरफ से कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक के इस वीडियो को जारी करने की कोई जरूरत नहीं थी. देश सेना का सम्मान करता है. जब सुरजेवाला से इस विषय पर सवाल किया गया कि कुछ राजनीतिक दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए थे और सबूत मांगे थे तो कांग्रेस प्रवक्ता के जवाब से साफ झलक रहा था कि वो बचने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं.
सुरजेवाला की प्रेस कांग्रेस से साफ था कि वो इस वीडियो के बाद विचलित हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि वो सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ें या फिर सेना को लेकर राय कायम करें. ऐसा इसलिए क्योंकि जहां एक तरफ उन्होंने अपनी कही बात में अलग-अलग मौकों पर सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ की तो वहीं वो ये भी कहने से नहीं चूके कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान की भारत में घुसपैठ जारी है जिस कारण आए रोज हमारे सैनिक वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं जाहिर है ये एक बड़ा बयान है जिसको देखकर कोई भी कह देगा कि इस प्रेस कांफ्रेंस के जरिये एक बार फिर कांग्रेस ने भाजपा विशेषकर पीएम मोदी को घेरने का काम किया.
एक तरफ तो सुरजेवाला कह रहे हैं कि मोदी सरकार सेना के शौर्य, बलिदान, पराक्रम और साहस का इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है. तो वहीं दूसरी तरफ उनका मत ये भी है कि सरकार सेना को पर्याप्त रक्षा बजट नहीं मुहैया करा रही है और सेना के जवानों को अपनी वर्दी तक खुद अपने पैसों से खरीदनी पड़ रही है. कुल मिलाकर सुरजेवाला का तर्क था कि मोदी सरकार द्वारा लगातार सेना के साथ छल किया जा रहा है. जब सुरजेवाला की इस बात को हकीकत के तराजू में रखकर देखें तो मिल रहा है कि उन्होंने सेना पर सरकार के रवैये को लेकर जो भी आरोप लगाए वो बेबुनियाद और एकपक्षीय थे. कारण बस इतना कि इस विषय की भी जांच हो चुकी है और बताया गया कि अब सैनिकों को उनकी वर्दी का पैसा उनकी सैलरी में जोड़कर मिलता है ताकि वो अपने लिए सही फिटिंग की वर्दी ले सकें.
प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस फिर अपना ही नुकसान करती नजर आ रही है
प्रेस कांफ्रेंस में सुरजेवाला ने बड़ी ही प्रमुखता से इस बात पर बल दिया कि पहले की सरकारों ने भी अपने शासनकाल में सर्जिकल स्ट्राइक और इस तरह की अन्य कार्रवाइयों को अंजाम दिया मगर जिस तरह इसका इस्तेमाल मोदी सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए किया वो निंदनीय और सरकार की एक बेशर्म कोशिश है. इसके अलावा सुरजेवाला ने अटल और मनमोहन सरकार का भी हवाल दिया और कहा कि इस दौरान भी ऐसी कार्रवाइयां हुईं, लेकिन सेना के पराक्रम का राजनीतिक फायदा किसी ने नहीं उठाया.
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के ही दो नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों (यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी) ने सेना द्वारा लिए गए इस एक्शन पर सवाल उठाए थे और ये बीजेपी का अंदरूनी मामला है. ध्यान रहे कि जिस वक़्त सेना, सरहद पर पाकिस्तान से मोर्चा ले रही थी उस वक़्त कांग्रेसी नेता संजय निरुपम और आम आदमी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक के सरकार के दावे पर सवाल उठाए थे.
उपरोक्त बातों के बाद ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि कहीं न कहीं सर्जिकल स्ट्राइक के इस वीडियो से कांग्रेस की बौखलाहट बढ़ गई है. कहना गलत नहीं है कि शायद ये कांग्रेस की बौखलाहट ही है जिसके चलते उसने सरकार से सवाल किया है कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो को सार्वजनिक कर सीमा पर तैनात जवानों और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाला गया है? क्या सही उपकरण और बजट न देकर सरकार जवानों की जान जोखिम में नहीं डाल रही है?
कहना गलत नहीं है ये वीडियो 2019 में भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है
कांग्रेस भले ही 21 महीने बाद आए इस वीडियो को देखकर हाय तौबा मचाए. लेकिन ये एक अकाट सत्य है कि इस वीडियो का एक बड़ा फायदा मोदी सरकार को 2019 के आम चुनावों में मिल सकता है. मगर जिस तरह कांग्रेस सरकार की इस उपलब्धि को देखकर आग बबूला हो रही है, प्रेस कांफ्रेंस कर आलोचना कर रही है, अपनी कही बात से यू टर्न ले रही है ये बताने के लिए काफी है कि इस वक़्त कांग्रेस बीजेपी के कारण बुरी तरह घबराई हुई है और उसे इस बात का डर सता रहा है कि पीएम मोदी का ये मास्टर स्ट्रोक कांग्रेस के बचे हुए अस्तित्व पर सवालियां निशान लगा रहा है.
इन बातों के अलावा जिस तरह आज कांग्रेस के नेता सत्ता पक्ष की कार्यप्रणालियों विशेषकर पाकिस्तान की घुसपैठ पर सरकार द्वारा लिए जा रहे एक्शन पर सवाल खड़े कर रहे हैं वो कहीं न कहीं खुद अपने ही हाथों से अपनी जड़ों को काट रहे हैं और अपने बेतुके बयानों से उसे खोखला कर रहे हैं.
गौरतलब है कि इस देश की जनता कांग्रेस के 60 वर्षों के शासन से ऊब गयी थी. उसने पिछले आम चुनावों में उसके चुवानी प्रलोभनों को सिरे से खारिज करते हुए भाजपा को मौका दिया था और भाजपा और पीएम मोदी दोनों ही ही इसका भरपूर फायदा उठाया. नतीजे के स्वरूप आज उन राज्यों में भी भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई है जिसकी कल्पना कुछ एक सैलून पहले शायद ही किसी ने की हो.
बात जब रक्षा के मुद्दों की हो तो सारा देश सरकार के साथ है
यहां हम कांग्रेसी नेताओं को एक छोटा सा सुझाव देते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि, भाजपा 2019 का चुनाव जीतकर इतिहास रचे न रचे वो एक अलग बात है. आज जिस तरह उनके द्वारा सेना को लेकर बयान दिए जा रहे हैं और उसपर अंगुली उठाई जा रही है ये हरकत उन्हें इस देश की राजनीति से हमेशा के लिए अलविदा करा सकती है. बात अगर इस कथन के कारण पर हो तो ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि आज एक आम भारतीय तमाम बातों के बावजूद अपनी सेना पर आंख मूंद के यकीन करता है और उसे इस बात का पूरा विश्वास है कि यदि वो कुछ कर रही है तो वो देश हित में ही होगा.
अतः जब बात सेना और देश के खिलाफ जाने की होगी तो कोई भी उनका साथ नहीं देगा न ही कोई उनकी कही बात का समर्थन करेगा. अंत में इतना ही कि कांग्रेसी नेताओं के लिए भलाई इसी में है कि वो रक्षा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के साथ आए और कम से कम सेना, उसके द्वारा लिए जा रहे एक्शन और उसकी कार्यप्रणाली पर बिल्कुल भी राजनीति न करें.
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