Coronavirus lockdown migration: यूपी-बिहार सरकार के निशाने पर केजरीवाल
कोरोनावायरस लॉकडाउन के प्रवासी मजदूरों के पलायन (Coronavirus lockdown migration) के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार (Yogi Adityanatyh and Nitish Kumar) के साथी केजरीवाल सरकार पर लॉकडाउन को फेल करने की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
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कोरोना वायरस के खतरे के चलते लागू संपूर्ण लॉकडाउन और फिर मजदूरों के पलायन (Coronavirus lockdown migration) में डर्टी पॉलिटिक्स की एंट्री हो चुकी है. यूपी और बिहार की सरकारों के मंत्री दिल्ली सरकार पर लॉकडाउन फेल करने की साजिश का इल्जाम लगा रहे हैं तो दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दोनों पर सस्ती राजनीति करने का प्रत्यारोप लगाया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक बार फिर अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर हैं. ज्यादा दिन नहीं हुए विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली में भड़के दंगों को लेकर भी अरविंद केजरीवाल पर राजनीतिक वजहों से हीलाहवाली के आरोप लगे थे. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Yogi Adityanatyh and Nitish Kumar) ने तो सीधे सीधे कुछ नहीं बोला है, लेकिन दोनों के कैबिनेट साथी मोर्चा जरूर संभाले हुए हैं.
जो आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है, उसके केंद्र में प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) हैं जो लॉकडाउन के बावजूद अपने घरों के लिए निकल पड़े और राजधानी की सीमाओं पर उनके हुजूम से हर तरफ हड़कंप मच गया - जहां हैं वहीं बने रहने की तमाम अपीलें बेअसर हो गयीं और अरविंद केजरीवाल इसे लेकर सीधे सीधे निशाने पर आ गये.
फिर निशाने पर अरविंद केजरीवाल
प्रवासी मजदूरों के पलायन की घटना सिर्फ दिल्ली में हुई हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता. ऐसे लोगों का हुजूम ज्यादातर राज्यों की सीमाओं पर देखने को मिला है, लेकिन दिल्ली को लेकर जो राजनीति हो रही है - वैसी खबर देश के किसी भी हिस्से से नहीं आ रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टारगेट तो बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और कई बीजेपी नेताओं ने भी किया है, पर अचानक यूपी और बिहार सरकार के मंत्रियों ने जिस तरीके से राजनीतिक हमला बोल दिया है, वो थोड़ा अलग लगता है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में यूपी और बिहार के लोगों की खूब पूछ हो रही थी और माना भी यही जा रहा था कि पूर्वांचली लोग दिल्ली में सरकार बनने के मामले में निर्णायक भूमिका में हैं. पूर्वांचल के लोगों को लुभाने की कोशिशें भी सभी राजनीतिक दलों की तरफ से हुई, लेकिन बीजेपी को किनारे करते हुए आम आदमी पार्टी ने सत्ता में वापसी कर ली. पूर्वांचल के लोगों के वोट एनडीए को दिलाने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन सारी मेहनत बेकार चली गयी.
अब यही सवाल उठाया जा रहा है कि क्या पूर्वांचल के लोगों का इस्तेमाल अरविंद केजरीवाल सिर्फ वोटों के लिए करते हैं और मुसीबत की घड़ी आयी तो हाथ खींच ले रहे हैं. दिल्ली के अलग अलग इलाकों से निकल कर बस अड्डों पर पहुंचे लोगों में ज्यादातर यूपी और बिहार के ही रहने वाले हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं.
बीजेपी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का कहना है कि NCR में 100 से ज्यादा कोरोना वायरस के पॉजिटिव होने के मामले सामने आये हैं और स्वास्थ्य से जुड़े खतरे के हिसाब से ये रेड जोन में आता है. ऐसे में करीब डेढ़ लाख प्रवासी कामगारों को बगैर खाने और रहने के इंतजाम के चले जाने के लिए प्रोत्साहित करना आखिर क्या है. बीएल संतोष सवाल उठाते हैं कि कैमरे पर ये लोग ही कह रहे हैं कि उन्हें बताया गया कि आनंद विहार से उनको बस मिल जाएगी और डीटीसी की बसें वहां तक पहुंचा दे रही हैं. बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय कह रहे हैं कि इन्हीं लोगों को मुफ्त में बिजली-पानी देने का वादा कर केजरीवाल चुनाव जीते और मुसीबत के वक्त उनकी किस्मत पर छोड़ दिये.
दिल्ली दंगों के बाद दोबारा निशाने पर आये अरविंद केजरीवाल
बिहार सरकार के मंत्री संजय झा का सवाल भी बिलकुल वही है जो बीएल संतोष और अमित मालवीय का है, लेकिन उसके बाद के आरोप बड़े गंभीर हैं. मीडिया से बातचीत में संजय झा ने पूर्वांचल के लोगों के बिजली पानी के कनेक्शन काटे जाने के आरोप लगाये हैं. संजय झा का दावा है कि ये बात लोगों ने उनको फोन कर बताया है. संजय झा के मुताबिक लोगों को ये भी बताया गया है कि ये लॉकडाउन तीन महीने तक रहेगा.
बिहार के एक और मंत्री जय कुमार सिंह ने भी लोगों के बिजली पानी के कनेक्शन काटे जाने के आरोप लगाये और कहा कि उनके पैसे और खाने के सामान खत्म हो गये हैं इसलिए रुकना संभव नहीं है.
उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया भी बीबीसी से बातचीत में लगभग वैसे ही आरोप लगा रहे हैं, 'दिल्ली की सरकार ने वहां काम कर रहे दूसरे राज्यों के लोगों को घर जाने के लिए कहा और डीटीसी की बसों से उन्हें सीमा पार करा दिया.'
दिल्ली से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर चुनावी अंदाज में निशाना बनाया है - और आप नेता पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
दिल्ली की जनता ने @ArvindKejriwal को औरों पे आरोप लगाने के लिए चुना है क्या ?इस स्थिति में भी सारी जवाबदेही PM और बाकी राज्यों के CM पे डाल दी !500 करोड़ के advertisement budget में 2 लाख लोगों का खाना आ जायेगा अगर दिल्ली ही नहीं रहेगी तो कहाँ बेचोगे अपने झूठ को?
शर्मनाक! pic.twitter.com/eNv2LbjTeb
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) March 29, 2020
अरविंद केजरीवाल के बचाव में हमेशा की तरह दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने मोर्चा संभाला है - और बीजेपी नेताओं पर 'टुच्ची राजनीति' करने का आरोप लगाया है. मनीष सिसोदिया का कहना है कि ये वक्त घटिया राजनीति के लिए नहीं है.
मुझे बहुत दुःख है कि कोरोना महामारी के बीच बीजेपी नेता टुच्ची राजनीति पर उतर आए है. @myogiadityanath जी की सरकार ने आरोप लगाया है कि @ArvindKejriwal जी ने बिजली पानी काट दिया इसलिए लोग दिल्ली से जा रहे हैं. यह गम्भीरता से एक होकर देश को, बचाने का समय है, घटिया राजनीति का नहीं.
— Manish Sisodia (@msisodia) March 28, 2020
बीजेपी नेता और यूपी बिहार के कुछ मंत्री दिल्ली सरकार पर मोटे तौर पर दो तरह के आरोप लगा रहे हैं - एक, पूर्वांचल के लोगों की बिजली और पानी की सप्लाई बंद कर दी गयी - और दो, अफवाह फैला कर लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. और जब लोग बाहर निकले तो डीटीसी की बसों से बस अड्डे तक भेज दिया गया.
केजरीवाल के साथी मंत्री गोपाल राय बीबीसी से बातचीत में अपने तरीके से बचाव करते हैं, 'अगर उत्तर प्रदेश सरकार बसें नहीं भेजती तो लोगों का हुजूम आनंद विहार बस स्टॉप पर जमा नहीं होता. जहां तक पैदल जाने की बात है तो यह केवल दिल्ली से नहीं हो रहा था. लोग हरियाणा और राजस्थान से भी जा रहे थे. पैदल जाने वाले बहुत कम थे. बस भेजने के बाद लोग बड़ी संख्या में सड़क पर आ गए.'
अगला सवाल होता है - लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी बसों से लोगों को हापुड़ क्यों भेजा?
गोपाल राय का जवाब होता है, 'हमने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसा किया था. डीटीसी की बसें इंटरस्टेट नहीं होती हैं. सुरक्षा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कहा तब हमने बस से लोगों को हापुड़ भेजा.'
लेकिन ये राजनीति शुरू कैसे हुई?
फिलहाल ये समझना थोड़ा मुश्किल है कि इस मुश्किल घड़ी में राजनीति शुरू करने का आइडिया किसके दिमाग की उपज है, लेकिन इस गंदे खेल में कोई भी कमतर नजर नहीं आ रहा है. आम आदमी पार्टी के लोगों ने भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुद्दा खोज खोज कर टारगेट किया है - और मनीष सिसोदिया ने तो जैसे दुखती रग पर ही हाथ रख दी है.
आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा के खिलाफ नोएडा पुलिस ने FIR दर्ज की है. ये केस एक ट्वीट को लेकर दर्ज हुआ है, जिसके बारे में आरोप है कि राघव चड्ढा ने ट्वीट डिलीट कर दिया है. आरोप है कि राघव चड्ढा ने ट्विटर पर लिखा था कि यूपी के मुख्यमंत्री पलायन कर रहे लोगों को पुलिस से पिटवा रहे हैं. ये एफआईआर एक वकील की तरफ से दर्ज कराया गया है. इसी तरह दूसरा मामला भी ट्विटर से ही जुड़ा लगता है. मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा है कि कामगारों के शहर छोड़ कर जाने की हालत दिल्ली और दूसरे राज्यों में भी एक जैसी ही है, लेकिन एक तस्वीर पोस्ट करते हुए ये भी लिखा है - 'यूपी के गोरखपुर की ये तस्वीर बेहद मर्मस्पर्शी है...' ध्यान रहे गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का इलाका है और तस्वीर जो भी बयान कर रही है वो सीधे सीधे योगी आदित्यनाथ की सरकार पर सवालिया निशान है.
देश भर में कामगार लोग शहर छोड़कर जा रहे हैं. दिल्ली सहित महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा में सब जगह यही हाल है. महाराष्ट्र में चार मज़दूरों की दुखद मौत हुई है...
यूपी के गोरखपुर की ये तस्वीर बेहद मर्मस्पर्शी है.... pic.twitter.com/cn9OCQUnWo
— Manish Sisodia (@msisodia) March 28, 2020
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