Medical Oxygen को लेकर सरकारी दावे कुछ और थे, हकीकत तो हमने देख ली!
अगस्त 2020 से ऑक्सीजन के उत्पादन में 129 प्रतिशत की वृद्धि का दावा करने वाली भारत सरकार की तमाम बातें खोखली साबित हो चुकी हैं. देश कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. ऐसे में लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी ये बता देती है कि पूर्व में सरकार द्वारा किये गए तमाम दावे हवा हवाई थे.
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कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की हकीकत बयां कर दी है. तमाम जगहों पर न तो अस्पताल में इलाज ही मिल रहा और जहां इलाज मिल भी रहा है तो वहां बेड नहीं हैं और लोग मरने की मजबूर हैं. जैसे हालात हैं ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि आने वाले वक्त में जब कभी 2021 को याद किया जाएगा तो लोग उन लोगों को जरूर याद करेंगे जो ऑक्सीजन सिलिंडर पकड़े इस आस से इधर उधर भटक रहे थे कि उनका अपना बच जाए और उसे उस ऑक्सिजन की बदौलत चंद पलों की मोहलत और मिल जाए. भविष्य में हम याद रखेंगे कि कैसे हमने अपने चाहने वालों को सिर्फ इसलिए खोया क्यों कि हम उन्हें प्राणवायु न दे पाए. यकीनन भविष्य हमारी आंखों में आंखें डाल हमसे सवाल करेगा और हम इतने मजबूर होंगे कि शायद ही उसे सही जवाब देकर संतुष्ट कर पाएं.
सिलिंडर के साथ कतार में खड़े लोगों ने बता दिया ऑक्सीजन को लेकर सरकारी दावे झूठे थे
ज़िक्र ऑक्सीजन का हुआ है तो कुछ बातों पर चर्चा हमें जरूर करनी चाहिए. बीती 5 मई को भारत में ऑक्सीजन की मांग ब्राजील के मुकाबले 6 गुना थी. भारत द्वारा इस डिमांड का अंतर दोनों देशों में कोविड मामलों के अंतर को भी प्रतिबिंबित करता नजर आता है. बात मामलों की हो तो गुजरी हुए 5 मई 2021 को भारत में जहां एक तरफ कोरोना के 4,12,431 मामले दर्ज किए गए तो वहीं भारत के मित्र देश ब्राजील में संक्रमितों की संख्या 73, 295 थी.
ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर भले ही भारत सरकार मौजूदा हालात में हमें नाकाम दिख रही हो लेकिन दिलचस्प ये है कि भारत सरकार ने अगस्त 2020 में ऑक्सीजन उत्पादन में 129 प्रतिशत की वृद्धि करने का दावा किया था.
कोविड -19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन थेरेपी
भारत में साल 2021 के शुरुआती दो महीनों यानी जनवरी और फरवरी में सब ठीक था लेकिन स्थिति खराब हुई मार्च के शुरुआती हफ्ते में तब तक कोविड 19 की दूसरी लहर भारत में दस्तक दे चुकी थी. चूंकि कोविड की इस दूसरी लहर में ऑक्सीजन हॉट ट्रेंडिंग टॉपिक है इसलिए बताते चलें कि डब्ल्यूएचओ के एक अनुमान के मुताबिक, कोविड -19 के लगभग 15 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता होती है.
अब अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में मार्च 2020 से कोविड ने कुछ ऐसी तबाही मचाई की 10 महीनों के अंतराल में इस खौफ़नाक बीमारी ने तकरीबन 1 करोड़ लोगों को प्रभावित किया जिससे लाखों लोगों की मौत का साक्षी एक देश के रूप में भारत बना. कोविड की ये दूसरी लहर इसलिए भी हैरत में डालती है कि जहां एक तरफ हमने 10 माह में 1 करोड़ लोगों को संक्रमित होते देखा तो वहीं दूसरी लहर में 1 करोड़ 10 लाख लोग इससे प्रभावित हुए और ये सब महज 10 सप्ताह में हुआ.
ध्यान रहे कि अब देश में दैनिक मामलों की संख्या में ऊर्ध्वाधर वृद्धि हुई है, इसलिए ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता रोगियों को पूर्व ले मुकाबले कहीं ज्यादा है.
ऑक्सीजन को लेकर पूरी दुनिया में स्थिति कुछ ऐसी थी
भारत और अन्य जगहों पर ऑक्सीजन की मांग
WHO के आंकड़ों के आधार पर ऑक्सीजन की मांग पर नजर रखने वाले PATH का मानना है कि सितंबर 2020 में भारत में मांग 40 लाख क्यूबिक मीटर के करीब थी. जिसने 5 मई 2021 को 17 मिलियन क्यूबिक मीटर के आंकड़े को छुआ. भारत में कोविड की दूसरी लहर का सबसे भयावह रूप हमें अप्रैल के तीसरे सप्ताह में. ध्यान रहे सितंबर 2020 में भारत में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई थी और अब जबकि कोरोना की दूसरी लहर आ गयी है और अप्रैल में हम हर तरफ मातम देख चुके हैं कहना गलत नहीं है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर तमाम दावे खोखले साबित हुए हैं.
भारत में ऑक्सीजन की मौजूदा स्थिति पर एक निगाह
Path India के मोहम्मद अमील की माने तो अभी स्थिति संभली नहीं है. जैसे हालात हैं उम्मीद है कि मध्य मई तक देश की गंभीर चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति संकट 25 प्रतिशत तक कम हो जाएगा ऐसा इसलिए क्यों कि इसपर काम बदस्तूर जारी है. सरकार लगातार यही प्रयास कर रही है कि लोग इस संकट से उभर सकें.
सिर्फ भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना की चुनौतियों का सामना कर रहा है
माना जा रहा है कि प्रयास कुछ ऐसे हो रहे हैं जिससे आज मिल रही चुनौतियों से तो निपटा ही जाए यदि कोई संकट निकट भविष्य में आता है तो उससे भी मोर्चा लिया जाए.
अमील के अनुसार,'भारत बड़ी मात्रा में तरल मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए लगभग 100 क्रायोजेनिक कंटेनरों का आयात कर रहा है. केंद्र सरकार ने कहा है कि एक लाख पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदे जाएंगे. ये कुछ ऐसे तरीक़े हैं जो यदि कारगर हो गए तो भले ही क्षणिक हों लेकिन एक देश के रूप में हम कोविड, उसकी जटिलताओं, चुनौतियों से लोहा ले सकते हैं.साथ ही अमील का ये भी कहना है कि केंद्र सरकार देश के सभी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है. जोकि इस समस्या का एक बहुत ही कारगर उपाय है.
उम्मीद है, इन उपायों से ऑक्सीजन की मांग का ध्यान रखा जाएगा, जिसके हर दिन छह-आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. वहीं राज्यों को ऑक्सीजन आवंटित करने के संदर्भ में, सरकार एक सूत्र के साथ सामने आई है जिसने रिकॉर्ड किए गए संक्रमणों के अनुसार मांग का आकलन किया जाएगा.10 मई को केंद्र सरकार के एक बयान में कहा गया था कि, "15 अप्रैल, 2021 को जारी किया गया पहला ऑक्सीजन आवंटन आदेश कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक आदि तक सीमित था.'
गौरतलब है कि कोरोना वायरस पेंडेमिक की दूसरी वेव अन्य राज्यों में भी फैल गयी है, जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है. भले ही देश में ऑक्सीजन आपूर्ति के मद्देनजर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अपने फॉर्मूले पर काम कर रहा हो लेकिन स्थिति तब तक साफ नहीं होगी जब तक हम संक्रमितों को सही और मौत के ग्राफ को कम होते न देख लें. ऐसा कब होगा? इस सवाल के लिए हमें हालात पर पैनी निगाह बनानी होगी. भविष्य को देखना होगा.
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