Trump ने रिसर्चर्स से विषाणु नाशक के बारे में कहा है, लोग कीटनाशक ना समझ लें
अक्सर ही अपने बयानों के चलते सुर्खियां और आलोचना बटोरने वाले अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बड़ा ही अटपटा बयान दिया है. ट्रंप चाहते हैं कि एक ऐसा इंजेक्शन बने जो शरीर को गर्मी दे ताकि उस गर्मी से कोरोना का वायरस मर जाए.
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दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की गिरफ्त में हैं. बीमारी के कारण जहां एक तरफ़ बीमारों की संख्या और मौत के आंकड़ों में उछाल आ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन (Lockdown) के चलते तमाम मुल्कों की अर्थव्यवस्था (Economy) प्रभावित हो रही है. हालात मंदी वाले हैं और तमाम शोध ऐसे आ चुके हैं जो बता रहे हैं कि वो लोग जो कोरोना की मार से बच जाएंगे अर्थव्यवस्था और मंदी उन्हें नहीं छोड़ने वाली. बात अगर कोरोना प्रभावित मुल्कों की हो तो चीन (China), इटली (Italy), स्पेन (Spain) और ईरान (Iran) को सबसे ज्यादा प्रभावित करने के बाद कोरोना ने पूरे अमेरिका (America) में हड़कंप मचा दिया है. अमेरिका जैसी सुपर पावर भी आज बीमारी के आगे लाचार है मगर औरों से इतर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) बीमारी के आगे हथियार डालने को तैयार नहीं है. ट्रंप कोरोना को चुनौती देना चाहते हैं और इसके लिए उनकी तैयारी क्या है इस बात की जानकारी उन्होंने अपनी पत्रकार वार्ता में दे दी है. ट्रंप चाहते हैं कि कोई ऐसा इंजेक्शन बने जिसमें इतनी गर्मी हो कि जैसे ही वो शरीर में जाए उसकी गर्मी से विषाणु नष्ट हो जाएं.
बताते चलें कि अपने को सुपर पावर कहने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. ट्रंप की विशेषता रही है अजीबो गरीब बयान देना और एक बार फिर उन्होंने इस प्रथा को आगे बढ़ाया है. अपनी इस प्रेस कांफ्रेंस में भी ट्रंप ने अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक अनोखा सुझाव दिया है. ट्रंप ने वैज्ञानिकों से कहा है कि वो वो इस बात की जांच करें कि क्या किसी तरह से इंसानों के शरीर में रोशनी, गर्मी या फिर कीटाणुनाशक को इंजेक्शन के जरिए पहुंचाया जा सकता है. ट्रंप का इतना कहना भर था पूरे अमेरिका में उनके द्वारा कही बातों का विरोध होना शुरू हो गया है.
#Trump asking out loud if we can inject human beings with disinfectant. pic.twitter.com/J5yoq8g5Zc
— No Strayz (@NOSTRAYZ) April 23, 2020
बीमारी एक मद्देनजर कैसा हो अगर हमारी बॉडी ताकतवर हो जाए? ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वह एक रिसर्च का हवाला देते हुए कह रहे थे कि गर्मी, उमस और सूरज की तेज रोशनी में कोरोना वायरस बेसअर रहता है. दिलचस्प बात ये है कि ट्रंप की इस थ्योरी को किसी का भी समर्थन नहीं हासिल हुआ है.
विवादित बयान देने वाले अमेरिका कड़े राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने एक बयान के कारण चर्चा में आ गए हैं
ध्यान रहे कि ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मीडिया मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि, 'सोचिए कि अगर हम शरीर को एक असाधारण तत्व से लैस कर लें, चाहे वह अल्ट्रावॉयलेट किरणें हों या फिर तेज रोशनी हो.' इसके बाद उन्होंने वैज्ञानिकों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जरा सोचिए अगर आप शरीर के अंदर रोशनी त्वचा या फिर किसी और रास्ते से पहुंचा सकें.
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मौजूद वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वो ऐसी संभावनाओं को तलाशें और इन्हें अमली जामा पहनाएं। व्हाइट हाउस में विलियम ब्रायन भी मौजूद थे जो खुद होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के साथ वैज्ञानिक और टेक्नोलॉजी एडवाइजर हैं. विलियम ब्रायन ने उस शोध का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि जैसे ही कोरोना वायरस ज्यादा तापमान और उमस के माहौल में आता है, कमजोर पड़ जाता है. व्हाइट हाउस में न्यूज ब्रीफिंग के दौरान ब्रायन ने कहा, 'वायरस सूरज की तेज रोशनी में शीघ्रता से खत्म हो जाता है.'
गौरतलब है कि पहले से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया भर से आलोचना का सामना कर रहे हैं. उनका अब इंजेक्शन की बात करना एक बार फिर विवादों में आ गया है. बता दें कि तमाम वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना वायरस से कोई लेना देना नहीं है और महामारी के बीच इसे लाकर अमेरिका के राष्ट्रपति अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.
अमेरिका के अलावा दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस बात का भी दावा किया था कि बीमारी के मद्देनजर अभी इसका ट्रायल नहीं हुआ है इसलिए दवा का प्रयोग ठीक नहीं है. बताया ये भी जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा एंटी-बायोटिक एजिथ्रोमिसिन के प्रयोग से भी मना किया था. वैज्ञानिकों का तर्क था कि एजिथ्रोमिसिन में टाक्सिसिटी यानी विषाक्तता की आशंका है जो कि कोरोना के मद्देनजर कहीं से भी ठीक नहीं है.
बहरहाल अब जब कि अमेरिका के राष्ट्रपति ये बचकानी बात कह चुके हैं तो देखना दिलचस्प रहेगा कि लोग कहीं उनके विषाणु नाशक को कीटनाशक न समझ लें और इसकी तैयारी शुरू कर दें. वैसे भी कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका गंभीर है और चीन से पहले वो किसी भी कीमत पर बीमारी की दवा खोज लेना चाहता है.
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