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Updated: 27 अप्रिल, 2020 03:10 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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कोरोना वायरस (Cironavirus) की दहशत कम होने का नाम नहीं ले रही है. दुनिया भर में 26 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. बात मौत की हो तो बीमारी अब तक 1.80 लाख से अधिक लोगों की जान (Coronavirus Death In India) ले चुकी है. जैसी हालत है सुपर पावर अमेरिका (America) तो बिलकुल बेकाबू नजर आ रहा है. ध्यान रहे कि कोरोना वायरस का सबसे बड़ा हमला अमेरिका में ही हुआ है. भारत काफी हद तक स्थिति को संभाले हुए है और हर संभव कोशिश की जा रही है कि कोरोना पर जल्दी ही काबू पा लिया जाए. भारत (India) की स्थिति कोरोना वायरस पर अन्य देशों के मुकाबले ठीक ही कही जा सकती है, लेकिन अब जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं वह बेहद डरावनी हैं और चिंतित कर देने वाली हैं. भारत में कोरोना वायरस के 21 हज़ार केस सामने आ चुके हैं और 680 लोगों की मौत भी हो चुकी है. खबरों के मुताबिक 21 हजार केस में काफी बड़ी संख्या में ऐसे मरीज मिले जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण ही नहीं दिखे. भारत के लिए यह खबर बहुत ही भयावह है.

Coronavirus, Lockdown, India, Economy कोरोनावायरस जिस तरह अब दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है लोगों का डरना लाजमी है

किसी भी राज्य या जिले में ऐसे मरीजों को ढूंढा जा सकता है जिनमें लक्षण हों लेकिन ऐसे मरीजों का क्या जिनमें बीमारी के लक्षण ही नहीं दिख रहे हैं. ऐसे लोग अपने परिवार के लोगों को भी संक्रमित करते रहेंगे और जहां जहां भी उनकी उपस्थिति होगी वहां वहां लोग संक्रमित होते रहेंगे. यह खबर भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं है. अगर ऐसे मरीज बड़ी संख्या में सामने आ गए तो स्थिति संभाले नहीं संभलने वाली.

भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा संकट है उसकी अर्थव्यवस्था, ज्ञात हो कि भारत ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अपनी पूरी अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लगा दिया है. अब भारत के लिए धीरे-धीरे चुनौतियां बढ़ रही हैं. भारत को कोरोना से लड़ने के साथ-साथ अब अर्थव्यवस्था पर भी चिंता करनी पड़ रही है क्योंकि लंबे समय तक इसको रोक पाना संभव नहीं है. सरकार को अब अन्य विकल्पों पर भी चिंता करने की ज़रूरत आ गई है.

भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा डर उन लोगों का है जो दूसरे शहरों में फंसे हुए हैं. प्रवासी मजदूर से लेकर अलग-अलग वजहों से फंसे हुए लोगों का अब गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. तीन मई तक तो कैसे भी यह लोग मान जाएंगे लेकिन उसके बाद इनको रोक पाना संभव नहीं होगा. भारत सरकार के लिए चुनौती यह भी है कि अगर एक बार ये लोग अपने अपने घरों तक पहुंच गए तो इनको वापिस शहर में लाना भी बहुत मुश्किल होगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस लंबे समय तक रहने वाला है, इसके लिए सभी को तैयार रहने की ज़रूरत है. अब जब कोरोना वायरस लंबे समय तक रहने वाला है तो किसी भी तरह करके देश में कामकाज को शुरू करना ही होगा, और इनमें प्रवासी मजदूरों का शहरों में रहना भी बेहद जरूरी होगा.

भारत के लिए सबसे बड़ा संकट अब जो आने वाला है वह ये है कि मध्यम वर्ग के लोगों को भी अब समस्य़ा आने लगी है. अगर उनके लिए कुछ राहत न मिली तो स्थिति और खराब हो जाएगी. उनका गुजर करना मुश्किल हो जाएगा. जो लोग राहत सामग्री बांटने का कार्य कर रहे हैं उनमें भी अब कमी आएगी. बिना कुछ कमाए दो महीने तक सिर्फ मदद करने वाले लोग भी अब पीछे हटेंगें जिससे समस्या भुखमरी की भी बढ़ सकती है. सरकार को 3 मई के बाद बहुत कड़े फैसले लेने पड़ेंगे क्योंकि मुश्किलें चारों ओर से घेर रही हैं.

एक और खबर जो दिल को दहला रही है वह है केंद्रीय टीम का अनुमान जो मुंबई के लिए किया गया है. केंद्रीय टीम के अनुमान के मुताबिक मुंबई में 15 मई तक 6.50 लाख संक्रमित मरीज हो सकते हैं. यह महज अनुमान है हमारी प्रार्थना है यह अनुमान ही रहे, लेकिन चिंता बढ़ाने के लिए यह काफी है. रैपिड किट में खामी की खबर से पहले ही देश का नागरिक निराश है अब अगर उसे ऐसी खबरें मिलेंगी तो डर बढ़ेगा.

डर बढ़ने से लोग सतर्क तो रहते हैं लेकिन भारत सरकार को तेज़ी लानी पड़ेगी जांच में. भारत को चाहिए बड़ी संख्या में जांच करे और संक्रमित मरीजों को अलग कर देश के कामकाज को शुरू करे वरना यह बहुत बड़ा संकट हो जाएगा. चुनौतियाँ सिर्फ सरकार के लिए ही नहीं बल्कि आम नागरिकों के लिए भी है. देश के हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझ कर एहतियात बरतना होगा तभी इस महामारी से जीता जा सकेगा.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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