Shashi Tharoor के 'वाम-झुकाव' के कारण केरल कांग्रेस में दो फाड़!
चाहे वो शशि थरूर हों या फिर थॉमस दोनों की का शुमार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में है. ऐसे में यदि उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष के कोप का सामना सिर्फ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि वो दूसरी पार्टी के सेमिनार में बतौर स्पीकर जा रहे हैं जाहिर कर देता है कि कांग्रेस पार्टी कितनी और किस हद तक लोकतान्त्रिक है या लोकतंत्र में विश्वास रखती है.
-
Total Shares
केरल कांग्रेस, शशि थरूर और सोनिया गांधी चर्चा में हैं. वजह है एक सेमिनार. सेमिनार कांग्रेस का न होकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) का है जिसके लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पूर्व केंद्रीय मंत्री केवी थॉमस को सेमिनार में आमंत्रित किया गया था. ये आमंत्रण केरल देश कांग्रेस कमिटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष के सुधाकरन को कुछ इस हद तक नागवार गुजरा की बात अब सोनिया गांधी तक आ गयी है. दिलचस्प ये कि मामले के मद्देनजर सोनिया, थरूर के साथ नहीं बल्कि सुधाकरन की नीतियों और पार्टी के फैसले के साथ हैं. ज्ञात हो कि मामला कुछ इस हद तक पेंचीदा हो गया है कि सोनिया और पार्टी के रवैये पर थरूर ने अपना पक्ष रखा है और ट्विटर पर इस बात को बड़े ही साफ़ लहजे में कहा है कि यदि कांग्रेस को भाजपा की विचारधारा से लड़ना है तो उसे वामदलों का सहयोग लेना ही होगा.
ध्यान रहे अप्रैल 2022 में केरल के कन्नूर में सीपीआई-एम एक सेमिनार आयोजित कर रहा है. सेमिनार में थरूर को धर्मनिरपेक्षता और चुनौतियों पर सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए इंविटेशन दिया गया था. वहीं थॉमस को राज्य-केंद्र संबंध पर सत्र को संबोधित करना था.
एक वरिष्ठ नेता के रूप में जो कुछ भी केरल में कांग्रेस ने थरूर के साथ किया है वो बेइज्जती से कम नहीं है
चूंकि केरल कांग्रेस अपने नेताओं को पहले ही ऐसे किसी सेमिनार में जाने से मना कर चुकी थी. मामले पर केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के सुधाकरन ने कहा कि पार्टी ने सांसदों सहित अपने सभी नेताओं को सेमिनार में हिस्सा न लेने के लिए निर्देशित किया है. वहीं उन्होंने इस बात पर भी बल दिया था कि यदि कोई इस फैसले का उल्लंघन करता है तो उन्हें पार्टी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
CPM द्वारा आयोजित सेमिनार में कांग्रेस के नेता न जाएं इसे लेकर कांग्रेस पार्टी किस हद तक गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, कांग्रेस पार्टी ने एक बयान जारी किया है. बयान में इस बात का जिक्र है कि कांग्रेस के किसी भी नेता को माकपा की संगोष्ठी में भाग नहीं लेना चाहिए क्योंकि पार्टी पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण सीपीएम के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है.
जैसे हालात सेमिनार को लेकर हुए हैं कहना गलत नहीं है कि बात ईगो पर आ गयी है. थरूर और केवी थॉमस का अपना ईगो है और सुधाकरन अलग अपनी जिद पर अड़े हैं. क्योंकि बात अब आलाकमान के दर पर पहुंच गयी है. जिसपर थरूर ने अपना पक्ष रखा है. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार शशि थरूर ने कहा है कि उनके लिए संगोष्ठी में भाग लेने के लिए कोई पार्टी प्रतिबंध नहीं है.
जैसा कि ज्ञात है कम्युनिस्ट पार्टी के एक सेमिनार को लेकर पार्टी दो गुटों में बंट गयी है. थरूर की ये बात के सुधाकरन को नागवार गुजरी हैं. थरूर पर बड़ा हमला करते हुए सुधाकरन ने कहा है कि अगर कोई सेमिनार में हिस्सा लेता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. वहीं उन्होंने सुधाकरन ने हालांकि कहा कि अगर सोनिया गांधी सेमिनार में हिस्सा लेने की इजाजत देती हैं तो थरूर ऐसा कर सकते हैं.
वहीं सेमिनार पर सोनिया का रुख भी बहुत सख्त है. सोनिया ने टॉक लहजे में कहा है कि जिन नेताओं को सीपीएम की संगोष्ठी में आमंत्रित किया गया था, उन्हें केरल राज्य कांग्रेस के फैसले का पालन करना चाहिए.
चूंकि सोनिया ने साफ़ लहजे में सेमिनार और वहां जाने को लेकर अपना पक्ष रख दिया है. शशि थरूर ने ट्विटर पर सफाई दी है. थरूर ने एक लंबी चौड़ी चिट्ठी पोस्ट की है जिसमें उनका दर्द साफ़ दिखाई दे रहा है.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 21, 2022
चाहे वो शशि थरूर हों या फिर थॉमस दोनों की का शुमार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में है. ऐसे में यदि उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष के कोप का सामना सिर्फ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि वो दूसरी पार्टी के सेमिनार में बतौर स्पीकर जा रहे हैं जाहिर कर देता है कि कांग्रेस पार्टी कितनी और किस हद तक लोकतान्त्रिक है या लोकतंत्र में विश्वास रखती है.
प्रदेश अध्यक्ष ने जो किया है उसपर थरूर और थॉमस दोनों नाराज हैं. ऐसे में माना यही जा रहा है कि ये बात अभी इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होगी. ऐसा क्यों? इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ जी 23 है. तो वहीं पहले ही राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट न मिलने से थॉमस पार्टी से नाराज हैं.
ऐसे में इस नए विवाद का सीधा असर पार्टी और उसकी कार्यप्रणाली में देखने को मिलेगा. देखना दिलचस्प रहेगा कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी इस पूरे मामले को कैसे और किस तरह हैंडल करते हैं.
ये भी पढ़ें -
IAS Niyaz Khan तो The Kashmir Files की बहस में नाहक ही कूद पड़े
The Kashmir Files को सिर्फ कश्मीर की कहानी मत समझिए...
पुष्कर सिंह धामी बनेंगे Uttarakhand CM, लेकिन क्या 5 साल पूरे कर पाएंगे?
आपकी राय