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Updated: 29 सितम्बर, 2021 10:24 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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दुनिया की सारी मक्कारी, झूठ, फरेब सब एक तरफ. राजनीति और राजनीति में नेता एक तरफ. इससे मतलब नहीं कि नेता कौन है? लेकिन कुछ कम तो कुछ ज्यादा, कमोबेश मक्कार सब ही हैं. तमाम राज्यों में चुनाव हैं. तो नजरें दौड़ाइये और देखिये अपने आस पास मौजूद नेताओं को. याद कीजिये उनके वादे. उन्होंने कहा था कि लाइट देंगे. पानी देंगे. इतनों को सरकारी नौकरी मिलेगी. गड्ढा मुक्त सड़कें होंगी. जहां सड़कें नहीं होंगी वहां सड़कों का निर्माण किया जाएगा. गैस. पक्का मकान. किराए में छूट. लड़की की शादी. कम्प्यूटर. लैपटॉप. मोबाइल और साइकिल नेताओं के वादों की फेहरिस्त वाक़ई बड़ी लंबी है. नेताओं की हकीकत कहां पता चलती है? यदि प्रश्न कुछ यूं हो तो सबसे ईमानदारी का जवाब होगा कोर्ट. बिल्कुल सही सुना आपने कोर्ट ही वो जगह है जो हमारे नेताओं को बेनकाब करती है. कोर्ट भोली भाली जनता को बताती है कि हर बार की तरह फिर इस बार फलां नेता द्वारा मक्कारी का परिचय देते हुए उनके विश्वास को चूना लगाया गया है.

Delhi CM Arvind Kejriwal unable to Fulfill his promise over rent Delhi HC asked about intention to pay even 5 percent of rentकिराए पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बेनकाब कर दिया है

उपरोक्त बातें यूं ही रैंडम नहीं हैं. इनके पीछे मजबूत तर्क हैं हमारे पास. यदि हमें इन तर्कों को समझना है तो थोड़ा पीछे जाना होगा और देश की राजधानी दिल्ली का रुख करना होगा. बात 2020 की है. देश कोरोना की पहली लहर की चपेट में था. राजधानी दिल्ली में भी तमाम लोग थे जिनकी नौकरियां कोरोना के चलते प्रभावित हुईं. दिक्कत में वो लोग आए जो दिल्ली जैसे शहर में किराए पर रह रहे थे.

देश की राजनीति में अपने यू टर्न के लिए मशहूर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसे लोगों का 'संज्ञान' लिया और 29 मार्च 2019 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली. तब अरविंद केजरीवाल ने पत्रकार वार्ता में गरीब किराएदारों के किराए का भुगतान करने का ऐलान किया. जैसा कि नेताओं की फितरत होती है वो अपने कहे का कम ही पालन करते हैं दिल्ली में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला.

केजरीवाल ने अपने फैसले को लागू नहीं किया जिसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर हुई. बाद में हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने केजरीवाल सरकार द्वारा लिए गए फैसले को लागू करने योग्य बताया. सिंगल जज के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में पुनः अपील की. इस मामले में चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सिंगल जज के फैसले पर रोक लगा दी है.

ध्यान रहे कि मामले की अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होगी. चूंकि किराए के मद्देनजर कोर्ट में पिछले मामले की सुनवाई हुई है इसलिए दिल्ली सरकार का पक्ष वरिष्ठ वकील मनीष वशिष्ट ने रखा है. कोर्ट के सामने दिल्ली सरकार की तरफ से तथ्य रखते हुए मनीष ने कहा कि, 'ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था.

हमने सिर्फ इतना कहा था कि प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें. हमने मकान मालिकों से किराए के लिए किरायेदारों को मजबूर न करने को कहा था और ये भी कहा था कि अगर किरायेदारों को कोई साधन नहीं मिलते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी.'

दिल्ली सरकार के वकील का इतना कहना भर था. हाई कोर्ट ने पूछा है कि , 'तो क्या आपका इरादा भुगतान करने का नहीं है? यहां तक कि 5 फीसदी भी नहीं?' तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'केवल तभी जब मांग हो.' उन्होंने दावा किया कि कोई भी व्यक्ति उनके पास राहत मांगने नहीं आया.

वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील गौरव जैन ने अदालत के फैसले का विरोध किया और कहा कि उनके क्लाइंट के पास किराए का भुगतान करने का कोई साधन नहीं है. बताते चलें कि बीती 22 जुलाई को जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने आदेश दिया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का वादा लागू करने योग्य था.

उन्होंने दिल्ली सरकार को अरविंद केजरीवाल की घोषणा पर फैसला करने के लिए 6 हफ्ते का वक्त दिया था. उन्होंने कहा था कि महामारी के दौरान अरविंद केजरीवाल का प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया वादा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भले ही सिंगल बेंच की जज तक ने इस बात को स्वीकार किया हो कि वादे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मगर अपने वादे को नजरअंदाज कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बता दिया है कि वो नेता ही क्या जो अपनी बातों पर, अपनी जुबान पर खरा उतरे. खैर वो तो भला हो कोर्ट का जिसने जनता को बता दिया है कि अगर नेता कभी कोई वादा करे तो उस वादे को उसे बस एक जुमले की तरह ही लेना चाहिए.

बाकी केजरीवाल अपने को अलग किस्म का नेता कहते हैं और ये बात यूं ही नहीं है. तमाम मुद्दों पर उनके यू टर्न वाक़ई अलग किस्म के होते हैं जो उन्हें देश की राजनीति से जुड़े अन्य नेताओं से अलग करते हैं.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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