Delhi: कोरोना वायरस के मरीजों ने केजरीवाल के दावे की पोल खोल दी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के मुकाबले तैयारियों में दिल्ली (Delhi) चार कदम आगे ही है. लेकिन मरीजों की तेजी से बढ़ती तादाद खुद ही ऐसे दावों की हवा निकाल रही है - फिर कैसे यकीन हो ?
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) दो कम से कम दो काम तो निश्चित तौर पर करते हैं - एक, ट्विटर या वीडियो मैसेज के जरिये लोगों से किसी न किसी बात के लिए अपील और दो, कोई भी काम करने से पहले दिल्ली वालों की राय भी लेते हैं. ये ऐसे काम हैं जिनके बगैर अरविंद केजरीवाल की राजनीति बमुश्किल दो कदम भी आगे बढ़ पाएगी.
ऐसी ही एक अपील में अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवालों (Delhi) को कोरोना वायरस (Coronavirus) से बेफिक्र करते हुए भरोसा दिलाया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार इंतजामों के मामले में चार कदम आगे है. ऐसी अपील और भरोसा तो अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन लगने के बाद प्रवासी मजदूरों से भी की थी - और हालत ये रही कि मजदूरों का कई जत्था तो काफी दिन इंतजार करने के बाद दिल्ली छोड़कर घर लौटने को मजबूर हुआ.
अरविंद केजरीवाल के दावों के बीच ही कम से कम दो खबरें सुर्खियों में छायी रही हैं जिनका सीधा वास्ता कोरोना वायरस से है. दिल्ली के लोकनायक अस्पताल से रिपोर्ट आई थी कि वहां का शवगृह इस हद तक भर चला है कि शवों को जमीन पर और एक दूसरे के ऊपर रखना पड़ रहा है. पता चला अस्पताल की क्षमता सिर्फ 45 शवों की है और 108 पहुंच गये थे. खबरें तो ये भी आईं कि कोविड 19 से होने वाली मौतों के पांच दिन बाद तक अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है और निगमबोध घाट, पंजाबी बाग और दूसरे शवदाह गृहों से शवों को लौटाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब मांगा है.
इसी बीच दिल्ली के ही 67 साल के कोरोना मरीज की मौत पर बवाल मचा हुआ है - कोरोना पीड़ित परिवार का आरोप है कि इलाज और भर्ती के लिए वे अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन इतनी देर हो गयी कि मरीज को बचाया न जा सका.
और ऐसा होते होते दिल्ली में कोरोना संक्रमण के शिकार मरीजों की तादाद 25 हजार से भी ज्यादा हो चुकी है.
दिल्ली में इलाज पर 'आप' की राय मायने रखती है!
दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर अरविंद केजरीवाल ने कहा था, 'दिल्ली में Covid-19 के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, हम इसे स्वीकार करते हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है... मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आप की सरकार कोरोना वायरस से चार कदम आगे है - हम इस महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.'
कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार बता रही है कि दिल्ली में सब ठीक नहीं है
एक मामला दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहने वाले एक सीनियर सिटिजन की है. 67 साल के इस व्यक्ति की कोरोना वायरस के चलते मौत हो चुकी है. पिता की जांच और इलाज में जब मुश्किलें आने लगीं, हेल्पलाइन के नंबरों से कोई मदद नहीं मिल रही थी तो गुरुग्राम में रहने वाली उनकी बेटी अमरप्रीत ने ट्विटर के जरिये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मदद मांगी थी - और आखिरी ट्वीट में ये भी बताया कि उनके पिता इस दुनिया में नहीं रहे.
I lost my father today morning to COVIDwe want other family family members to get tested today only. which labs are not doing they are in danger. We are trying since morning.My mother, brother, his wife and two kids. Pls help.
— Amarpreet (@amar_hrhelpdesk) June 4, 2020
इंडिया टुडे से बातचीत में अमरप्रीत के पति मनदीप ने बताया - 'मेरे ससुर को 26 मई को 100 डिग्री के आसपास बुखार आया और 29 तारीख को हमने एक डॉक्टर के साथ ऑनलाइन परामर्श लिया, जिसने उन्हें 3 दिन के लिए दवाइयां दीं. 31 तारीख को हम गंगा राम अस्पताल गए और एक्सरे करने के बाद उन्होंने कहा कि छाती में संक्रमण है.'
मनदीप के मुताबिक, कोविड टेस्टिंग के लिए ब्लड सैंपल भी लिया गया और सलाह दी गयी कि जब तक नतीता नहीं आ जाता तब तक अस्पताल नहीं आना चाहिये.
रिपोर्ट भी 1 जून को आ ही गयी, लेकिन, मनदीप और अमरप्रीत मैक्स, अपोलो, एम्स, सफदरजंग से लेकर जहां कहीं भी उम्मीद थी हर अस्पताल का दरवाजा खटखटाया, लेकिन लौटा दिये गये. जब तक किसी तरह इलाज मुहैया हो पाया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट है, एलएनजेपी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'आपातकालीन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सर गंगा राम अस्पताल में व्यक्ति की कोविड-19 की जांच हुई थी और एक जून को आई रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई.'
रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि मरीज को अचेत अवस्था में लाया गया और उसका परीक्षण करने के बाद मृत घोषित कर दिया गया.'
दिल्ली सरकार के तैयारियों की पैमाइश एक केस से तो नहीं हो सकती, लेकिन जो मामला व्यवस्था के जमीनी हकीकत से रूबरू कराता है उसके आयाम बड़े विस्तृत हैं. अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि दिल्ली सरकार हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी सीमा को सील करने जा रही है - हफ्ते भर के लिए. समझाया भी कि ऐसा फैसला क्यों लेना पड़ रहा है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'लॉकडाउन खुलने के बाद अगर बॉर्डर भी खोल दिया जायें तो दूसरे राज्यों से लोग दिल्ली आने लगेंगे - क्योंकि हमारे यहां सबसे अच्छी स्वास्थ्य सुविधायें हैं और सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त में होता है.'
अमरप्रीत गुरुग्राम में जरूर रहती थीं, लेकिन उनके पिता दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में, फिर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री को लगता है कि दिल्ली की मुश्किलें बाहर वालों के चलते बढ़ सकती हैं. जब दिल्ली वालों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा हो तो बाकियों के बारे में क्या कहा जाये. दावे तो ऐसे ही किये जाते हैं कि दिल्ली में सीनियर सिटिजन का काफी ख्याल रखा जाता है. अगर वास्तव में ऐसा है तो अमरप्रीत के ट्वीट तो पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.
राजनीति तो थमने से रही
कोरोना वायरस के मुकाबले दिल्ली सरकार के चार कदम आगे होने के दावे को टेस्टिंग को लेकर उसके रूख से आसानी से समझा जा सकता है. दिल्ली सरकार की तरफ से पहले ये दावा किया जा रहा था कि घर घर टेस्टिंग होने लगी है - और संक्रमण की संख्या बढ़ने की एक वजह ये भी है.
ये दलील तो दमदार है. ऐसा शुरू शुरू में केरल के मामले में हुआ था. शुरू में तो पूरे देश में केरल ही एक नंबर पर नजर आने लगा था, लेकिन कुछ दिन बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और गुजरात ने केरल को काफी पीछे छोड़ दिया.
तो क्या इसीलिए प्राइवेट लैब वालों को सरकार ने खास हिदायत दे रखी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने प्राइवेट लैब के मालिकों से कहा है कि वे टेस्टिंग की संख्या कम करें, विशेष रूप से जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नहीं नजर आ रहे हों. दलील ये है कि बगैर लक्षणों वाले या हल्के लक्षणों वाले मरीज टेस्ट करा रहे हैं और पॉजिटिव होने पर अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं - अगर ऐसा हुआ तो अस्पताल ऐसे ही मरीजों से भर जाएंगे और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में मुश्किलें आएंगी.
इससे तो ये लगता है कि पहले तो टेस्टिंग ही नहीं होनी है. अगर टेस्टिंग हो गयी तो मर्ज का लेवल तय होगा कि भर्ती करना चाहिये या किसी और गंभीर मरीज के इंतजार में सामने आये मरीज को घर भेज देना चाहिये - क्या अमरप्रीत के पिता भी ऐसी ही चीजों के शिकार होकर रह गये?
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के अनुसार 5 सरकारी और 3 निजी अस्पतालों को कोरोना अस्पताल बनाया गया है - और 61 अस्पतालों के 20 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रखने का आदेश दिया गया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन पर कोरोना मरीजों के लिए 10 रेल कोच को कोरोना वार्ड में तब्दील कर दिया गया है. हर कोच में 16 बेड हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ साथ डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ और सैनिटाइजेशन वर्कर भी हैं. रेल कोच में भर्ती मरीज अगर ठीक नहीं होता है और डॉक्टर को लगता है कि उसे तुरंत अस्पताल में शिफ्ट किया जाना चाहिये तो उसे कोविड-19 के लिए बनाये गये अस्पताल में भेजा जाएगा.
अमरप्रीत के जरिये अगर दिल्ली के तमाम अस्पतालों और मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से एलएनजेपी अस्पताल का हाल जान चुके हों तो दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के मुंह से जरा राम मनोहर लोहिया अस्पताल की भी शिकायत सुन लीजिये. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की शिकायत है कि RML अस्पताल समय से कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नहीं देता. कहते हैं, 70 फीसदी लोग अस्पताल पहुंचने के 24 घंटे के भीतर मर जा रहे हैं और टेस्ट रिपोर्ट 5 से 7 दिन में आ रही है.
अस्पताल पर कोरोना टेस्ट में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सत्येंद्र जैन कहते हैं, 'राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल ने दिन में 94 प्रतिशत सैंपल को पॉजिटिव बता दिया लेकिन दोबारा करने पर पता चला कि उसमें से 45 प्रतिशत निगेटिव हैं.'
सत्येंद्र जैन ये भी बताते हैं कि इस सिलसिले में वो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सिंह से बात भी कर चुके हैं. सत्येंद्र जैन को शिकायत क्यों है ये तो आप समझ ही गये होंगे - राम मनोहर लोहिया अस्पताल केंद्र सरकार के अधीन है, दिल्ली सरकार के नहीं. अब कोरोना संकट हो या कुछ और राजनीति तो थमने वाली नहीं.
1 जून को अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर दिल्ली के लोगों की राय मांगी थी, 'आप लोग वोट करके बताइये कि क्या बॉर्डर आगे भी सील रखा जाए? क्या दिल्ली के अस्पतालों के बेड दिल्ली के लोगों के लिए ही रिजर्व रखे जायें?'
दिल्ली का बॉर्डर खोले जाए या नहीं ?
मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal आप से इस पर आपकी राय लेना चाहते है।
आप अपने सुझाव शुक्रवार शाम 5 बजे तकईमेल : delhicm.suggestions@gmail.comव्हाट्सएप्प नंबर: 8800007722वॉइसमेल नंबर: 1031 पर भेज सकते है। pic.twitter.com/UMLwAuhnb5
— AAP (@AamAadmiParty) June 1, 2020
डराने लगे हैं दिल्ली के कोरोना से जुड़े आंकड़े
दिल्ली में कोरोना वायरस के फैलाव को जरा पॉजिटिविटी रेट के जरिये समझने की कोशिश करते हैं. पॉजिटिविटी रेट हर 100 टेस्ट में कंफर्म आने वाले केस के नंबर से तय होता है. पूरे देश में फिलहाल ये 6.41 फीसदी हो चुका है. हाल तक ये 5 फीसदी ही रहा. यानी, हर 100 टेस्टिंग में पहले 5 केस पॉजिटिव पाये जाते रहे और अब ये संख्या 6.41 हो चुकी है. पॉजिटिवटी रेट में भी देश में महाराष्ट्र ही सबसे आगे हैं - 18 फीसदी. देश के टॉप 5 कोरोना प्रभावित राज्यों में दिल्ली का नंबर महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद अभी तीसरे पायदान पर है. दिल्ली के बाद कतार में गुजरात है.
पॉजिटिविटी रेट के मामले में जो बात सबसे ज्यादा डरा रही है वो है उसका अचानक डबल हो जाना. 7-21 मआई के बीच दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 7 फीसदी दर्ज किया गया था, लेकिन 19 मई से 1 जून के आंकड़े बताते हैं कि ये 14 फीसदी हो गया है.
गुजरात में पॉजिटिविटी रेट 9 फीसदी से 8 फीसदी पर आ गया है, जबकि बिहार में ये 5 से बढ़ कर 9 फीसदी पहुंच चुका है. ऐसा माना जा रहा है कि बाहर से लोगों के लौटने के कारण बिहार में संक्रमण बढ़ा है, फिर तो दिल्ली से लोगों के लौट जाने के बाद तो संक्रमण की दर अपनेआप घट जानी चाहिये - लेकिन ऐसा न होना ही सबसे बड़ी चिंता की बात है. यही वजह है कि सरकारी दावों की हकीकत फसाना लगने लगती है.
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