Delhi elections में केजरीवाल के पक्ष में कैसे पलटा जातिगत समीकरण, जानिए...
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) के बाद आए एग्जिट पोल (Delhi Exit poll) ने दिखा दिया है कि ऐसे कौन से जातिगत समीकरण (Caste Equation in Delhi Election) बने, जो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की विजय का रास्ता प्रशस्त करते दिख रहे हैं.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) के एग्जिट पोल (Delhi Exit poll) के नतीजे हैरान करने वाले आए हैं. एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल (India Today-Axis My India exit poll) के मुताबिक दिल्ली में झाड़ू चल गया है और ऐसा चला है कि सब कुछ साफ हो गया है. कांग्रेस (Congress) का तो नामोनिशां इस बार भी नहीं दिख रहा, भाजपा (BJP) भी पिछली बार से भी बुरी तरह हार सकती है. खैर, भाजपा की हार कितनी बड़ी होगी इसका पता तो 11 फरवरी को नतीजे आते ही चल ही जाएगा, लेकिन ये तय है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जीत रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर अरविंद केजरीवाल ने इस बार भी इतनी बड़ी जीत कैसे पा ली? जैसा कि हर चुनाव में जातिगत समीकरण (Caste Equation in Delhi Election) एक बड़ा रोल अदा करते ही हैं तो इस चुनाव में वो कौन से जातिगत समीकरण बने, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की विजय का रास्ता प्रशस्त कर दिया? आइए जानते हैं एग्जिट पोल के अनुसार किस जाति ने दिया केजरीवाल का साथ और किसने मोदी (Narendra Modi) को जिताने की कोशिश की.
दिल्ली चुनाव में ऐसे जातिगत समीकरण बने कि अरविंद केजरीवाल की जीत का रास्ता प्रशस्त हो गया.
मुस्लिमों ने केजरीवाल के लिए की एकतरफा वोटिंग
अरविंद केजरीवाल को भी ये पता था और खुद पीएम मोदी को भी कि मुस्लिम इसी तरह वोट करेंगे. पहले नागरिकता संशोधन कानून लाने और उसमें मुस्लिमों को शामिल ना करने को लेकर मुस्लिम समुदाय मोदी-शाह से नाराज था. उसके बाद मोदी सरकार ने शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों को गद्दार कह डाला. मोदी सरकार के मंत्रियों के बयानों ने आग में घी का काम किया. अनुराग ठाकुर ने नारा लगवाया 'देश के गद्दारों को, गोली मारे @#$% को', तो प्रवेश वर्मा ने कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्लीवालों के घरों में घुस कर मां-बहनों का रेप कर देंगे और हत्या कर देंगे. जनाब, ये शाहीन बाग वाले सालों से यहीं रह रहे हैं, किसी ने दिल्लीवालों के घरों में घुस कर रेप नहीं किया. मुस्लिमों के प्रति मोदी सरकार का इतना नकारात्मक और नफरत भरा रवैया था तो उनके वोट तो भाजपा के खिलाफ जाने ही थे. वहीं दूसरी ओर, इस बार कांग्रेस कहीं भी सीन में नहीं दिख रही थी तो मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद करने से अच्छा भाजपा को हराने के लिए अपने वोट सीधे आम आदमी पार्टी को दे दिए. एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल के मुताबिक 69 फीसदी मुस्लिम वोट आप के खाते में गए और 15 फीसदी मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया. भाजपा के खाते में सिर्फ 9 फीसदी वोट ही आए. वैसे अगर भाजपा को और भी कम मुस्लिम वोट मिलते तो हैरानी की बात नहीं होती.
भाजपा का पूर्वांचल कार्ड भी नहीं चला
दिल्ली में करीब 35 फीसदी पूर्वांचली रहते हैं. माना जाता है कि दिल्ली की करीब 27 ऐसी सीटें हैं, जहां पर जीत-हार पूर्वांचली वोटों से ही तय होती है. इन्हें ही साधने के मकसद से भाजपा ने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को बनाया था, लेकिन वह कुछ खास कमाल नहीं कर सके. समय-समय पर मनोज तिवारी ने ये भी दिखाने की कोशिश की कि अरविंद केजरीवाल यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ हैं, लेकिन वह दाव भी दिल्ली चुनाव में काम नहीं आया. एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल के अनुसार 55 फीसदी पूर्वांचलियों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया है. हां 36 फीसदी ने भाजपा पर भी भरोसा दिखाया है. मनोज तिवारी का जादू काफी फीका रहा.
दिल्ली चुनाव में जातिगत समीकरण कुछ ऐसे बने.
ब्राह्मण और जाट-गुर्जर बीजेपी के साथ
अगर एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल को देखें तो पता चलता है कि ब्राह्मण और जाट समुदाय के लोगों ने अपना पूरा भरोसा भाजपा पर दिखाया. भाजपा को 57 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट दिया, जबकि केजरीवाल को सिर्फ 35 फीसदी ब्राह्मणों ने पसंद किया. कांग्रेस को तो सिर्फ 5 फीसदी ब्राह्मणों के ही वोट मिले.
इसके अलावा जाट समुदाय के भी 57 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया, जबकि आम आदमी पार्टी को 36 फीसदी वोट मिले.
वहीं गुर्जर समुदाय से सबसे अधिक वोट भाजपा को मिले हैं. 64 फीसदी लोगों ने भाजपा को अपनी पहली पसंद बताया है, जबकि 31 फीसदी ने आम आदमी पार्टी को अपना कीमती वोट दिया.
सामान्य वर्ग बंट गया
वहीं दूसरी ओर सामान्य वर्ग के लोगों ने आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों पर भरोसा दिखाया. जहां भाजपा को सामान्य वर्ग के 45 फीसदी वोट मिले, वहीं आम आदमी पार्टी ने 50 फीसदी वोट हासिल कर लिए. यानी सामान्य वर्ग ने भी भाजपा से अधिक आम आदमी पर भरोसा दिखाया, भले ही ये अंतर महज 5 फीसदी का क्यों ना हो.
पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और वाल्मीकि समुदाय आप के साथ
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और वाल्मीकि समुदाय को आम आदमी पार्टी पसंद है. पिछले वर्ग के 54 फीसदी वोट आम आदमी पार्टी को मिले, तो 38 फीसदी वोट भाजपा को मिले. वहीं वाल्मीकि समुदाय के 67 फईसदी वोट आम आदमी पार्टी के खाते में गए, जबकि 18 फीसदी ने भाजपा को वोट दिया. बता दें कि सफाई कर्मचारियों की मौत पर उनके परिजनों को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की घोषणा अरविंद केजरीवाल ने अपने मेनिफेस्टो में की थी. हो सकता है कि उसी की वजह से इतना अधिक वोट आम आदमी पार्टी को मिला है. इनके अलावा अनुसूचित जाति के भी 65 फीसदी लोगों ने केजरीवाल पर अपना भरोसा दिखाया, जबकि 24 फीसदी लोगों ने भाजपा को अपनी पसंद बनाया.
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