Delhi Police vs Lawyers: पुलिस की कार्रवाई पर पुलिस को ही भरोसा नहीं!
Delhi police मुख्यालय पर शुरुआत में जिस तरह 6 अधिकारियों के आने के बावजूद प्रदर्शन कर रहे पुलिस वाले टस से मस नहीं हुए. वो ये बता देता है कि पुलिस वालों को, पुलिस वालों की कार्रवाई और उनके आश्वासन पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है.
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Delhi police और वकीलों के बीच की झड़प का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. वकील और पुलिस दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ गए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. सहकर्मियों के साथ हुई मारपीट से अहात पुलिस वालों ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर धरना दिया और विभाग के सामने अपनी कुछ मांगें रखी. प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों के मामले में सबसे दिलचस्प बात ये रही कि 6 सीनियरों अफसरों ने इन्हें समझाने बुझाने का प्रयास किया. मगर ये अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए. अपनी 6 मांगें मनवाने के लिए दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए पुलिसवालों ने भले ही धरना ख़त्म कर दिया हो. लेकिन इस धरने ने न सिर्फ दिल्ली. बल्कि भारत भर को पुलिस विभाग का असली चेहरा दिखा दिया है. जैसे एक के बाद एक विभाग के आला अधिकारी प्रदर्शन कर रहे इन पुलिस वालों से मिले और जिस तरह इन्होंने, उन्हें नजरंदाज किया. साफ़ पता चलता है कि पुलिस की कार्रवाई का पुलिस को ही भरोसा नहीं है.
पुलिस वाले भी जानते हैं कि विभाग की विभाग की कार्यप्रणाली कैसी है इसलिए उन्होंने लिखित में जवाब मांगा
कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों की मांग समझ लेना जरूरी है. धरना दे रहे जवानों का मत था कि निचले कर्मचारियों के लिए भी पुलिस एसोसिएशन हो. निलंबित पुलिस अधिकारियों को बहाल किया जाए. साथ ही उनका ये भी कहना था कि घायल पुलिस अधिकारियों को बेहतर इलाज और मुआवजा मिले. सुप्रीम कोर्ट में HC के आदेश के खिलाफ अपील की जाए साथ ही पुलिसकर्मी के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति की पहचान हो.
Delhi: Police personnel hold candlelight protest at Delhi Police Headquarters. pic.twitter.com/OLkoU0USvm
— ANI (@ANI) November 5, 2019
मामला किस हद तक बढ़ गया था इसे हम स्पेशल पुलिस कमिश्नर आरएस कृष्णा के हस्तक्षेप से भी समझ सकते हैं. स्पेशल पुलिस कमिश्नर आरएस कृष्णा ने प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों से घर जाने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि, प्रदर्शनकारियों की सभी मांगों पर विचार किया जा रहा है.साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि इस घटना में जो भी पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, उनका इलाज दिल्ली पुलिस कराएगी. साथ ही घायलों को 25 हजार रुपए मुआवजा भी दिया जाएगा.
Correction: Special Commissioner of Police Delhi, *Satish Golcha: All the policemen who were injured in #TisHazariClash will be given a compensation of at least Rs 25,000 by #DelhiPolice. I request all of you to please return to your duty points. pic.twitter.com/8C79ujGpn4
— ANI (@ANI) November 5, 2019
अपने साथ हुई मारपीट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों का तर्क था कि आला अधिकारी जो कुछ भी कह रहे हैं या जो भी आश्वासन उन्हें दिया जा रहा है वो उन्हें लिखित में दिया जाए. तब प्रदर्शनकारियों का ये भी तर्क था कि जब तक ये तमाम आश्वासन उन्हें लिखित में नहीं मिलते वो ये विरोध प्रदर्शन ख़त्म नहीं करेंगे. भले ही देश भर के पुलिस के आला अधिकारियों से दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे पुलिसवालों को समर्थन मिल रहा हो मगर मामले में सबसे दिलचस्प बात है खुद पुलिस का रवैया.
Himachal Pradesh Indian Police Service (IPS) Association condemns violence against police Personnel at the Tis Hazari Court in Delhi and expresses complete solidarity with Police personnel in Delhi. pic.twitter.com/XV7DHF9nKh
— ANI (@ANI) November 5, 2019
गौर करने वाली बात ये है कि प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों ने लिखित में बातें मांगीं हैं. यानी खुद-ब-खुद ये बात साफ़ हो गई है कि पुलिस वाले, पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. कह सकते हैं कि पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली और आश्वासनों का भली भांति अंदाजा है. मौके पर पहुंचकर भरोसा दिलाना उनका रामबाण है, जो आज तक शायद ही कभी चूका है. प्रदर्शनकारी पुलिसवाले इस बात को जानते थे कि बड़े साहब अभी तो मीठी मीठी और दिल रखने वाली बातें कर रहे हैं मगर जब मौका आएगा तो यही होंगे जो सबसे पहले अपने हाथ पीछे खीचेंगे.
पुलिस वालों ने लिखित में आश्वासन मांगा है. इसे जानकर हमें हैरत में नहीं पड़ना चाहिए. हर वो शख्स जो अपने जीवन में किसी छोटी बड़ी परेशानी के मद्देनजर थाने गया है सबने ये झेला है. वहां यही होता रहा है. वहां यही होता रहेगा. अब जबकि प्रदर्शन ख़त्म हो गया है तो देखना दिलचस्प रहेगा कि पुलिस वालों को इंसाफ मिलता है या फिर वो वैसे ही थाने थाने भटकेंगे जैसा इस देश का आम आदमी भटकता है.
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