Delhi riots live: अब मामला CAA protester vs पुलिस नहीं, हिंदू बनाम मुस्लिम हो गया है
सीएए के विरोध (Anti-CAA Protest) में जो आग एक बार फिर दिल्ली (Delhi Violence) में उठी है और जैसे समर्थक (CAA Supporters) और विरोधी आमने सामने हुए हैं. लड़ाई, विरोधी बनाम पुलिस (Delhi Police) नहीं अब हिंदू बनाम मुस्लिम हो गई है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत आना (Donald Trump India Visit 2020) भर था. नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध प्रदर्शनों (Anti CAA Protest) को हवा मिल गई. राजधानी दिल्ली में फिर एक बार विरोध प्रदर्शनों ने दंगे (Delhi riots violence) का रूप लेना शुरू कर दिया है. विवाद की शुरुआत उस वक़्त हुई जब पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद (Jafarabad) में कानून के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स के सामने वो लोग आए जो सरकार के इस कानून का समर्थन कर रहे थे. दोनों ही पक्षों के आमने सामने आने के बाद हालत बेकाबू हुए और टकराव की स्थिति बनी. जैसे जैसे समय बीता नारेबाजी ने उग्र रूप लिया. नतीजा ने निकला कि पुलिस की मौजूदगी में दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव किया. गोली चली. घरों में लूटपाट हुई. वाहनों, घरों, दुकानों को आग के हवाले किया. लोगों को घेरकर मारा गया. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, गौतमपुरी, भजनपुरा, चांद बाग, मुस्तफाबाद, वजीराबाद और शिव विहार जैसे हिस्सों में मचे ताजे बवाल में अब तक दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल समेत 7 लोगों की मौत हो गई है और तकरीबन 100 लोग घायल हुए हैं. आगे स्थिति और वीभत्स न हो इसलिए प्रशासन भी हरकत में आया है और अगले एक महीने तक इन सभी इलाकों में स्कूलों को बंद करके परीक्षाओं को स्थगित कर धारा 144 लगा दी गई है. हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) समेत सभी पार्टियों के प्रतिनिधि की एक बैठक बुलाई है जिसमें सभी ने इस बात पर बल दिया कि दंगाइयों के विरुद्ध सख्त से सख्त एक्शन लिया जाना चाहिये और शांति स्थापित करनी चाहिए.
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और पुलिस पर पथराव करती कानून के विरोध में सड़कों पर उत्पात मचाती भीड़
पूर्वी दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, गौतमपुरी, भजनपुरा, चांद बाग, मुस्तफाबाद, वजीराबाद और शिव विहार में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के उग्र रूप लेने के बाद जिस बात की आशंका जताई जा रही थी वही हुआ है. ध्यान रहे कि पहले टकराव एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स और पुलिस के बीच था आम लोगों ने इससे दूरी बनाई हुई थी लेकिन अब ऐसा नहीं है. हालात जो बदले हैं और जैसे स्थिति बद से बदतर हुई है उसकी एक बड़ी वजह अब आम नागरिकों का इसमें शामिल होना माना जा रहा है.
दिल्ली में मचे बवाल के बाद एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है. आरोप प्रत्यारोप जारी हैं विपक्ष जहां एक तरफ इन बिगड़े हालात के लिए आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहरा रहा है कि ये दंगा पूर्व आप नेता और वर्तमान में भाजपा से जुड़े कपिल मिश्रा के उस भाषण के बाद भड़का जहां उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में न सिर्फ उग्र भाषण दिया बल्कि ये तक कहा कि यदि पुलिस शाहीनबाग और जाफराबाद में बंद सड़कों को नहीं खोलती तो फिर सड़कों पर आया जाएगा.
Need 10K plus Retweets. RT this post if you support Kapil Mishra ????#ISupportKapilMishrapic.twitter.com/FtXCeHfvye
— Sir Jadeja Fan (@SirrrJadeja) February 23, 2020
वहीं एक वर्ग वो भी है जो दिल्ली में फैली इस अराजकता के लिए एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के उस भाषण को भी जिम्मेदार मान रहा है जो अभी हाल ही में उन्होंने कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में दिया था. ध्यान रहे कि बैंगलोर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पार्टी सुप्रीमो असदउद्दीन ओवैसी ने एक रैली का आयोजन किया था जिसने बोलते हुए पार्टी के नेता वारिस पठान ने ऐसा बहुत कुछ कह दिया जिसके नतीजे के रूप में हम दिल्ली को जलते हुए और लोगों को मरते हुए देख सकते हैं.
यहाँ देश की अदालतें वार्ताकार भेज-भेज कर गुज़ारिशें करवा रही हैं कि रास्ता ख़ाली कर दो. वहाँ ये बता रहे हैं कि हम पंद्रह करोड़ ही सौ करोड़ पर भारी हैं! ये है गंगा-जमुनी तहज़ीब इनकी!pic.twitter.com/SnZQd8U7ud
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) February 20, 2020
दिल्ली में हुई इस हिंसा ने इतना विभत्स रूप क्यों लिया इसकी एक बड़ी वजह उन तमाम सोशल मीडिया हैंडल्स को माना जा सकता है जो लगातार भड़काऊ तस्वीरें, वीडियो इत्यादि शेयर कर रहे हैं और तनाव की आग में खर डालने का काम कर रहे हैं.
From ground zero walking right towards the epicentre of violence between Jaffrabad/Maujpur area of north-east Delhi.
On one side are anti-CAA protesters from Jaffrabad & on the other side are pro-CAA protesters from Maujpur.
I report @TheQuint *Deleted this by mistake. pic.twitter.com/YOuam4MFD4
— Aishwarya S Iyer (@iyersaishwarya) February 24, 2020
ये देखना अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोशल मीडिया पर एक अलग ही तरह का एजेंडा चलाया जा रहा है. मामला सामने आने के बाद लोग अपनी सुचिता और सुविधा के हिसाब से इस हिंसा को परिभाषित कर रहे हैं जिसका नतीजा ये निकल रहा है कि हिंसा की ये आग थमने के बजाए लगातार बढ़ती जा रही है और दिल्ली के साथ साथ पूरे देश को प्रभावित कर रही है.
Hindu and Sikh houses under attack in Delhi by Islamist mobs. #DelhiRiots pic.twitter.com/mEnkiCbRx0
— Santosh Ranjan Rai (@SantoshRanjan_) February 25, 2020
जिक्र मामले पर एजेंडा चलाने का हुआ है तो फ़िलहाल सोशल मीडिया इसमें सबसे तेज नजर आ रहा है.
If you will see the today most of the news papers and digital media are showing 1st pic and not 2nd why because they are looking rose in his hand not gun. #IslamicTerrorism#DelhiRiots #ShahrukhTerrorist pic.twitter.com/rWG2MzxRE2
— Puru Patel (@ImPuruPatel) February 25, 2020
मामले ने फिर एक बार दिल्ली पुलिस को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो हैं जिनमें साफ़ तौर से देखा जा सकता है कि दिल्ली पुलिस दंगाइयों को संरक्षण दे रही है और जो कुछ भी अराजकता फैल रही है उसकी एक बड़ी वजह दिल्ली पुलिस का रवैया है.
How many more proofs are required to prove state sponsored violence.?
Police is clearly seen leading the mob for stone pelting & violence.This is ridiculous & can't be tolerated.
The Supreme Court must interfere & take suo moto cognizance of this brutal rampage.#DelhiRiots pic.twitter.com/YEmPDWTWtY
— Irfan Qureshi CPJ (@IrfanQureshiCPJ) February 25, 2020
दिल्ली में हुई हिंसा के इस ताजे मामले में ऐसे भी तमाम वीडियो आये हैं जिनमें हम एक्शन के बाद पकड़े गए लोगों को बीच सड़क पर पुलिस द्वारा टॉर्चर करते हुए देख रहे हैं.
The national anthem will never be the same ever again.@DelhiPolice SHAME ON YOU!! #DelhiRiots #AmitShahMustResign pic.twitter.com/YvfkmAXntF
— Swati Singh (@itssinghswati) February 24, 2020
मामले में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत भी एक बड़े मुद्दे की तरह बहार आ रही है जिसपर भी राजनीति तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर ऐसी तमाम प्रोफाइल हैं जिन्होंने अपनी डीपी में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की तस्वीर लगाई है और मांग की जा रही है कि उसकी हत्या में जिम्मेदार लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाए.
Not a single Tweet on Constable Ratan Lal's Martyrdom,bcoz he's a hindu & that won't attract attention,Hipocrasy!shame on u Occassional Secularists.U r the one those r seeding seeds of hatred among people,by differentiating b/w lives,giving preference to one while ignoring other
— Mr. Anonymous Ji (@MrAnonymousJi) February 25, 2020
नागरिकता के नाम पर दोनों ही पक्षों की अराजकता का ये मामला इतना पेचीदा है कि अभी इसपर कुछ कहना जल्दबाजी है. लेकिन जिस तरह अब ये मामला पुलिस बनाम कानून के विरोधी न होकर कानून के विरोधी बनाम कानून के समर्थक हुआ है खौफ्नाम स्थिति पैदा हो गई है. अब जबकि इतना सब हो चुका है इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि चिंगारी लग चुकी है और अभी ये आग और फैलेगी और क्या दोषी क्या निर्दोष सभी इसकी चपेट में आएंगे.
ऐसा नहीं है कि इससे बचा नहीं जा सकता मगर बचने के लिए हमें सवाल अपने आप से करना होगा. हमें ये देखना होगा कि कहीं इस आग में एक चिंगारी हमारी तो नहीं है.
तमाम सवाल है जिनका जवाब खुद जनता को देना चाहिए और इस बात का फैसला करना चाहिए कि क्या यही वो भारत है जिसकी कल्पना हमारे पुरखों ने की थी? होने को इस सवाल के जवाब तमाम हो सकते हैं मगर एक ईमानदारी भरा जवाब शायद न है. ये सावधान रहने और अफवाहों से बचने का वक़्त है अगर अफवाहों से बचने के लिए हमने अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण कर लिया तो निश्चित तौर पर सब सही हो जाएगा वरना ये आग लग चुकी है आगे और फैलेगी और इसकी चपेट में निर्दोष और उनके परिवार आएंगे.
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