क्या वाकई एनटीआर की पीठ में छुरा घोंपा था चंद्रबाबू नायडू ने? पूरी कहानी...
एक ओर राम गोपाल वर्मा और दूसरी ओर पीएम मोदी, दोनों ही चंद्रबाबू नायडू को अपने ससुर की पीठ में छुरा घोंपने वाला शख्स कह रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर इसमें कितना सच है? एन टी रामा राव की जिंदगी के पन्ने इसका सच जाहिर कर देंगे.
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एक ओर ट्विटर पर राम गोपाल वर्मा अपनी आने वाली फिल्म Lakshmi's NTR का प्रमोशन कर रहे हैं और उसके ट्रेलर के रिलीज होने का दिन, तारीख और समय बता रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के गुंटूर में पीएम मोदी रैली कर रहे हैं. दोनों ही बातों में एक समानता है. दोनों ही जगह एक खास बात का जिक्र सामने आ रहा है. एन. टी. रामा राव यानी NTR की पीठ में उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू द्वारा छुरा घोंपने का.
पीएम मोदी ने अपनी रैली में कहा है कि चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एन टी रामा राव की पीठ में छुरा घोंपा, वहीं दूसरी राम गोपाल वर्मा कह रहे हैं उनकी फिल्म 'Lakshmi's NTR' एन टी रामा राव और उनकी दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती की लव स्टोरी है, जिसमें विश्वासघात करने वाले परिवार, निष्ठा न रखने वाले फॉलोअर और पीठ में छुरा घोंपने वाले धोखेबाजों को दिखाया गया है. ये फिल्म 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के मौके पर रिलीज होगी, जिसमें राम गोपाल वर्मा चंद्रबाबू नायडू की जिंदगी के विवादित पहलुओं को सामने ला सकते हैं.
My tweet GV FILMS releasing trailer of the most dynamic love story ever of NTR and Lakshmi parvathi on Feb 14 th Valentine’s Day at 9.27 AM #LakshmisNTR is a love story mixed with ungrateful families disloyal followers nd backstabbing betrayers..GET READY FOR THE TRUE STORY pic.twitter.com/ygT0xNDIJU
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) February 9, 2019
राम गोपाल वर्मा ने तो पीएम मोदी के भाषण का एक वीडियो ट्वीट करते हुए ये भी लिखा है कि पीएम मोदी उनकी फिल्म Lakshmi's NTR का प्रमोशन कर रहे हैं.
Here is the clip ???????? pic.twitter.com/P2RBymQg51
— Vote for FAN ???????? ☢️ (@urstrulyvik) February 10, 2019
एक ओर राम गोपाल वर्मा और दूसरी ओर पीएम मोदी, दोनों ही चंद्रबाबू नायडू को अपने ससुर की पीठ में छुरा घोंपने वाला शख्स कह रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर इसमें कितना सच है? आखिर एन टी रामा राव की कहानी क्या है? क्या वाकई चंद्रबाबू नायडू ने एन टी रामा राव की पीठ में छुरा घोंपा? और अगर ऐसा किया तो क्यों? चलिए इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए पलटते हैं एन टी रामा राव की जिंदगी के पन्ने.
NTR: फिल्म से राजनीति का सफर
28 मई 1923 को मद्रास में जन्मे एन टी रामा राव ने 1949 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा और कई शानदार फिल्में दीं. धीरे-धीरे उनका रुझान राजनीति में होने लगा और 29 मार्च 1982 को हैदराबाद में उन्होंने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) की शुरुआत की. उनका फिल्मी करियर समाप्त हो गया था और वह पूरी तरह से राजनीति में आ चुके थे. 1983 में वह पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और लगातार तीन बार कुर्सी पर काबिज रहे. 1985 में उनकी पहली पत्नी का कैंसर से निधन हो गया और फिर उनकी जिंदगी में आईं लक्ष्मी पार्वती. उनकी मुलाकात एन टी रामा राव से उनकी जीवनी लिखने के सिलसिले में हुई थी और फिर देखते ही देखते दोनों में प्यार हो गया और बात शादी तक जा पहुंची. इसके बाद 1993 में 38 साल की लक्ष्मी पार्वती और 70 साल से अधिक की उम्र के एन टी रामा राव ने शादी कर ली. और यहीं से शुरू हो गई रामा राव परिवार में उथल-पुथल.
लक्ष्मी पार्वती के आते ही सब बदल गया
एन टी रामा राव का लक्ष्मी पार्वती से शादी करने का फैसला ना तो उनके 7 बेटों और 3 बेटियों को अच्छा लगा, ना ही दामादों को. 1994 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मी पार्वती हमेशा रामा राव के साथ रहती थीं और जब पार्टी 294 में से 214 सीटें के साथ जीती, तो इसका श्रेय लक्ष्मी को भी मिला. एक ओर लक्ष्मी ये सोच रही थीं कि अब राजनीति में उनकी भी सक्रिय भूमिका हो सकती है, वहीं दूसरी ओर लकवा मारने की वजह से रामा राव अपनी पत्नी पर निर्भर हो गए थे. अब चुनाव में पारंपरिक सीट 'तेकाली' खाली हो गई थी, जिस पर लक्ष्मी भी चुनाव लड़ना चहती थीं और रामाराव के बेटे हरिकृष्ण ने भी उस सीट पर अपना दावा ठोंक दिया. बस यहीं से परिवार का विवाद जगजाहिर होने लगा. आखिरकार एनटीआर ने किसी तीसरे को ही उस सीट से चुनाव लड़ाया और इस विवाद को निपटा दिया.
लक्ष्मी पार्वती और एनटीआर की शादी से न तो उनके बेटे-बेटी खुश थे, ना ही दामाद और पार्टी कार्यकर्ता.
चंद्रबाबू ने एनटीआर की पीठ में घोंपा छुरा
जैसे-जैसे लक्ष्मी का पार्टी में दखल बढ़ना शुरू हुआ, उनको 'अम्मा' कहने वाले पार्टी के विधायक और सांसद भी उनके ही खिलाफ खड़े हो गए. जहां एक ओर रामा राव हमेशा अपनी पत्नी लक्ष्मी पार्वती के साथ खड़े रहते थे, वहीं उनके बेटे, बेटी और दामाद ने बगावत कर दी. इस बगावत की अगुवाई की थी चंद्रबाबू नायडू ने, जो उस दौरान रामा राव सरकार में मंत्री थे. ये साफ दिखने लगा कि परिवार एन टी रामा राव के खिलाफ हो गया है और अब सत्ता उसी के हाथ में रहेगी, जो बड़ा नेता है, जो चंद्रबाबू नायडू थे. जिस एन टी रामा राव ने टीडीपी को खड़ा किया था, चंद्रबाबू नायडू ने न सिर्फ उन्हें सरकार के प्रमुख के तौर पर बेदखल कर दिया, बल्कि पार्टी से भी निकाल दिया. तब हालात ऐसे थे कि कुल 214 विधायकों में से मुश्किल से दो दर्जन विधायक ही एन टी रामा राव के साथ थे. आखिरकार एन टी रामा राव ने अपने परिवार से सार्वजनिक रूप से सारे संबंध तोड़ लिए और चंद्रबाबू नायडू को 'पीठ में छुरा घोंपने वाला धोखेबाज' और 'औरंगजेब' कहने लगे. 18 जनवरी, 1996 को हैदराबाद में 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली.
एन टी रामा राव की जो कहानी अभी आपने पढ़ी, इसी की झलक आपको राम गोपाल वर्मा की फिल्म में भी मिलेगी. वो बात अलग है कि फिल्म में हर चीज को थोड़ा मसालेदार बनाकर परोसा जाएगा, आखिर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का भी तो ख्याल रखना है. राम गोपाल वर्मा ने फिल्म का नाम Lakshmi's NTR रखा है, क्योंकि लक्ष्मी के आने के बाद ही रामा राव परिवार में सारी उथल-पुथल शुरू हुई. वहीं पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में अपने भाषण में चंद्रबाबू नायडू को पीठ में छुरा घोंपने वाला कहा, एन टी रामा राव की कहानी से वो बात भी सच साबित हो जाती है.
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