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Updated: 21 अक्टूबर, 2015 08:55 PM
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दादरी में गाय के लिए एक शख्स की हत्या कर दी जाती है. और पूरे देश की राजनीति इस घटना के इर्द-गिर्द घूमने लगती है. इस घटना के 25 दिन बाद ही देश की राजधानी दिल्ली में चूहे के लिए एक शख्स को मार दिया जाता है. और खबर लोकल होकर रह जाती है. जबकि दोनों ही घटनाओं में मरने वाले मुस्लिम हैं. कहीं कोई हंगामा नहीं होता. कोई नेता नहीं हिलता. कोई बयान नहीं आता.

ऐसा क्यों ? गाय एक चौपाया जानवर है. चूहा भी है. गाय हिंदूओं की मां है, तो चूहा कौन सा कम है! देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश की सवारी है चूहा. क्या यह संभव है कि बिना चूहे को भोग लगाए किसी हिंदू की गणेश पूजा पूर्ण हो जाए! यूं कह लें कि हमारे धर्म का आधार ही चूहा है - चूहा है तो भगवान गणेश हैं और भगवान गणेश हैं, तभी धर्म है. ऐसी महान चूहा प्रजाति के लिए सस्ता जैसा सस्ता शब्द! चूहे के लिए ऐसे सस्ते शब्दों के प्रयोग से क्या हमारे महान हिंदू धर्म का अपमान नहीं हुआ है? क्या मूषक महाराज की प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए हमारे नेताओं को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए?

लेकिन नहीं! अफसोस की बात है कि इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा. न नेता, न अफसर. और तो और, मरने वाले को चार फ्लैट तो छोड़िए, एक तक देने का वादा भी नहीं किया केजरीवाल सरकार ने. अरे जनाब, जिस उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले तक आप रहते थे, कम से कम वहीं के सीएम अखिलेश यादव की तरह आपको भी मृतक के परिवार वालों को एकाध फ्लैट तो दे ही देने चाहिए थे. या यह मान लिया जाए कि आप हिंदू नहीं हैं... और अगर हैं तो क्या यह मान लिया जाए कि आप भगवान गणेश और उनके मूषक महाराज में आस्था नहीं रखते.

पता नहीं क्यों, लेकिन मेरे मन में जातिगत सवाल आ रहे हैं. क्या गाय को ब्राह्मण और चूहा को दलित मान लिया है हमारे हिंदू समाज ने? गाय के सेवन को मुसलमानों से जोड़ दिया गया है, इसलिए यह आपत्तिजनक है, जबकि चूहे को बिहार-उत्तर प्रदेश की दलित जाति मूसहर सदियों से चख रही है तो उस पर आपत्ति नहीं है? या ऐसा सिर्फ शारीरिक आकार के कारण हुआ है?

मृतक की आत्मा को शांति मिले. क्योंकि उसकी हत्या से ही सही, समाज में और खासकर हिंदू धर्म में, चूहे को लेकर आस्था के आंडबर का भंडाफोड़ हुआ है या कहिए आंख खुली है. इसे रोकना होगा, लोगों को जागृत करना होगा. बस बहुत हुआ. मूषक बचाओ आंदोलन की शुरुआत करने वाला हूं - जंतर-मंतर से. आरएसएस हो या विश्व हिंदू परिषद या फिर बीजेपी ही सही! सभी को साथ देना होगा - वरना विनाश तय है. गाय-गाय बहुत हुआ.

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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