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Updated: 09 मार्च, 2018 09:39 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच के तल्ख रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं. लेकिन इसी बीच यह खबर सामने आ रही है कि किम जोंग ने डोनाल्ड ट्रंप को मिलने को न्योता भेजा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ दिन पहले जिनमें बात-बात पर परमाणु हमला करने की धमकियों का दौर तक चल पड़ा था, अब उन दोनों के बीच मई में मुलाकात होगी, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग का न्योता स्वीकार कर लिया है. दोनों की मुलाकात पूरी दुनिया के लिए बेहद खास और चौंकाने वाली है, क्योंकि यह किसी खगोलीय घटना से कम नहीं है. किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग की मुलाकात हो सकती है, लेकिन अब ऐसा ही होने वाला है. यह पहली बार होगा जब अमेरिका के राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के शासक के बीच मुलाकात होगी.

किम जोंग उन, डोनाल्ड ट्रंप, उत्तर कोरिया, अमेरिका

ऐसा क्या था न्योते में, जो ट्रंप मिलने को राजी हो गए?

लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि उत्तर कोरिया का जो शासक (किम जोंग उन) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फूटी आंख नहीं सुहाता था, उससे मिलने को ट्रंप राजी कैसे हुए? दरअसल, सोमवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुंग ईयू-योंग ने किम जोंग से मुलाकात की थी. व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान उन्होंने ही किम जोंग के इस न्योते को ट्रंप के सामने रखा. योंग ने पत्रकारों को बताया कि किम जोंग ने परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु या मिसाइल परीक्षणों को रोकने पर प्रतिबद्धता भी जाहिर की है. संभवतः यही वो कारण है, जिसके चलते डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुलाकात के लिए हामी भरी है.

लेकिन क्या मुलाकात हो पाएगी?

जिस दिन ट्रंप ने किम जोंग के न्योते के स्वीकार किया, उसी दिन अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर 'केमिकल एंड बायोलॉजिकल वेपन्स कंट्रोल एंड वॉरफेयर एलिमिनेशन एक्ट 1991' के तहत प्रतिबंध लगा दिए. यह प्रतिबंध किम जोंग उन के सौतेले भाई किम जोंग नैम की हत्या में रासायनिक हथियार का इस्तेमाल करने को लेकर लगाए गए हैं. बताया जा रहा है कि किम जोंग नैम की हत्या में वीएक्स नाम के घातक रसायन का इस्तेमाल किया गया था. आपको बता दें कि 13 फरवरी 2017 को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के हवाई अड्डे पर किम जोंग नैम की हत्या हुई थी, जिसकी जांच खत्म होने के बाद ये प्रतिबंध लगाया गया है. अब सवाल ये है कि क्या प्रतिबंध लगाने के बावजूद उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच बातचीत संभव हो सकेगी. देखिए कैसे हुई थी किम जोंग नैम की हत्या.

क्यों अहम होगी ये मुलाकात?

पिछले कुछ महीनों में किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप ने एक दूसरे को लेकर ऐसी आक्रामक टिप्पणियां की थीं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता था मानो युद्ध का माहौल तैयार हो रहा हो. नया साल शुरू होती है किम जोंग ने इशारों-इशारों में डोनाल्ड ट्रंप को धमकाने के लहजे में कहा था कि उन्होंने परमाणु हथियार बना लिया है और उसका बटन हमेशा उनकी डेस्क पर रहता है. इसके दो दिन बाद ट्रंप ने जवाब दिया था कि उनकी डेस्क पर भी बटन है, जो किम जोंग के बम से कहीं बड़े बम का है और वह काम भी करता है. ऐसे में एक दूसरे को नेस्तनाबूत करने पर उतारू दो बड़े नेता आपस में मिलेगें, तो यह किसी ऐतिहासिक घटना से कम नहीं होगा.

ईरान जैसा हाल तो नहीं हो जाएगा !

जिस तरह ईरान के साथ पहले समझौता हुआ और फिर अब डोनाल्ड ट्रंप उस समझौते के खिलाफ हो गए हैं, कहीं ऐसा ही उत्तर कोरिया के साथ तो नहीं होगा? ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करने के लिए राजी हुआ था, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उसके ऊपर लगे प्रतिबंधों को हटाया था. अब ट्रंप से अमेरिका कांग्रेस ने पूछा है कि वह इस बात पर यकीन करते हैं या नहीं कि ईरान परमाणु समझौते पर अमल कर रहा है. अगर ट्रंप का जवान 'ना' रहा तो ईरान खिलाफ नए प्रतिबंधों पर फैसला होगा. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर उत्तर कोरिया के साथ अमेरिका का कोई समझौता हो भी गया, तो आखिर उसी सीमा क्या होगी? कितने दिनों तक वह समझौता चल सकेगा?

न ट्रंप कम हैं, ना किम जोंग उन

जहां एक ओर किम जोंग उन तानाशाह शासक के तौर पर काफी शक्तिशाली माने जाते हैं और उनके पास तमाम परमाणु हथियार भी हैं. वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप की छवि भी न झुकने वालों में शुमार है. किसी भी समझौते का पहला नियम यही होता है कि दोनों की पक्षों को थोड़ी-थोड़ी नरमी दिखानी होती है. अब जो नेता एक दूसरे को परमाणु हमले की धमकियां देते हैं, वो आखिर कितनी और कब तक नरमी दिखाएंगे, ये देखने वाली बात होगी. वहीं अमेरिका के हालिया प्रतिबंध का जवाब अभी उत्तर कोरिया से आना बाकी है. हो सकता है कि अमेरिका के प्रतिबंध से किम जोंग उन का पारा चढ़ जाए और वह मिलने-मिलाने की बात भूलकर फिर से परमाणु हमले की धौंस दिखाना शुरू कर दें.

जापान का डर और भी बढ़ रहा है

जब जापान और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का समर्थन किया था तो किम जोंग उन ने जापान को डुबोने और अमेरिका को राख और अंधेरे में बदल देने की धमकी दी थी. यहां बताते चलें कि इससे कुछ दिन पहले ही उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से एक मिसाइल दागी थी, जिसे जापान ने अपने लिए एक अभूतपूर्व खतरा बताया था. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का मानना है कि बातचीत के न्योते के पीछे उत्तर कोरिया की चाल हो सकती है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी बातचीत की प्रक्रिया के दौरान मिले समय में उत्तर कोरिया ने उस समय का फायदा उठाकर परमाणु हथियार और मिसाइलें तैयार की थीं और हो सकता है इस बार भी वह ऐसा करे. शिंजो आबे को डर है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइलों को हटाने के लिए उत्तर कोरिया को राजी कर लेंगे, लेकिन जापान तक मार करने वाली मिसाइलों के लिए उनका रवैया नरम रह सकता है. ऐसे में अगर बातचीत से अमेरिका और उत्तर कोरिया साथ मिल भी जाते हैं तो भी जापान की मुश्किल कहीं से कहीं तक कम होती नहीं दिखती.

चीन कर रहा बातचीत की पैरवी

चीन के विदेश मंत्री ने अमेरिका और उत्तर कोरिया से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द बातचीत शुरू करें. वह बोले कि इससे परमाणु संकट के समाधान को लेकर सभी पक्षों की गंभीरता पता चलेगी. उत्तर कोरिया पर अगर कोई संकट आता है तो चीन को मजबूरी में उसकी मदद करनी ही होगी, क्योंकि 1961 से ही दोनों देशों के बीच ऐसा समझौता है. इसे बीच-बीच में बढ़ाया भी गया जो अब 2021 तक है. इस समझौते के अनुसार अगर उत्तर कोरिया पर कोई बाहरी आक्रमण होता है तो चीन को उत्तर कोरिया की मदद के लिए सेना भेजनी होगी. अब चीन भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर दे रहा है और परमाणु संकट की इस स्थिति को बातचीत से हल करना चाहता है.

खैर, डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग उन से मिलने के लिए हामी तो भर दी है, लेकिन अभी इस मुलाकात को करीब 3 महीने बाकी हैं. दोनों की मुलाकात मई के आखिरी सप्ताह में हो सकती है. सवाल ये है कि क्या वाकई ये मुलाकात हो पाएगी? या फिर उससे पहले ही कोई नया बखेड़ा खड़ा हो जाएगा? ये देखना दिलचस्प होगा कि मुलाकात होने तक दोनों देशों के बीच फिर से कोई तनाव ना पैदा हो जाए, वरना दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की ये ऐतिहासिक मुलाकात महज एक सपना बनकर रह जाएगी.

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