नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी क्या सोचते हैं मोदी सरकार की नीतियों के बारे में!
अभिजीत बनर्जी के मुताबिक गरीबी उन्मूलन की दिशा में मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है. भारत में एक अच्छा राजनीतिक माहौल भी बना है, जिसमें सरकार से जनता सीधे तौर पर जुड़ रही है.
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भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उनके साथ ही एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को भी सम्मानित किया गया है. तीनों अर्थशास्त्रियों को 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए सम्मानित किया गया है. इकोनॉमिक साइंसेज कैटिगरी के तहत यह सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. फिलहाल वो अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं. वह अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब के को-फाउंडर भी हैं. अभिजीत बनर्जी भारत में भी गरीबी उन्मूलन को लेकर एक आशावादी विचार रखते हैं. वो ये मानते हैं कि भारत सरकार फिलहाल गरीबी को खत्म करने के लिए अच्छे तरीके से काम कर रही है. करीब दो साल पहले उन्होंने मोदी सरकार की तमाम नीतियों को लेकर खुलकर अपने विचार रखे थे. आइये जानते हैं कि मोदी सरकार के कामकाज को वो किस तरह से देखते हैं.
अभिजीत बनर्जी के मुताबिक गरीबी उन्मूलन की दिशा में मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है.
गरीबी उन्मूलन पर अच्छा काम कर रही है मोदी सरकार
भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर अभिजीत बनर्जी मोदी सरकार की नीतियों की सराहना करते हैं. वह कहते हैं कि पीएम मोदी ने गरीबी उन्मूलन के लिए कोई नई योजना शुरू नहीं की. वो उन्हीं योजनाओं को दूसरे तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं, जो पहले से ही चल रही थीं. पीएम मोदी का पूरा फोकस नई योजनाओं की शुरुआत करने के बजाय पुरानी योजनाओं को सही तरीके से लागू करने और उसका लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने पर है. इसके लिए वो नई टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं, ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोगों को तमाम योजनाओं का लाभ मिले. इसके लिए वह आधार के जरिए तमाम योजनाओं को जोड़कर उसका लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं, जो बहुत अच्छी बात है.
गैरजरूरी सब्सिडी को खत्म किया जाए
अभिजीत बनर्जी मानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी सब्सिडी हैं जो नुकसानदेह हैं. इसमें निवेश के अपेक्षा फायदे बहुत कम हैं. जैसे- किसानों को मिलने वाली खाद सब्सिडी. इस सब्सिडी का लाभ किसानों के बजाय खाद कारखानों के मालिकों को ज्यादा मिल रहा है. सब्सिडी का लाभ किसानों को उस अनुपात में नहीं मिल पा रहा, जिस अनुपात में उन्हें मिलना चाहिए था. लेकिन फर्टिलाइजर लॉबी सरकार पर हावी है. इसी तरह देश में कई ऐसी सब्सिडी दी जा रही हैं, जिसे बंद करने की आवश्यकता है.
भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल
भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर उनका मानना है कि यहां प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमराई हुई है. इसके कारण जिला और उच्च स्तर के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ ज्यादा है, जिससे वहां की व्यवस्था भी खराब हो गई है. खासकर उत्तर भारत के राज्यों में हालात इतने खराब हैं कि अगर आपका एक्सिडेंट हो जाता है तो आप सरकारी अस्पतालों में जाने की सोचेंगे भी नहीं, आपको प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है.
कॉर्पोरेट को मिल रहा है ज्यादा पैसा
अभिजीत बनर्जी के मुताबिक भारत में कॉर्पोरेट सेक्टर के मुकाबले गरीबी हटाने वाले कार्यक्रमों में कम पैसे खर्च हुए हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ देश में बहुत सी कंपनियों पर लाखों करोड़ का एनपीए है. इससे बैंकों से धोखधड़ी भी बढ़ी है. दूसरी तरफ गरीबी हटाने वाली योजनाओं का बजट हजार करोड़ में होता है. हालात ये हैं कि देश की कुल जीडीपी का 40 फीसदी हिस्सा सिर्फ कॉर्पोरेट सेक्टर में जा रहा है.
गरीबी रेखा का स्तर बढ़ाने की जरूरत
अभिजीत का मानना है कि भारत में पोवर्टी लाइन (गरीबी रेखा) के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. यहां गरीबी रेखा कम से कम 2 डॉलर प्रतिदिन की इनकम के हिसाब से तय होनी चाहिए, क्योंकि एक डॉलर से ज्यादा की आय तो किसी कंस्ट्रक्शन के काम में लगे लेबर की भी हो जाती है. इसके साथ ही लोगों की क्रय शक्ति की क्षमता यानी पर्चेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के स्तर को भी बढ़ाना चाहिए और इसके आधार पर गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम चलाना चाहिए, जो सरकार के लिए एक चुनौती है. वहीं उन्होंने यूनिवर्सल बेसिक इनकम (जिस पर पिछले चुनाव में राहुल गांधी खूब जोर दे रहे थे) पर कहा कि फिलहाल इसे लागू कर पाना मुमकिन नहीं है, लेकिन भविष्य में ऐसा किया जा सकता है.
नोटबंदी को लोगों ने सही माना
नोटबंदी पर अभिजीत बनर्जी मानते हैं कि मोदी सरकार के इस कदम से कितना लाभ हुआ, कितना नुकसान ये डिबेट का विषय हो सकता है, लेकिन इससे एक अच्छी राजनीति की शुरुआत जरूर हुई, क्योंकि सरकार के इस फैसले से लोग जुड़े. एक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर व्यापारी ये मान रहे थे कि नोटबंदी से उनके व्यापार में 20 फीसदी तक की गिरावट आई, लेकिन उन्होंने ये भी माना कि ये फैसला देश के लिए अच्छा है. इस फैसले से आम लोग भी परेशान हुए, लेकिन लोग इस बात से खुश थे कि जिन लोगों ने ढेर सारा करोड़ों रुपए का काला धन जमा किया है, उनकी अब खैर नहीं. कुल मिलाकर पीएम मोदी अपनी राजनीति से देश के लोगों को जोड़ने में कामयाब रहे, जिससे एक अच्छी और प्रभावशाली राजनीति का वातावरण बना है. अभिजीत बनर्जी ने ये सारी बातें एक मीडिया चैनल में चर्चा के दौरान कही थीं. उनकी इन बातों को भले ही करीब दो साल गुजर चुके हैं, लेकिन अब उन्हें नोबल पुरस्कार मिलने के बाद ये बातें साफ दिखा रही हैं कि वह मोदी सरकार की नीतियों और राजनीति के बारे में क्या सोचते हैं.
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