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Updated: 07 दिसम्बर, 2018 10:45 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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2014 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान आए दिन पीएम मोदी रॉबर्ट वाड्रा को दामादश्री कहते हुए नजर आते थे. उनका इशारा सीधे वाड्रा की राजस्‍थान और हरियाणा की लैंड डील को लेकर होता था. एन चुनाव के दौरान 27 अप्रैल 2014 को एक संवाददाता सम्मेल में रविशंकर प्रसाद, जेपी नड्डा और बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने 'दामादश्री' नाम की एक आठ मिनट की फिल्म दिखाई थी. उसमें वाड्रा के लिए घोटालों का बादशाह, देश का सौदागर और किसानों का अपराधी जैसे शब्द भी इस्तेमाल हुए. अपने हर चुनाव प्रचार में पीएम मोदी से लेकर हर भाजपा नेता रॉबर्ट वाड्रा की बात करता नजर आता था. फिर पार्टी सरकार में आई. साढ़े चार साल बीते. अब जब 2019 के चुनाव नजदीक हैं तो वाड्रा फिर खबरों में आ गए हैं. पांच विधानसभा चुनावों में हुए मतदान और उसके रुझान पर चर्चा शुरू हुई ही थी कि ब्रेकिंग न्यूज चैनलों की सुर्खी बनने लगी. वाड्रा के दिल्‍ली और बेंगलुरु स्थि‍त ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापे मारे हैं.

सोनिया गांधी के दामाद और पेशे से बिजनेसमेन रॉबर्ट वाड्रा पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीकानेर में हुई लैंड डील को लेकर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगियों के दफ्तरों में दिल्ली और बेंगलुरु में ईडी की टीम जा पहुंची. आपको बता दें कि इससे पहले ईडी की तरफ से बीकानेर लैंड डील मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ समन भी जारी किया जा चुका है और उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था.

रॉबर्ट वाड्रा, बीकानेर, राजस्थान चुनाव 2018, कांग्रेसईडी रक्षा सौदे में कमीशन लेने का मामला दर्ज कर के वाड्रा के खिलाफ जांच कर रहा है.

वकीले बोले- 'सबूत बनाए जा रहे हैं'

ईडी की कार्रवाई के खिलाफ रॉबर्ट वाड्रा के वकील ने कहा- 'ईडी की टीम ने सभी लोगों को ऑफिस में बंद कर दिया है. किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं है. क्या ये सब सही है? क्या ये कोई जेल है? पिछले साढ़े चार सालों से ईडी छानबीन कर रही है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला है. यही वजह है कि अब वह हमें बाहर रख रहे हैं और हमारे खिलाफ सबूत बनाए जा रहे हैं.'

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 5 राज्यों में हो रहे इन विधानसभा चुनावों में हारती भाजपा घबराकर अपना पुराना हथियार इस्तेमाल कर रही है. वह रॉबर्ट वाड्रा पर कार्रवाई कर के लोगों का ध्यान बांटने की कोशिश कर रही है. साथ ही वह बोले कि इस तरह की कार्रवाई से न तो कांग्रेस डरेगी, ना ही इस तरह जनता की उम्मीदों को कुचला जा सकता है.

आखिर मामला क्या है?

चुनावी सीजन में अचानक रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई की वजह है एक लैंड डील. राजस्थान के बीकानेर जिले के कोलायात में एक लैंड डील हुई थी, जिसमें कथित रूप से कमीशन की बातें सामने आई हैं. इस डील में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी 'स्‍काई लाइट हॉस्पिटेलिटी' ने पहले जमीन खरीदी थी और फिर सात गुना अधिक दामों में दिल्‍ली स्थित 'एलेजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड' को बेच दी थी. मामले के तार एक कंपनी 'भूषण पावर' से भी जुड़े बताए जा रहे हैं, जिसने 2011-12 में 'एलेजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड' को 5.64 करोड़ का लोन दिया था. आरोप है कि इसी लोन के पैसे से बीकानेर में स्थित वो जमीन खरीदी गई थी. वहीं ईडी के अधिकारियों के अनुसार स्काईलाइट ने 72 लाख रुपए में 69.55 हेक्टेयर जमीन खरीदी और इसे एलेजेनी फिनलीज को करीब 5.15 करोड़ रुपए में बेचा. इस तरह उन्होंने 4.43 करोड़ रुपए का फायदा कमाया.

दरअसल, जिस जमीन को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है वह आर्मी की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज की वजह से विस्थापित होने वाले लोगों को बांटी जानी थी. यही वजह है कि इस मामले में ईडी रक्षा सौदे में कमीशन लेने का मामला दर्ज कर के जांच कर रहा है. स्थानीय तहसीलदार की ओर से फर्जीवाड़े की शिकायत की गई थी, जिसके बाद 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट' के तहत 2015 में ईडी ने इस मामले में वाड्रा के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर किया.

2015 में रद्द की गई डील

जनवरी 2015 में राजस्थान सरकार ने 3744 हेक्टेयर की इस के लैंड ट्रांसफर को रद्द कर दिया. शिकायत हुई कि आवंटन अवैध तरीके से किया गया, जिसके चलते लैंड ट्रांसफर रद्द किया गया. तहसीलदार ने जो शिकायत की थी, उसके अनुसार फायरिंग रेंज के लिए बीकानेर के 34 गांवों की जमीन लैंड माफिया ने फर्जी दस्तावेजों के बल पर हथिया ली थी. यह भी आरोप लगे थे कि उसमें सरकारी अफसरों की सांठ-गांठ थी. यहां आपको बता दें कि उस दौरान राजस्थान में कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, इसलिए यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे रॉबर्ट वाड्रा को गैर-कानूनी तरीके से फायदा पहुंचाया गया.

भले ही कांग्रेस और रॉबर्ट वाड्रा इस मामले में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार न होने की बात कह रहे हैं, लेकिन ईडी किसी की बात मामने को तैयार नहीं है. ईडी लगातार छापे कर रही है और सच तलाशने में जुटी है. वहीं दूसरी ओर, चुनावी सीजन के दौरान अचानक वाड्रा पर ईडी का शिकंजा कसना लोगों की भौंहें तो ऊंची कर ही रहा है.

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