योगी का 'नाम-वापसी अभियान' जब यूपी से निकलकर तेलंगाना पहुंचा...
फैजाबाद, अयोध्या, मुगलसराय का नाम बदलने वाले योगी का 'नाम-वापसी अभियान' तेलंगाना चुनाव के बहाने हैदराबाद पहुंच गया. देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव के बाद भी योगी के अभियान का कोई नतीजा निकलेगा?
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तेलंगाना चुनाव के बाद जल्द ही इस बात का फैसला हो जाएगा कि नई सरकार किसकी बनेगी और कौन सत्ता सुख भोगेगा. तेलंगाना चुनाव के मद्देनजर यदि वहां हुई अलग-अलग रैलियों का अवलोकन किया जाए तो कई दिलचस्प तथ्य निकलकर हमारे सामने आते हैं. उन्हीं तथ्यों में से एक मजेदार तथ्य है योगी आदित्यनाथ का 'नाम-वापसी अभियान'. अपने प्रदेश में कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रखने में नाकाम योगी आदित्यनाथ तेलंगाना में पार्टी की तरफ से चुनाव प्रचार कर रहे थे और वहां भी उन्होंने उसी बात को दोहराया जिसके लिए वो जाने जाते हैं और अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तेलंगाना के दो शहरों के नाम बदलने की बात कहकर सुर्खियां बटोर ली हैं
तेलंगाना के करीमनगर जिले और निजामाबाद के बोधन नगर में पार्टी की तरफ से चुनाव प्रचार करने आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि भाजपा ने तेलंगाना में सरकार बनाई तो वह लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए हैदराबाद का नाम बदलकर उसे 'भाग्यनगर' और करीमनगर जिले का नाम बदलकर उसे 'करीपुरम' करेगी.
रैली में योगी ने खुद ही अपनी पीठ थपथपाई. अपनी बधाई करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि तेलंगाना में भाजपा सरकार बनती है तो हैदराबाद का नाम बदलकर ‘भाग्यनगर' किया जाएगा जैसे आपने उत्तर प्रदेश में देखा. हमने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया है. केवल भाजपा यह काम कर सकती है. क्योंकि भाजपा ही है जो आपकी संस्कृति, परंपराओं, विरासत और आपके पूर्वजों का सम्मान करती है और भारत की व्यवस्था को आगे ले जाना चाहती है.'
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ शासित भाजपा सरकार कई स्थानों के नाम बदल चुकी है. इसमें इलाहाबाद को प्रयागराज, फैजाबाद को अयोध्या और मुगलसराय को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन करना शामिल है. गौरतलब है कि जब योगी की इस योजना के बारे में राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को बताया गया तो उन्होंने इसे बेवकूफी करार दिया और कहा कि, योगी जो भी कर रहे हैं वो वोट बैंक पॉलिटिक्स का हिस्सा है. राव के अनुसार योगी आम हिन्दू वोटर की भावना से खेल रहे हैं और ऐसा करके उनका एकमात्र उद्देश्य जीत हासिल करना है.
योगी के आलोचकों का मानना है कि योगी केवल हिंदू हितों की बात करना जानते हैं
योगी की नाम वापसी की बातों और उन बातों पर जिस तरह से टीआरएस चीफ के अलावा ओवैसी बंधु प्रतिक्रिया दे रहे हैं कई सारे प्रश्नों का उठना और उनके जवाब तलाश करना स्वाभाविक है. बात अगर 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा की हो तो, यहां पर मस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं और सरकार बनाने से लेकर सरकार गिराने तक का हुनर रखता है. बात अगर हैदराबाद की हो तो राज्य की कुल मुस्तिम आबादी का 1.7 फीसदी हिस्सा हैदराबाद और उसके आस पास के क्षेत्रों में वास करता है. माना जाता है कि जो भी दल राज्य के मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब होता है यहां सत्ता सुख वही हासिल करता है.
बात जब ऐसी हो तो मुस्लिम हित साधना या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की बातें करना सभी दलों के लिए लाजमी हो जाता है. क्या टीआरएस, क्या एमआईएम और कांग्रेस वर्तमान में सभी दल मुस्लिम हित साधने में लगे हुए हैं. उपरोक्त बातें खुद-ब-खुद ये बताने के लिए काफी हैं कि आखिर क्यों नाम वापसी के नाम पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को तेलंगाना लाया गया.
ज्ञात हो कि योगी आदित्यनाथ को तुष्टिकरण के माहिर खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है. चाहे उनकी रैलियां हों या रवैया वो हिंदू हितों की बातों को प्रमुखता से बल देते हैं. ऐसे में अगर उनकी बात का असर हो गया तो तेलंगाना में भाजपा की सरकार न बनने के बावजूद योगी आदित्यनाथ की मांग जोर पकड़ती रहेगी. 'नाम-वापसी' के नाम पर वहां यदि एक बड़ा आंदोलन भी हो गया तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी जीत माना जाएगा. बल्कि ये भी कहा जाएगा जिस मकसद के साथ योगी को तेलंगाना लाया गया वो मकसद सौ प्रतिशत कामयाब साबित हुआ.
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