फारूक अब्दुल्ला ने तो और उलझा दिया - राहुल 'गांधी' हैं या 'शंकराचार्य'?
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) अपने अंतिम पड़ाव जम्मू-कश्मीर पहुंच चुकी है. कन्याकुमारी से कठुआ पहुंचे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की तुलना फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने शंकराचार्य से कर डाली है - आखिर उनको वो गांधी जैसे क्यों नहीं लगते?
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भारत जोड़ो यात्रा के पूरे रास्ते ठंड ने तो नहीं डराया, लेकिन बारिश ने अपना प्रभाव दिखा ही दिया. बारिश इतनी भी असरदार नहीं रही कि यात्रा रोक दे, लेकिन सिर्फ टीशर्ट में ही यात्रा करने की उनकी जिद तो तोड़ ही डाली है.
राहुल गांधी की सिर्फ जिद ही नहीं टूटी, बल्कि सोशल मीडिया पर राजनीतिक विरोधियों ने ट्रोल भी किया. विरोधियों के कैंपेन को काउंटर करने के लिए कांग्रेस को सोशल मीडिया पर ही सफाई भी देनी पड़ी.
कहा जाने लगा था कि राहुल गांधी ने आखिरकार जैकेट पहन ही डाली. राहुल गांधी अपनी सफेद टीशर्ट को लेकर लगातार चर्चा में रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान बार बार उनसे टीशर्ट को लेकर सवाल पूछे जाते रहे - और हर बार राहुल गांधी ने अलग अलग जवाब दिया. एक बार तो ये भी बताया कि एक दिन उनके पास फटे कपड़ों में तीन लड़कियां आयीं - और उसी दिन वो तय कर लिये कि जब तक कांपने नहीं लगते टीशर्ट ही पहनेंगे.
असल में राहुल गांधी की टीशर्ट की कीमत को लेकर सोशल मीडिया पर ही काफी चर्चा होने लगी थी. ये असल में राहुल गांधी के ही पुराने स्लोगन सूट-बूट की सरकार का रिएक्शन रहा. राहुल गांधी काफी दिनों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूट बूट की सरकार कह कर टारगेट करते रहे हैं.
और फिर राहुल गांधी ने अपने खिलाफ कैंपेन के जवाब में टीशर्ट में ही बने रहने का वैसे ही फैसला कर लिया, जैसे उनके ही स्लोगन 'चौकीदार चोर है' के खिलाफ 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था.
दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने पत्रकारों को कुछ ऐसे भी समझाने की कोशिश की कि कोई भी स्वेटर या जैकेट ठंड से बचने के लिए नहीं पहनता, बल्कि ठंड के डर से पहनता है. और वो चूंकि किसी से भी नहीं डरते, ठंड से भी नहीं डरते.
बीच में एक बार कुछ लोगों ने राहुल गांधी के टीशर्ट के बटन बंद होने पर भी सवाल उठाये और एक तस्वीर को क्रॉप कर क्लोज शॉट भी शेयर किया - ऐसा करके ये दिखाने की कोशिश रही कि राहुल गांधी टीशर्ट के नीचे थर्मल वियर पहनते हैं.
बहरहाल, राहुल गांधी के खिलाफ जैकेट वाला कैंपेन ज्यादा देन नहीं चल सका - क्योंकि बारिश बंद होते ही वो फिर से अपनी टीशर्ट में पदयात्रा करने लगे. असल में बारिश होने पर राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान कुछ देर के लिए रेनकोट पहन लिया था. राहुल गांधी के साथ चल रहे लोगों ने तो अपने जैकेट के हुड भी ऊपर कर लिये थे, लेकिन राहुल गांधी बारिश में भीगते, खुले सिर ही पदयात्रा करते रहे.
जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने से पहले ही राहुल गांधी ने बोल दिया था कि वो अपने पूर्वजों की सरजमीं पर जा रहे हैं - और कांग्रेस नेता के कठुआ पहुंचते ही नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने राहुल गांधी की तुलना शंकराचार्य से कर डाली है - फारूक अब्दुल्ला के बयान का कोई राजनीतिक मतलब भी है क्या?
फारूक अब्दुल्ला को राहुल में गांधी क्यों नहीं दिखे?
शुरू से देखें तो कांग्रेस के रणनीतिकारों की कोशिश राहुल को 'गांधी' बनाने की ही लगी. भारत जोड़ो यात्रा के रूट को लेकर भी काफी सवाल उठे. ये सवाल भारत जोड़ो यात्रा के रूट में चुनावी राज्यों को शामिल न किये जाने को लेकर भी हुए थे. हर सवाल का कांग्रेस की तरफ से जवाब देकर शांत कराने की कोशिश भी हुई.
भारत जोड़ो यात्रा के साथ मंजिल के करीब पहुंचे राहुल गांधी
सवाल लेफ्ट जैसे सहयोगी दलों की तरफ से भी उठाये गये कि आखिर केरल में लंबा प्रोग्राम रखने की क्या जरूरत रही. मतलब जो पार्टियां पहले से ही बीजेपी के विरोध में खड़ी हैं, उनको कमजोर करने की जरूरत क्यों पड़ रही?
भारत जोड़ो यात्रा को भी कांग्रेस की तरफ से महात्मा गांधी की पदयात्रा की तरह पेश करने की कोशिश की गयी, फिर तो साफ है कि राहुल गांधी को भी महात्मा गांधी की तरह ही पेश किया गया.
कांग्रेस की ही तरफ से समझाया गया कि महात्मा गांधी भी तो कांग्रेस के एक बार ही अध्यक्ष रहे, लेकिन बाद में भी वो कांग्रेस के नेता बने रहे. ठीक वैसे ही राहुल गांधी भी कांग्रेस का अध्यक्ष न होने के बावजूद नेता बने रहेंगे. बहरहाल, अब तो गांधी परिवार से अलग के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बन चुके हैं - और कांग्रेस नेताओं की पुरानी दलील से ही समझें तो नेता तो कांग्रेस के राहुल गांधी ही हैं.
लेकिन राहुल गांधी के जम्मू-कश्मीर पहुंचते ही, कश्मीरी नेता फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस नेता की तुलना शंकराचार्य से कर डाली है. वैसे तो फारूक अब्दुल्ला ने शंकराचार्य का नाम इसलिए भी लिया है, क्योंकि वो भी कन्याकुमारी से ही कश्मीर पहुंचे थे - लेकिन राजनीति में कोई भी नेता यूं ही कोई बयान नहीं देता.
हर नेता के बयान का खास मतलब होता है. फारूक अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को वैसे ही पेश किया है, जैसे कांग्रेस की तरफ से उनको जनेऊधारी, शिवभक्त हिंदू नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश पहले से होती रही है.
जम्मू कश्मीर में राहुल गांधी का स्वागत करते हुए फारूक अब्दुल्ला कहते हैं, 'सदियों पहले शंकराचार्य यहां आये थे... वो तब चले, जब सड़कें नहीं थीं, लेकिन जंगल थे... वो कन्याकुमारी से पैदल चलकर कश्मीर गये थे... राहुल गांधी दूसरे व्यक्ति हैं... उसी कन्याकुमारी से यात्रा निकाली और कश्मीर पहुंच रहे हैं.'
क्या फारुक अब्दुल्ला अपनी तरफ से राहुल गांधी को हिंदुत्व की राजनीति के उसी फ्रेम में ला दिये हैं, जिसका वो अक्सर जिक्र भी करते रहते हैं. ये तो देखा ही गया है कि महंगाई पर बुलाई गयी कांग्रेस की रैली में हिंदुत्व की भी व्याख्या कर चुके हैं.
अपनी व्याख्या में राहुल गांधी, महात्मा गांधी को हिंदुत्व से जोड़ कर पेश करते हैं, जबकि उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को हिंदुत्ववादी बताते हैं. और अगले ही पल वो संघ और बीजेपी नेताओं को भी हिंदुत्ववादी बोल उसी कैटेगरी में डाल देते हैं. जैसे हाल ही में अपनी तरफ वालों को राहुल गांधी पांडव बता रहे थे, और राजनीतिक विरोधी संघ और बीजेपी वालों को कौरव.
तो क्या समझा जाये, और कैसे समझा जाये? राहुल गांधी गांधी के करीब हैं या शंकराचार्य के? महात्मा गांधी तो सेक्युलर राजनीति के आइकॉन हैं, जबकि शंकराचार्य हिंदुत्व की राजनीति वाले खेमे से जोड़े जाएंगे.
क्या फारूक अब्दुला भी राहुल गांधी को सेक्युलर नेता की जगह हिंदू नेता मानने लगे हैं? या फिर कांग्रेस के समर्थक दलों ने राहुल गांधी में बीजेपी के मुकाबले अपना हिंदू नेता खोज लिया है?
तपस्वी या जननायक?
फारूक अब्दुल्ला की ही तरह सुधींद्र कुलकर्णी ने राहुल गांधी को तपस्वी बताया था. सुधींद्र कुलकर्णी एक जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के सहयोगी रह चुके हैं. हालांकि, आडवाणी के जिन्ना पर दिये गये बयान के बाद से उनकी राहें अलग हो गयी थीं.
“May God Protect #RahulGandhi”This is how I end my essay, in which I describe why I called Rahul a ‘Tapasvi’ after walking with him in the #BharatJodoYatra.Read me @TheQuint https://t.co/45iEVCCgib
— Sudheendra Kulkarni (@SudheenKulkarni) January 6, 2023
कुलकर्णी की तरह तो नहीं, लेकिन आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने अपने ट्वीट में परोक्ष रूप से राहुल गांधी को तपस्वी ही बताया है. अपने ट्वीट में जयंत चौधरी ने भारत यात्रियों को तपस्वी कह कर संबोधित किया था. और राहुल गांधी ने भी भारत जोड़ो यात्रा में भारत यात्री के रूप में ही हिस्सा लिया है. वो तो इस बात से भी इनकार करते रहे हैं कि वो भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व भी कर रहे हैं. भारत यात्री उन यात्रियों को बताया गया है जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा करते पहुंचे हैं.
राहुल गांधी की यात्रा को लेकर ट्विटर पर जयंत चौधरी लिखा है, "तप कर ही धरती से बनी ईंटें छू लेती हैं आकाश! भारत जोड़ो यात्रा के तपस्वियों को सलाम! देश के संस्कार के साथ जुड़ कर उत्तर प्रदेश में भी चल रहा ये अभियान सार्थक हो और एक सूत्र में लोगों को जोड़ता रहे!"
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई बार राहुल गांधी कांग्रेस 'जननायक' भी बताती रही है. जम्मू कश्मीर पहुंचने से पहले ही राहुल गांधी ने देश की जनता के नाम एक चिट्ठी लिखी थी, और भारत जोड़ो यात्रा को अपने लिए तपस्या जैसा बताया था. मतलब, वो खुद को भी करीब करीब तपस्वी मानने लगे हैं - क्या 'फकीर' से मुकाबले के लिए 'तपस्वी' बनना पड़ता है?
भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मंच शेयर करने से पहले राहुल गांधी को जम्मू-कश्मीर में तिरंगा भी फहराना है - और वो लाल चौक पर नहीं, क्योंकि वो तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे में आता है?
लेकिन शंकराचार्य से राहुल गांधी की तुलना करने वाले फारूक अब्दुल्ला कश्मीर समस्या सुलझाने और आतंकवाद से मुक्ति पाने के लिए भारत को पाकिस्तान से बात करने की सलाह देते हैं - तब ये समझना भी मुश्किल हो जाता है कि उनका एजेंडा क्या है?
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