मोदी की फिल्म में 'करण थापर' कौन बनेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बन रही फिल्म में मोदी की भूमिका तो विवेक ओबेरॉय निभा रहे हैं. लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि इस फिल्म में पत्रकार करण थापर का रोल कौन करेगा, जिसके सवाल सुनकर पानी पीने को मजबूर होंगे.
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लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आ रही फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' का फर्स्ट लुक और फिल्म में एक्टर विवेक ओबेरॉय का महत्वपूर्ण किरदार निभाना दोनों ही चर्चा में है. फिल्म के इस फर्स्ट लुक ने तमाम बहस को नए आयाम दे दिए हैं. फिल्म को लेकर जहां एक तरफ तमाम तरह की बातें अभी से शुरू हो गई हैं. तो वहीं दूसरी तरफ कई जरूरी सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं. लोग जानने को आतुर हैं कि क्या फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने मोदी से जुड़े सिर्फ सुखद पलों को ही पर्दे पर उतारा है, या मोदी के कड़वे अनुभव भी इसका हिस्सा हैं?
प्रधानमंत्री मोदी और मीडिया के बीच रिश्ता हमेशा से 'कॉम्प्लिकेटेड' रहा है. खासतौर पर गुजरात दंगों के बाद से उनसे जब-जब तीखे सवाल पूछे गए, वे असहज हो गए. लेकिन इस रिश्ते में सबसे तल्खी उस समय आई जब कि एक टीवी चैनल के लिए इंटरव्यू लेते हुए पत्रकार करण थापर ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि आखिर मोदी वह इंटरव्यू आधा छोड़कर चले गए. उस इंटरव्यू को लेकर कई तरह की चर्चाएं मीडिया में आईं. लेकिन अब जब मोदी पर फिल्म ही आ रही है, तो करण थापर के रोल की भी चर्चा होनी ही थी.
करण थापर के साथ हुए इंटरव्यू को नरेंद्र मोदी के जीवन का एक अहम अंग माना जाता है
लोग ये जानने को बेकरार हैं कि क्या इस फिल्म में 2002 में हुए दंगों और उन दंगों के दौरान हुई मौतों का जिक्र होगा? क्या इस फिल्म में वो 3 मिनट का इंटरव्यू दिखाया जाएगा जिसमें मोदी सवाल सुनकर इतना परेशान हो गए थे कि उन्हें न सिर्फ पानी पीना पड़ा बल्कि इंटरव्यू तक छोड़ के जाना पड़ा था.
2007 में टीवी चैनल के लिए इंटरव्यू के सिलसिले में पीएम मोदी (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) स्टूडियो में थे और जो शख्स उनका इंटरव्यू ले रहा था वो और कोई नहीं बल्कि भारतीय मीडिया में स्थापित नाम करण थापर थे. उन्होंने बड़ी होशियारी से मोदी की तारीफ करते हुए गुजरात के विकास की बात की, और फिर चर्चा को गुजरात दंगों की ओर ले गए. वे मोदी की घेराबंदी करते रहे, और मोदी सफाई देते रहे. तीन मिनट चली इस चर्चा का अंत ये हुआ कि मोदी ने इंटरव्यू रुकवाया. एक गिलास पानी पिया. करण को कहा, दोस्ती बने रहे. और वे इंटरव्यू छोड़कर चले गए.
फिल्म के फर्स्ट लुक में मोदी बने विवेक ओबेरॉय
ये प्रधानमंत्री मोदी के जीवन से जुड़ा एक ऐसा सत्य है जिसे किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता. इस जानकारी के बाद सवाल ये उठ रहा है कि, क्या भारतीय राजनीति के इस यादगार क्षण को पीएम मोदी पर बन रही इस बायोपिक में डाला जाएगा? या फिर निर्माता और निर्देशक इसे सिरे से खारिज कर देंगे. साथ ही प्रश्न ये भी बना हुआ है कि यदि फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर इस सीन को फिल्म में डालते हैं तो आखिर वो व्यक्ति कौन होगा जो करण के रूप में पीएम से सवाल करते हुए उन्हें असहज करेगा.
गौरतलब है कि 2014 के बाद से मीडिया से मुखातिब न होकर सुर्खियां बटोरने वाले देश के प्रधानमंत्री अपने इस अंदाज के लिए भी अक्सर ही विपक्ष के निशाने पर रहते हैं. जैसा उनका अंदाज है माना यही जाता है कि जब उन्हें बात करनी होती है तब उनके पास ढेरों विकल्प होते हैं मगर बात जब मीडिया की होती है तो इंटरव्यू के नाम पर मीडिया को इनके डर से बैरंग लौटना पड़ता है.
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री के दो इंटरव्यू हमारे सामने आए हैं. यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उसने भी उन्होंने अपने काम की बात की. मुश्किल सवालों को या तो उनसे पूछा नहीं गया या फिर उन्होंने अपनी चुप्पी बरक़रार रखी.
बहरहाल फिल्म आने वाली है. तो हम उम्मीद यही करते हैं कि चूंकि करण थापर का वो इंटरव्यू नरेंद्र मोदी के जीवन का अभिन्न अंग है अतः उसे इस फिल्म में जरूर जगह दी जाएगी. साथ ही करण के 3 मिनट के पात्र के लिए एक ऐसे एक्टर का चयन किया जाएगा जिसके अन्दर ये काबिलियत हो कि वो 3 मिनट में एक ऐसी परफॉरमेंस दे जो 3 घंटे की फिल्म पर भारी पड़ जाए.
ये फिल्म हिट होगी या फ्लॉप इसका फैसला वक़्त करेगा मगर तय है कि तीन घंटें की इस फिल्म में दर्शकों को वो सब कुछ मिलेगा जिसके लिए वो टिकट लेकर हॉल तक आते हैं.
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