Coronavirus को छोड़िए, केजरीवाल के हाथ से दिल्ली का कंट्रोल भी फिसलने लगा है
अमित शाह (Amit Shah) के मनमाफिक जो चुनावों की बदौलत संभव नहीं हो सका, वो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद मुमकिन बना दिया. कोरोना (Coronavirus) को कंट्रोल करने के नाम पर अमित शाह ड्राइविंग सीट संभाल चुके हैं - आगे का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.
-
Total Shares
कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह Amit Shah पर राजनीतिक करने का जैसा इल्जाम ममता बनर्जी लगा चुकी हैं, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कभी नहीं लगा सकते. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिस तरह पश्चिम बंगाल सरकार को लॉकडाउन का पालन न करने को लेकर नोटिस दिया और केंद्रीय जांच टीम भेजी, दिल्ली में तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
ये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही है जिन्होंने दिल्ली में कोरोना वायरस को बेकाबू वाली स्थिति में ला दिया - और फिर मदद के लिए केंद्र सरकार को आगे आना पड़ा. दिल्ली में केंद्र सरकार के सक्रिय होने का मतलब साफ है - अमित शाह का हस्तक्षेप बढ़ना तय मान कर चलना होगा.
पहले तो अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर बगैर कोई सवाल पूछे 100 फीसदी अमल करने की बातें करते रहे, लेकिन अब जबकि लगने लगा है कि मामला हाथ से फिसलने लगा है तो छटपटाहट नजर आने लगी है. हालत ये है कि कोरोना को लेकर दिल्ली के करीब करीब सारे इंतजाम अमित शाह अपने हाथ में ले चुके हैं - और अरविंद केजरीवाल को लगने लगा है कि अब तो श्रेय भी उनको नहीं मिलने वाला है.
कोरोना पर दिल्ली में दो मॉडल हैं!
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब से जब से दिल्ली में कोरोना वायरस पर काबू पाने के मामले में एक्टिव हुए हैं, एक एक चीज की समीक्षा हो रही है और उसी के हिसाब से काम चल रहा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो पहली मीटिंग के बाद ही बोल दिया था कि अब दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों मिल कर कोरोना वायरस पर काबू पा लेंगे.
जब से कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन लागू हुआ और उसके बाद अनलॉक शुरू हुआ, अरविंद केजरीवाल का एक ही बयान हर बार सुनने को मिलता रहा - जो केंद्र सरकार की गाइडलाइन होगी बस उसी को लागू करेंगे.
लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. अक्सर किसी न किसी मुद्दे पर टकराव होने लगा है और उसे लेकर कभी दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल अनिल बैजल में ठन जा रही है तो कभी गृह मंत्री अमित शाह के साथ - और मौका मिलते ही अमित शाह तत्काल प्रभाव से नकेल कस दे रहे हैं. फर्क बस इतना है कि ये सारी बातें बड़े प्रेम से हो रही हैं, पहले की तरह हमेशा चुनावी अंदाज में दो-दो हाथ करने को कोई पक्ष आतुर नजर नहीं आ रहा है.
नयी तकरार दिल्ली में क्वारंटीन के नियमों को लेकर हो रही है. दिल्ली सरकार चाहती है कि क्वारंटीन के जो नये नियम बनाये गये हैं, केंद्रीय गृह मंत्रालय उसे वापस ले. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अमित शाह को पत्र लिख कर नियम बदलने की गुजारिश की है. अमित शाह से पहले मनीष सिसोदिया इसी सिलसिले में उप राज्यपाल अनिल बैजल को भी पत्र लिख चुके हैं. मनीष सिसोदिया चाहते हैं कि क्वारंटीन को लेकर जो दिल्ली सरकार ने पुराने नियम बनाये थे उसे फिर से बहाल किया जाये.
कोरोनाा संकट तक ही सही, अमित शाह को ड्राइविंग सीट थमाने वाले तो खुद अरविंद केजरीवाल ही हैें
अब तो खुद मनीष सिसोदिया ही कहने लगे हैं कि दिल्ली में कोरोना वायरस पर काबू करने को लेकर दो मॉडल हो गये हैं. एक अमित शाह का मॉडल है और दूसरा अरविंद केजरीवाल का मॉडल. अमित शाह के मॉडल के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर सबको कोविड केयर सेंटर जाना है. अरविंद केजरीवाल मॉडल के अनुसार कोरोना पॉजिटिव पाये जाने की हालत में भी मरीज को सीधे कोविड केयर सेंटर जाने की जरूरत नहीं होती. बल्कि, मेडिकल टीम मरीज के घर पहुंचती है और इस बात की पैमाइश करती है कि होम आइसोलेशन से काम चल जाएगा या फिर क्वारंटीन सेंटर ले जाना जरूरी है.
सिसोदिया की दलील है कि नये नियमों के चलते सरकारी केंद्रों पर दबाव बढ़ जाएगा और अगर इस व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. हालांकि, मनीष सिसोदिया ने बीच में ये भी साफ करने की कोशिश की कि ये कोई शाह बनाम केजरीवाल मॉडल की लड़ाई नहीं है, बल्कि, हमें वैसी व्यवस्था लागू करनी चाहिये जिसमें लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो.
एक डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने कहा, 'मैं केन्द्रीय गृह मंत्री से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि नई व्यवस्था को खत्म किया जाए क्योंकि इससे लोगों को बहुत परेशानियां हो रही है.'
दिल्ली में केजरीवाल बनाम शाह
मनीष सिसोदिया भले ये कहें कि ये कोई दो कोरोना मॉडल की लड़ाई नहीं, लेकिन सच तो ये है कि दिल्ली में व्यवस्था की राजनीतिक लड़ाई खुले मैदान में शुरू हो चुकी है. अब तक तो होता ये रहा कि दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उप राज्यपाल के अधिकारों की लड़ाई अदालतों में लड़ी जाती रही, लेकिन अब ये राजधानी की सत्ता के गलियारों में लड़ी जाने लगी है.
अदालती लड़ाई का ज्यादा फायदा अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को ही मिलता रहा - और अब तो नौबत ये आ चुकी है कि सारा फैसला ट्विटर पर ही हो जा रहा है.
ये कोर्ट कचहरी का ही चक्कर रहा जो दिल्ली सरकार के संसदीय सचिवों की सदस्यता खत्म करने के चुनाव आयोग के फैसले पर राष्ट्रपति की मुहर लग जाने के बाद भी मामला कानूनी लड़ाई में उलझा रहा - और तब तक विधानसभा का कार्यकाल भी खत्म हो गया, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है.
अरविंद केजरीवाल और अमित शाह सीधे सीधे ट्विटर पर आमने सामने हो जा रहे हैं. ताजा मामला दक्षिण दिल्ली के राधा स्वामी सत्संग केंद्र में तैयार हो रहे 10,000 बेड वाले कोविड केयर सेंटर का है. अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह को छत्तरपुर के कोविड केयर सेंटर का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया था. साथ ही, केजरीवाल ने कोविड केंद्र के संचालन के लिए डॉक्टर और नर्स उपलब्ध कराने की मांग भी की.
जैसे ही न्यूज एजेंसी एएनआई ने ये खबर दी, अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा - 'प्रिय केजरीवाल जी, तीन दिन पहले हमारी बैठक में इस पर फैसला लिया जा चुका है और गृह मंत्रालय ने दिल्ली के राधा स्वामी सत्संग में 10 हजार बिस्तर वाले कोविड केयर सेंटर के संचालन का काम ITBP को सौंप दिया है. काम तेजी से जारी है और एक बड़ा हिस्सा 26 जून तक शुरू हो जाएगा.'
Dear Kejriwal ji, It has already been decided in our meeting 3 days back and MHA has assigned the work of operating the 10,000 bed COVID Care Centre at Radha Swami Beas in Delhi to ITBP. The work is in full swing and a large part of the facility will be operational by 26th Jun. https://t.co/VLMOQdEseY
— Amit Shah (@AmitShah) June 23, 2020
सवाल है कि अगर बीजेपी के किसी मुख्यमंत्री ने अरविंद केजरीवाल की तरह अमित शाह को ऐसे आमंत्रित किया होता तो भी क्या ऐसा ही रिएक्शन होता? अगर नहीं होता तो अरविंद केजरीवाल के साथ अमित शाह ने ऐसे क्यों रिएक्ट किया?
जवाब है - सिर्फ राजनीतिक वजहों से. अगर बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री ऐसा किया होता तो अमित शाह कतई ऐसी टिप्पणी नहीं करते - और ट्विटर पर तो ऐसी प्रतिक्रियाओं का सवाल ही पैदा नहीं होता. ये सिर्फ इसलिए सबके सामने हुआ क्योंकि इस राजनीति का न्योता भी तो अरविंद केजरीवाल ने ही तो दिया था.
दरअसल, अमित शाह को आमंत्रित कर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों और AAP समर्थकों को अपने तरीके से मैसेज देना चाहते थे. अरविंद केजरीवाल ने कहा तो इतना ही था कि कोविड केयर सेंटर बन रहा है - और दिल्ली सरकार केंद्र से डॉक्टर और नर्स की मांग कर रही है. बगैर कुछ कहे भी अरविंद केजरीवाल अपने हिसाब से लोगों को संदेश देना चाहते थे कि ये सारी पहल और काम उनकी बदौलत मुमकिन हो रहा है.
अमित शाह तो ठहरे राजनीति के पक्के खिलाड़ी. ट्वीट देखते ही अरविंद केजरीवाल का इरादा भांप गये और उनकी राजनीतिक चाल को ट्विटर पर ही नाकाम कर दिया. अरविंद केजरीवाल तो भाषायी तौर पर संकोच से भरे लग रहे थे, लेकिन अमित शाह ने तो साफ साफ शब्दों में बोल दिया - काम हो रहा है. वो खुद काम की निगरानी कर रहे हैं - और अरविंद केजरीवाल को फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है वो दिल्ली वालों को फिलहाल तो पूरा ख्याल रख ही रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल और कर भी क्या सकते थे. उनके पास बोलने के लिए कुछ बचा तो था नहीं. आगे भी ऐसे ही होना तय है. आखिर अरविंद केजरीवाल ने ही तो अमित शाह को ड्राइविंग सीट पर बिठाया भी है. है कि नहीं?
इन्हें भी पढ़ें :
Delhi coronavirus cases: 'कम्यूनिटी ट्रांसमिशन' पर दिल्ली और केंद्र की असहमति में कुछ सवाल भी हैं
Arvind Kejriwal को समझ लेना चाहिए- चुनाव जीतने और सरकार चलाने का फर्क
दिल्ली दंगा केस में CM केजरीवाल का अमित शाह के आगे अग्रिम सरेंडर
आपकी राय