राजनीति छोड़िये, पुलिस और अफसर कभी जातीय बंधनों से मुक्त हो पाएंगे?
चुनाव में जनादेश के बाद सत्ता जरूर बदल गयी है, लेकिन आरोप जस के तस नजर आ रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि जिस जाति पर दबदबे के आरोप लगते थे अब वे ही खुद को पीड़ित होने का रोना रो रहे हैं.
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यूपी चुनाव में सत्ताधारी पार्टी पुलिस और थानों को लेकर भी विपक्ष के निशाने पर रही. समाजवादी पार्टी नेताओं पर प्रदेश भर के थानों में दबदबे के आरोप लगते थे. आरोप यहां तक कि ज्यादातर थानों में नियुक्तियों में भी एक ही जाति का बोलबाला रहा.
चुनाव में जनादेश के बाद सत्ता जरूर बदल गयी है, लेकिन आरोप जस के तस नजर आ रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि जिस जाति पर दबदबे के आरोप लगते थे अब वे ही खुद को पीड़ित होने का रोना रो रहे हैं - और अब तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस मामले में कूद पड़े हैं.
बदले का खेल
सियासत में एक दूसरे के बचाव के कुछ अघोषित नियम होते हैं तो कई मामलों में खुलेआम इल्जाम भी लगते हैं - और तभी बदले के खेल सामने आते हैं. चुनावों में बीजेपी की ओर से थानों में समाजवादी पार्टी नेताओं के दखल की बात खूब जोर शोर से उछलती रही. ऐसे इल्जाम बीजेपी के स्थानीय नेता ही नहीं अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक लगाते रहे - 'थानों को पार्टी ऑफिस बना रखा है'.
जब थाने पहुंचे योगी...
सत्ता बदलने पर आरोपों का सिलसिला तो नहीं थमा - हां, उनका रुख जरूर बदल गया. पहले भी विपक्ष के निशाने पर सत्ताधारी पार्टी थी - और अब भी वही हाल है.
खेल चालू आहे...
विधानसभा चुनावों में हार पर मंथन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मीडिया से मुखातिब हुए और योगी सरकार पर सवाल दागे. अखिलेश का सवाल था - एक ही जाति के कर्मचारी इस सरकार में सस्पेंड क्यों हो रहे हैं?
अफसर पर कार्रवाई
असल में अखिलेश यादव निलंबित आईपीएस अफसर हिमांशु कुमार को सस्पेंड किये जाने की ओर इशारा कर रहे थे. साथ ही हिमांशु के आरोपों को भी अपने स्तर से उठाने की भी उनकी कोशिश रही.
ये मामला भी सोशल मीडिया के जरिये सामने आया जब 2010 बैच के आईपीएस अफसर हिमांशु ने एक ट्वीट के जरिये पूरे पुलिस महकमे को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की. हालांकि, बाद में हिमांशु ने एक और ट्वीट करके सफाई देने की भी कोशिश की.
@brajeshlive @cmofficeup Why is DGP office forcing officers to punish people in the name of caste?
— Himanshu Kumar IPS (@Himanshu_IPS) March 22, 2017
Some people have misunderstood my tweet. I support the initiative of the Government.
— Himanshu Kumar IPS (@Himanshu_IPS) March 22, 2017
हिमांशु से पहले इस तरह का मामला समाजवादी पार्टी नेता राम गोपाल यादव ने भी राज्य सभा में उठाया था. हिमांशु का मामला लोक सभा में कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने भी उठाया. रंजीता ने कहा कि जाति विशेष का एक आईपीएस अफसर भी निशाना बनाया जा रहा है और यादव, मुस्लिम और दलितों के खिलाफ यूपी में नफरत फैलायी जा रही है.
भेदभाव क्यों...
इस मामले में राजनाथ सिंह ने ऐसी किसी बात से इंकार किया था और कहा था कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ऐसा न होने देने का भरोसा दिला चुके हैं.
BJP does not discriminate on the basis of caste, creed or religion. pic.twitter.com/JCohcJJ1FQ
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) March 23, 2017
चुनाव और उसके बाद की सियासत में फर्क बस इतना आया है कि पहले आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलते थे - वही अब इंकार और सफाई में तब्दील हो चुका है. जाहिर है, पिछली सरकार में जो अफसर शंटिंग में होंगे वे अब मेनस्ट्रीम में आ जाएंगे - और जिनकी चलती रही वे हाशिये पर धकेल दिये जाएंगे. क्या ये सिलसिला कभी खत्म भी हो पाएगा?
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