इस बार का G-20 भारत के लिए कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण है
जी-20 सम्मलेन ऐसे समय में हो रहा हैं जब दुनिया के कई हिस्से में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं. तो कई देशों के बीच व्यापार-युद्ध चल रहा है. वर्चस्व कायम रखने के इस महायुद्ध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए G-20 सम्मेलन में अपने हितों की रक्षा कर पाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
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जापान के ओसाका में इस बार के जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 28 और 29 जून को किया जा रहा है. इस दौरान दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ एक मंच पर मौजूद होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन सहित दुनिया के कई शीर्ष नेता इस बैठक में शिरकत करेंगे. इस सम्मेलन में विश्व की मौजूदा चुनौतियों से निपटने को लेकर गहन मंथन होगा.
भारत अभी तक के सभी जी-20 शिखर सम्मेलनों में सम्मिलित हुआ है. 2019 लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बाद और दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अपनी नयी इनिंग में इस सम्मलेन में शिरकत करेंगे और नए विदेश मंत्री एस जयशंकर उनके साथ इसमें हिस्सा लेंगे. यह छठा अवसर होगा जब पीएम मोदी इस बैठक में शरीक होंगे. विदेश मंत्री की हैसियत से एस जयशंकर पहली बार जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वर्ष 2022 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.
जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ओसाका में जापान के प्रधानमंत्री से मुलाकात की
जी-20 विश्व की 20 बड़ी और तेज रफ्तार अर्थव्यवस्थाओं व आर्थिक संगठनों का ग्रुप है. दुनिया की दो-तिहाई आबादी और 80 फीसदी से ज़्यादा कारोबार इस समूह के खाते में है. ये सम्मलेन ऐसे समय में हो रहा हैं जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा हैं, ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी चल रही हैं, कई देशों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही हैं और सभी देश अपने हितो की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए उतारू हैं. ऐसे में इस सम्मलेन में शामिल होकर अपना रुख जाहिर करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.
जी-20 प्लेटफार्म के समानांतर पर प्रधानमंत्री मोदी करीब एक दर्जन से ज़्यादा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुलाकातें करेंगे. वे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुअल मेक्रोन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे, तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान समेत कई नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे. जी-20 के हाशिए पर ही पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भारत-रूस-चीन के त्रिपक्षीय समूह RIC की बैठक करेंगे. वे ब्रिक्स देशों के बीच होने वाले वार्ता में भी सम्मिलित होंगे. इन बैठकों में भारत अपने हितों के लिए अपना रुख जाहिर कर सकता हैं.
भारत के लिए क्या अहमियत है ?
भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षण वो होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे. हाल के ही दिनों में भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर वैचारिक मतभेद उभरे हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और सामरिक संबंधों को लेकर तनाव देखने को मिला हैं. अमेरिका-ईरान संघर्ष में भारत को तेल इम्पोर्ट ना करने से होने वाले नुकसान, दोनों देशों के बीच टैरिफ/ट्रेड वॉर- अमेरिका द्वारा भारत को जनरलाइज़्ड सिस्टिम ऑफ़ प्रेफरेन्सेस (जीएसपी) की सूची से बाहर करना, ट्रेड वॉर के बीच अमेरिका की मांग है कि भारत उसके प्रोडक्ट पर टैक्स की दरों में छूट दे ताकि अमेरिकी कंपनियों को दिक्कत ना आए. भारत और रूस के बीच नजदीकी अमेरिका को रास नहीं आ रही हैं. भारत अपने पुराने दोस्त रूस से 5 बिलियन अरब डॉलर की लागत से मिसाइल हमलों से रक्षा देने वाला कवच खरीद रहा है. रूस के साथ इतने भारी-भरकम सौदे से अमेरिका नाराज है. ये बैठक अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के भारत दौरे के बाद होने जा रही है. अहम् सवाल यह है कि क्या ट्रम्प और मोदी की मुलाकात के बाद ये विवादास्पद मुद्दों का समाधान निकल पायेगा. इसके अलावा मोदी चीन और रूस के प्रमुख से भी मुलाकात करेंगे. भारत के लिए सबसे ज्यादा अहम् चीज ये भी होगी कि बढ़ती हुई गुटबाजी और धुर्वीकरण के हालात में भारत विश्व में अन्य देशों से अपना सामंजस्य और संतुलन रखने में कामयाब हो पाता है या नहीं.
Will be participating in the #G20 Summit in Osaka, Japan. Various global issues including women empowerment, technology and achieving SDGs will be discussed. There would also be meetings with world leaders. https://t.co/shWleRmqYQ
— Narendra Modi (@narendramodi) June 26, 2019
जी-20 में मुख्य मुद्दे मुख्यतः मुक्त व्यापार, आर्थिक विकास, वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य आदि पर केंद्रित रहेंगे. इस सम्मलेन में भारत अपनी प्राथमिकताएं को रेखांकित करने से बिलकुल नहीं चूकेगा. भारत कई मुद्दों जैसे आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, डब्ल्यूटीओ में सुधार, खाद्यान्न सुरक्षा आदि कई क्षेत्रो में विश्व के देशों में एकमत का निर्माण करने के लिए प्रयास करेगा.
पिछले साल पीएम मोदी ने अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के सामानांतर भी कई देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी. इस दौरान उन्होंने जय (J A I- जापान, अमेरिका, इंडिया) का नारा दिया था. यह पहला अवसर था जब जापान, भारत और अमरीका के बीच किसी मंच पर त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी. इस बार नरेंद्र मोदी इस सम्मलेन में भारत की अहमियत को किस तरह अन्य प्रमुख देशों के लीडर के सम्मुख पेश करते हैं ये देखना महत्वपूर्ण होगा.
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