सर्जिकल स्ट्राइक पर शक करने वाले गलवान वैली में भारतीय सैनिकों की बहादुरी क्या मानेंगे
लद्दाख (Ladakh) में चीन (China) द्वारा 20 भारतीय सैनिकों (Indian Army) को शहीद किये जाने के बाद मांग की जा रही है कि भारत (India ) चीन पर जवाबी कार्रवाई करे मगर सवाल ये है कि जिनको उरी (Uri)और पुलवामा (Pulwama) के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) पर भरोसा न था, वे चीनी सीमा पर भारतीय सैनिकों की बहादुरी क्या मानेंगे?
-
Total Shares
एक ऐसे वक़्त में जब देश की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही कोरोना वायरस के रूप में एक बड़ी महामारी से लड़ रहे हैं. जो कुछ भी पूर्वी लदाख स्थित गलवान घाटी में हुआ उसने सरकार के सामने चुनैतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. गलवान घाटी (Galwan valley) में चीनी सैनिकों से हुए संघर्ष और उस संघर्ष में 20 जवानों की मौत ने विपक्ष समेत उन ताकतों को एक बार फिर से देश की सरकार और पीएम मोदी की आलोचना करने का मौका दे दिया है. जिनके लिए देशहित से बड़ा अपना एजेंडा और राजनीति है. भारतीय सैनिकों पर चीन द्वारा किये गए इस हमले के बाद तमाम तरह की बातें सरकार को सुननी पड़ रही हैं. विपक्ष जहां सरकार को कमज़ोर बता रहा है. तो वहीं सरकार के आलोचकों ने यहां तक कह दिया है कि यदि वाक़ई सरकार और पीएम मोदी देश के प्रति गंभीर हैं तो चीन के साथ चल रही बातचीत पर तत्काल प्रभाव से अंकुश लगाएं और रिटेलिएट करते हुए चीन को उसकी ही भाषा में जवाब दे.
गलवान घाटी में जो हुआ मांग की जा रही है कि भारत चीन को उसी की भाषा में जवाब दे
विपक्ष और सरकार के आलोचकों कि ये मांग पूरी तरह जायज है. हम भी इसका पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं. लेकिन हमें ये भी समझना होगा कि ये मांग यूं ही भावों में बहकर नहीं उठाई गई है. इसके पीछे एक सोची समझी राजनीति या ये कहें कि एक पूरा नेक्सस है जिसका उद्देश्य तमाम अहम मोर्चों पर सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को नीचा दिखाना है.
अगर आज सरकार चीन पर एक्शन ले लेती है और जवाबी कार्रवाई कर भी देती है तो जो सवाल जस का तस हमारे सामने रहेगा वो ये कि क्या आलोचक और विपक्ष इसे मानेंगे? हम ये सवाल क्यों उठा रहे हैं इसके पीछे हमारे पास एक माकूल वजह है. इस वजह को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे यानी उस दौर में चलना होगा जब उरी या पुलवामा हुआ. उस दौर में सरकार ने दोनों ही घटनाओं को गंभीरता से लिया और सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिलाई लेकिन लोग नहीं मानें. कहा गया कि इस तरह की कोई स्ट्राइक भारत की तरफ से हुई? सरकार इसके प्रमाण दे.
Chinese helicopters picking up PLA dead and wounded and evacuating them. They have been allowed to evacuate their dead and wounded.Their helicopters have not been shot down by us.
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) June 16, 2020
अब चूंकि पूर्व में हम इन मांगों को देख चुके हैं इसलिए जो सबसे बड़ा सवाल हमारे सामने है वो ये कि अगर भारत, चीन पर हमला कर भी देता है तो क्या विपक्ष या आलोचक चीनी सीमा पर भारतीय सैनिकों की बहादुरी को मानेंगे? जवाब एकदम सीधा है, नहीं.
गौरतलब है कि चीन द्वारा 20 भारतीय सैनिकों को शहीद करने के बाद तमाम तरह की हृदय विदारक बातें सुनने को मिल रही हैं. ये बातें ठीक वैसी ही हैं जैसी हमने तब सुनी थी जब गुजरे साल पुलवामा हुआ. चूंकि पुलवामा भारत की संप्रभुता और अखंडता पर एक करारा तमाचा था सरकार ने बदला लिया और हमने बालाकोट एयर स्ट्राइक देखी मगर न तो विपक्ष और न ही आलोचकों को इससे संतोष हुआ. सरकार से मांग की गई कि ऐसा कोई हमला हुआ और उस हमले में उस तरफ (पाकिस्तान को) कोई नुकसान पहुंचा इसके प्रणाम देश की जनता को दिए जाएं. बालाकोट हमले के बाद एक बात ये भी साबित हो गई कि सरकार जहां देश के बाहर के दुश्मनों से लड़ रही है तो वहीं उसे देश के अंदर बैठे दुश्मन से भी दो दो हाथ करने पड़ रहे हैं.
Never seen a nation more scared of its adversaries links with others. India has never expressed such fears on China-Pak ties. China knows it had misjudged it's actions. It is alone, fears global backlash. This mouthpiece only projects true Chinese fears
— Maj Gen Harsha Kakar (@kakar_harsha) June 17, 2020
बात सीधी और एकदम साफ है भले ही इस घटना ने हमें खूब आहत किया हो मगर ये वक़्त एक ऐसा वक़्त है जब हमें देश का और देश की सरकार का साथ देना है. इस मुश्किल वक़्त में हमें अपनी सेना के साथ खड़े रहने की ज़रूरत है बाकी राजनीति और एजेंडा चलाने के लिए पूरा जीवन बचा हुआ है. विपक्ष और आलोचकों को समझना होगा कि अगर भविष्य में देश बचेगा तो हमें तमाम ऐसे मौके मिलेंगे जिनसे हम अपना एजेंडा भी सिद्ध कर पाएंगे और राजनीति भी चमका पाएंगे.
अंत में बस इतना ही कि आज भले ही 20 जवानों की मौत ने हमारे हौसलों को पस्त कर दिया हो. लेकिन हमारे जवानों ने भी चीन की सेना से कड़ा मुकाबला लिया और 43 चीनी सैनिकों को मार गिराया. भारतीय सैनिकों के प्रदर्शन ने हमें इस बात से अवगत करा दिया है कि हमें अपनी सेना, देश और प्रधानमंत्री पर भरोसा रखना चाहिए. देश सुरक्षित हाथों में है और फिलहाल जैसा भारतीय सैनिकों का रुख है दुश्मन हिंदुस्तान को नुकसान नहीं पहुंचा सकता.
ये भी पढ़ें -
PM Modi को चीन पर अब 'डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक' करना होगा!
India-China face off: अब इस LAC विवाद को जड़ से खत्म करने का वक्त आ चुका है!
Where is Galwan valley: भारत के लिए गलवान घाटी पर नियंत्रण अब जरूरी हो गया है, जानिए क्यों...
आपकी राय