जानिए, क्या है गोपाल कांडा की 'बिना शर्त समर्थन' वाली रणनीति
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. ऐसे में कांडा भी ये बात समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़े, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. हालांकि, उमा भारती को ये नागवार गुजरा है.
-
Total Shares
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Election Result 2019) में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की. वे हरियाणा के सभी नौ निर्दलीय विधायकों के भी समर्थन का भरोसा भाजपा को दिला रहे हैं. इस घोषणा के बाद हरियाणा में सरकार बनाने की भाजपा की कोशिश को तो ताकत मिली, लेकिन उमा भारती को ये बात नागवार गुजरी है. गोपाल कांडा को भाजपा की भावी सरकार में शामिल किए जाने के खिलाफ उन्होंने अपनी सख्त प्रतिक्रिया भी दी. उन्होंने ट्विटर पर एक-दो नहीं, बल्कि 8 ट्वीट किए. जिनमें पहले तो उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भाजपा को बधाई दी, लेकिन उसके बाद अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी. वैसे जब से कांडा ने भाजपा को समर्थन का फैसला किया था, तब से तमाम सवाल उठ रहे हैं. सबसे अहम सवाल तो यही उठ रहा है कि आखिर बिना शर्त कांडा ने भाजपा को समर्थन क्यों दिया?
2009 में कांडा ने बहुमत से दूर खड़ी कांग्रेस को भी सरकार बनाने के लिए इसी तरह समर्थन दिया था, लेकिन बदले में कांडा को मंत्रीपद से नवाजा गया. और उसके बाद जो हुआ, वह सब कांडा के अपराधों का लंबा चौड़ा इतिहास है. दस साल बाद कांडा फिर हरियाणा की राजनीति में 'किंगमेकर' बनने का दावा कर रहे हैं. वह भी बिना शर्त. लेकिन क्या कांग्रेस की तरह बीजेपी रिस्क उठाने की स्थिति में है.
पहले जानिए उमा भारती ने क्या कहा
उमा भारती ने एक के बाद एक 8 ट्वीट किए. शुरुआती 2-3 ट्वीट तो भाजपा को महाराष्ट्र और हरियाणा में बधाई देने वाले हैं. लेकिन चौथे ट्वीट से उमा भारती ने अपनी नाराजगी व्यक्त करना शुरू कर दिया. उन्होंने लिखा- 'मुझे जानकारी मिली है कि गोपाल कांडा नाम के एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी हमें मिल सकता है. अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी तथा उसकी माँ ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, तथा यह व्यक्ति ज़मानत पर बाहर है. गोपाल कांडा बेक़सूर है या अपराधी, यह तो क़ानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा, किंतु उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता. मैं भाजपा से अनुरोध करूँगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें. हमारे पास तो नरेंद्र मोदी जी जैसी शक्ति मौजूद है, एवं देश क्या पूरे दुनिया की जनता मोदी जी के साथ है तथा मोदी जी ने सतोगुणी ऊर्जा के आधार पर राष्ट्रवाद की शक्ति खड़ी की है. हरियाणा में हमारी सरकार ज़रूर बने, लेकिन यह तय करिए कि जैसे भाजपा के कार्यकर्ता साफ़-सुथरे ज़िंदगी के होते हैं, हमारे साथ वैसे ही लोग हों.'
गोपाल कांडा ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने के पीछे एक बड़ी शर्त छुपाई है.
कांडा का अतीत करता है खतरनाक इशारे
गोपाल गोयल कांडा ने अपना कारोबारी सफर ज्यूपिटर म्यूजिक होम नाम की एक रेडियो रिपेयरिंग की दुकान से किया. फिर जूते की दुकान शुरू की. जूते का धंधा चल पड़ा और इस धंधे को चलाते-चलाते ही कांडा ने कई राजनीतिक रसूख वाले लोगों से संबंध बना लिए. उनकी जिंदगी को बदलने में एक आईएएस अधिकारी का बड़ा योगदान है, जो उन दिनों सिरसा में नियुक्त हुआ था. बताया जाता है कि सिर्फ उसकी 'सेवा' कर-कर के ही कांडा ने दौलत कमाने का रास्ता अपना लिया. उसी अफसर की मदद से गुड़गांव में जमीनें खरीदने-बेचने की दलाली का काम किया और देखते ही देखते करोड़ों की दौलत जुटा ली. इसके बाद 2007 में एक एयरलाइन शुरू की, लेकिन महज दो साल में ही वह कंपनी भी बैठ गई.
फिर आया 2009, जिसमें कांडा निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस को समर्थन देकर गृह मंत्री बन बैठे. इस चुनाव में जीतने के लिए कांडा ने लोगों की मदद करना, बाहुबल जुटाना और रॉबिनहुड की इमेज बनाने का काम किया. मदद तो सिर्फ दिखावा था, इसके पीछे का खेल तो अपनी राजनीति चमकाना था. जैसे आईएएस की सेवा कर-कर के गुड़गाव का सिकंदर बने, वैसे ही लोगों को भरमाकर उनके वोटों के हकदार भी बन गए. कांग्रेस को समर्थन देने के बाद कांडा ने दबंगई भी खूब की, लेकिन हुड्डा चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए, क्योंकि सरकार गिरने का खतरा था. कांडा जैसे दागी चरित्र वालों का पहले तो जीत जाना ही इस डेमोक्रेसी का दुर्भाग्य है और फिर ऐसे लोगों को भाजपा जैसी पार्टी में शामिल करना और भी शर्म की बात है, जो पार्टी खुद ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती है.
भाजपा में शामिल होने के पीछे की छुपी शर्त
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. उन्हें पाक-साफ नहीं करार दिया गया है. ऐसे में कांडा भी ये बात समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़ें, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. भाजपा में शामिल होने के बाद कांडा सिर्फ अकेले नहीं होंगे जो खुद को बेगुनाह कहेंगे, बल्कि पूरी भाजपा उन्हें बेगुनाह कहेगी. अब जब सब बेगुनाह कहेंगे तो पूरी कायनात को उन्हें बेगुनाह साबित करने में लगना ही पड़ेगा, वरना सवाल यही उठेंगे कि भाजपा ने एक गुनहगार को सत्ता के लिए खुद से जोड़ दिया. अभी तो सिर्फ सोशल मीडिया, मीडिया के अलावा उमा भारती ने इस पर सवाल उठाए हैं, आने वाले वक्त में सवालों की झड़ियां लग जाएंगी.
कांडा के कांडों की लिस्ट लंबी है...
एक शख्स होता है, जिस पर एक-दो मुकदमे चल रहे होते हैं, लेकिन गोपाल कांड़ा ने तो मुकदमों को मेडल समझकर सजाया है. ये रही पूरी लिस्ट-
- आईपीसी की धारा 42 के तहत धोखाधड़ी के 6 केस हैं, जिनमें प्रॉपर्टी की डिलीवरी से जुड़े मामले भी हैं.
- आईपीसी की धारा 468 के तहत 2 चार्ज हैं धोखाधड़ी करन के लिए फर्जी कागज बनाने के.
- आईपीसी की धारा 306 के तहत 2 चार्ज हैं आत्महत्या के लिए उकसाने का. आपको बता दें कि कांडा की वजह से ही गीतिका शर्मा ने आत्महत्या की थी और न्याय ना मिलने पर उसकी मां ने भी मौत को गले लगा लिया था.
- आईपीसी की धारा 409 के तहत पब्लिक सर्वेंट द्वारा भरोसा तोड़ने के अपराध से जुड़ा भी एक चार्ज कांडा पर लगा है.
- आईपीसी की धारा 506 के तहत धमकाने के अपराध को लेकर भी कांडा पर एक चार्ज लगा है.
- आईपीसी की धारा 201 के तहत सबूत गायब करने या गलत जानकारी मुहैया कराने का भी एक मामला कांडा के खिलाफ दर्ज है.
- आईपीसी की धारा 466 के तहत एक चार्ज कोर्ट या पब्लिक रजिस्टर के रिकॉर्ड के फर्जीवाड़े से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 467 के तहत एक चार्ज कीमती सिक्योरिटी और वसीयत का फर्जीवाड़ा करने से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 471 के तहत कांडा पर फर्जी दस्तावेजों को असली बताकर इस्तेमाल करने का भी मुकदमा चल रहा है.
- आईपीसी की धारा 120बी के तहत एक मुकदमा आपराधिक षड़यंत्र के लिए सजा से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 469 के तहत एक चार्ज जाली दस्तावेज बनाकर किसी की इज्जत को क्षति पहुंचाने को लेकर भी कांडा के खिलाफ दर्ज है.
ये भी पढ़ें-
हरियाणा में चाबी BJP के पास ही है - वो तो किसी को देने से रही
मिलिए हरियाणा के 7 निर्दलीय से, जिनके हाथ है सत्ता की चाबी !
आपकी राय