गुजरात चुनाव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में, पैसा और जुर्म निकला है !
गुजरात इलेक्शन वाच और एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रीफ़ोर्म्स ने बीते दिनों हुए गुजरात विधान सभा के 181 निर्वाचित विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया और उसके नतीजे हैरत में डालने वाले हैं.
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आम तौर पर देश भर के नेताओंका जुड़ाव कोर्ट कचहरी से तो होता ही है. फिर वो चाहे पर्सनल हो या फिर सामाजिक स्तर पर. देश की बदलती राजनीति में हम यह विमर्श करना भूल जाते हैं कि जिन चुने हुए प्रतिनिधियों को हमने अपने मुहल्ले, जिले, प्रदेश और देश की कमान दे रखी है आखिर उनका सामाजिक योगदान क्या है. राजनीतिक पार्टियां दल बदल वाली स्थिति में एक दूसरे के नेताओ पर आरोप प्रत्यारोप का खेल खेलते दिख जाती हैं. ऐसा कम ही होता हैं जब किसी वोटर को अपने उम्मीदवार के बायोडेटा की पूरी जानकारी हो.
आखिर वो अपने लिए बेहतर प्रशासक चुनने की प्रक्रिया में होता है. ऐसे में उसे हक है कि वह उस उम्मीदवार की छोटी से छोटी जानकारी रखे. हालांकि देश में यह कल्चर ना के बराबर है कि वोटर और उम्मीदवार के बीच कोई पर्दा न हो. भारी भरकम प्रौद्योगिकी से उन गरीब और अशिक्षित वोटर्स का कोई वास्ता ही नहीं होता. चुनाव आयोग भले ही उम्मीदवार की पूरी जानकारी ररखता हो लेकिन आम वोटर्स तक उन्हें पहुंचाने में मीडिया का योगदान कमतर ही दिखता है. चुनाव के पहले उम्मीदवारों के भराए जाने वाले शपथ पत्रों के सहारे ही अगर पूरे देश में एक साथ रिसर्च की जाए तो एक बड़ा सच सामने निकाल कर आ सकता है.
गुजरात चुनावों के मद्देनजर, गुजरात इलेक्शन वाच के आंकड़े हैरत में डालने वाले हैं
हाल ही में गुजरात इलेक्शन वाच और एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रीफ़ोर्म्स ने गुजरात विधान सभा 2017 के सभी 181 निर्वाचित विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया और चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं. आइये जानते हैं क्यों खास हैं वे आंकड़े. सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि गुजरात चुनाव के नतीजे क्या थे.
1- भाजपा - 99
2- कांग्रेस - 77
3- निर्दलीय - 3
4. भारतीय ट्राइबल पार्टी - 2
5. एनसीपी - 1
कुल - 182 सीट
1. गुजरात इलेक्शन वाच और एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ोर्म्स की रिसर्च बताती है कि 182 सीट में 47 विधायकों ने खुद पर आपराधिक मामलों को शपथ पत्र में स्वीकार्य किया था. वहीं 2012 के गुजरात चुनाव में यह आंकड़ा 57 के करीब था. यानि 2012 में 31 प्रतिशत और 2017 में 26 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
2. हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूटपाट जैसी गंभीर आपराधिक मामलों में 33 विधायक लिप्त रहे. जबकि 2012 में यह आंकड़ा 24 विधायकों का था. प्रतिशत में अगर बात करें तो 2012 में 13 प्रतिशत विधायक तथा 2017 में 18 प्रतिशत विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
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3. हत्या से संबन्धित मामले में 1-1 कांग्रेस (कटरा भावेशभाई बाबूभाई) तथा भारतीय ट्रायबल पार्टी (छोटू भाई बसावा) ने 2017 के गुजरात चुनाव में सपथ पत्र में यह घोषणा की थी.
4. बलात्कार से संबन्धित मामलें घोषित करने में भाजपा के जेठाभाई घेलाभाई ने शपथ पत्र में यह घोषणा दर्ज की थी.
कुल मिलाकर देखा जाए तो कों बीजेपी के जीते 99 विधायकों में से 18 विधायक, कांग्रेस के 77 में से 25, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 में से 1, एनसीपी के 1, और निर्दलीय विधायकों के 3 में से 2 विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलों के दर्ज होने संबंधी घोषणा पत्र चुनाव आयोग को जमा किया था.
वहीं गंभीर आपराधिक मामलों में बीजेपी के 99 में से 12, कांग्रेस के 77 में से 17, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 में से 1, एनसीपी के 1 और स्वतंत्र विधायक के 3 में से 2 लोगों ने इन मामलों को स्वीकारा है. वहीं 182 विधायकों की संपत्ति संबंधी आंकड़ा भी आपको आश्चर्य में डाल सकता है कि 47 फीसदी विधायक करोड़पति हैं. एक सूची को विस्तृत रूप देते हुए अगर बात की जाए तो जीरो से 20 लाख की संपत्ति वाले 4 विधायक, 20 लाख से 1 करोड़ वाले 37 विधायक, 1 करोड़ से 5 करोड़ वाले 85 विधायक, 5 करोड़ से 10 करोड़ वाले 23 विधायक, और 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति वाले 33 विधायक थे.
सीधे तौर पर कहा जा सकता हैं कि 141 विधायक करोड़पति हैं. 77 फीसदी विधायकों ने खुद के करोड़ पति होने का शपथ पत्र जारी किया था. जिनमे भाजपा के 99 में से 84, कांग्रेस के 77 में 54, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2, एनसीपी के 1 विधायक करोड़पति की लिस्ट में शामिल हैं. यह आंकड़ा तो सिर्फ गुजरात का है ऐसे ही हर प्रदेश की खोजबीन की जाए तो उन प्रदेशों पर से पर्दा और परत पड़ी धूल साफ की जा सकती है.
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