शाहरुख को पाकिस्तान जाने की क्या जरूरत?
शाहरुख हमारे यहां किंग खान के नाम से जाने जाते हैं. इनकी फिल्में 100 करोड़ कमा ले तो फ्लॉप! और पाकिस्तान में इस साल 37 करोड़ कमाने वाली फिल्म सबसे बड़ी हिट है! तो फिर...
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बीफ खाएं या नहीं, FTII मुद्दे पर कौन सही - कौन गलत, पिछले एक-डेढ़ साल में साहित्यकारों-आलोचकों की हत्या और अवॉर्ड वापसी माहौल पर पीएम मोदी की चुप्पी के बाद सहिष्णुता-असहिष्णुता को लेकर बॉलीवुड के किंग खान उर्फ शाहरुख ने बोल दिया - असहिष्णुता हमारे देश को इतिहास के अंधेरे में ढकेल देगी. बस फिर क्या था! कुछ ही देर में पाकिस्तानी, गद्दार और न जाने किन-किन 'उपाधियों' से नवाज दिए गए. शाहरुख के विरोध के स्वर के साथ-साथ उनके समर्थन में भी लोग खड़े हो गए - सरहद के इस पार भी, उस पार से भी.
हाफिज मोहम्मद सईद. पाकिस्तान की जानी-मानी हस्ती हैं - अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात. 26/11 को हुए मुंबई हमलों के पीछे इन्हीं का हाथ माना जाता है. इन्होंने शाहरुख को समर्थन का हाथ बढ़ा दिया - उन्हें पाकिस्तान आकर रहने का निमंत्रण दे डाला. साथ ही उन सभी भारतीयों के लिए भी ऑनलाइन निमंत्रण भेजा, जिन्हें इनके अनुसार इंडिया में रहने में सिर्फ इसलिए दिक्कत होती है क्योंकि उनका धर्म इस्लाम है. और तो और, असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हाफिज सईद ने लोगों की पीठ भी थपथपाई.
शाहरुख पाकिस्तान जाएंगे या नहीं... इस पर खुद शाहरुख ने ही दो टूक जवाब दे दिया है - लेकिन उन्हें, जिन भारतीयों ने उनसे ऐसा करने को कहा था. हाफिज सईद को अभी तक जवाब नहीं दिया गया है. शाहरुख का प्रतिनिधि तो नहीं हूं पर हाफिज सईद को यह तो समझा ही सकता हूं कि उनके पाकिस्तान बुलाने के ऑफर को क्यों शाहरुख ठुकरा देंगे.
तो श्रीमान हाफिज मोहम्मद सईद साहब! आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि शाहरुख एक एक्टर हैं और हमारे यहां वो किंग खान के नाम से जाने जाते हैं. किंग खान मतलब पॉप्युलरिटी और पैसा दोनों में सबसे आगे. उनकी फिल्में 100 करोड़ की कमाई कर ले तो समझिए फ्लॉप हैं. 300 करोड़ पार कर लिया तो कहा जाता है - अच्छा बिजनेस किया. मतलब लक्ष्य और भी बड़ा है उनका. जरा सोचिए... आपके बुलावे पर पाकिस्तान चले गए तो क्या होगा! 2015 में आपके यहां चार फिल्में हिट हुई हैं - जवानी फिर नहीं आनी (37 करोड़), बिन रोए (30 करोड़), रॉन्ग नंबर (15 करोड़) और जलेबी (10.5 करोड़). अब और क्या बोलूं... मतलब हंसी आ रही है.
बिजनेस से परे यह भारत का सिनेमा और साहित्य के प्रति लगाव ही है, जिसके कारण शाहरुख-काजोल की जोड़ी को बॉलीवुड की सबसे सफल जोड़ी के रूप में देखा जाता है न कि धर्म के चश्मे से. और आपके यहां! मुझे नहीं पता कि 'जवानी फिर नहीं आनी' और 'जलेबी' की पटकथा क्या है और पाकिस्तानी समाज के किस हिस्से को दिखाती है... लेकिन कलाकारों को पाकिस्तान में कैसे धर्म के चश्मे से देखा जाता है, यह छुपा नहीं है. आप उन्हें गैर-इस्लामी तक की संज्ञा देते हैं. फिर भी आपको लगता है कि शाहरुख जैसा 'लार्जर दैन लाइफ' कलाकार अपनी और अपने कला की बेइज्जती कराने पाकिस्तान जाएंगे! हंसी आती है मुझे आपके निमंत्रण पर.
अब आप ही बताइए... शाहरुख 10-20-30 करोड़ के लिए या अपनी बेइज्जती कराने के लिए... मतलब दिमाग सही है आपका!!!
Discrimination against minorities in India particular Muslims are proof enough that Modi's India no more secular. Its fascist Hindu state -1
— Hafiz Muhammad Saeed (@HafizSaeedJUD01) November 3, 2015
We welcome Indian Intellectuals raising voice against intolerance inflicted by Hindu extremists if & whenever they come to Pakistan -2
— Hafiz Muhammad Saeed (@HafizSaeedJUD01) November 3, 2015
We would be pleased to demonstrate to them JuD's ongoing relief and rehabilitation efforts for minorities living in Pakistan -3
— Hafiz Muhammad Saeed (@HafizSaeedJUD01) November 3, 2015
Even the renowned Indian Muslims in the field of sports,academia, arts & culture are fighting a constant battle for identity inside India -4
— Hafiz Muhammad Saeed (@HafizSaeedJUD01) November 3, 2015
Any such Muslim, even Shahrukh who is facing difficulty and discrimination in India because of Islam are invited to stay in Pakistan - End
— Hafiz Muhammad Saeed (@HafizSaeedJUD01) November 3, 2015
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