किसानों के नाम पर हार्दिक ने मोदी और मीडिया को घेरा, पर केजरीवाल के साथ
चुनावी मैदान में बीजेपी और मोदी से दो-दो हाथ करने को आतुर हार्दिक हमले का कोई मौका नहीं चूकते - तमिलनाडु के गजेंद्र की खुदकुशी और तमिलनाडु के किसानों का मामला भी उन्हीं में से एक है.
-
Total Shares
हार्दिक पटेल का सारा जोर तो पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण पर रहता है, पर अक्सर किसानों का भी मुद्दा भी उठाते रहे हैं. किसानों के मामले में भी उनका दायरा गुजरात तक ही सीमित रहा है, लेकिन अब उन्होंने तमिलनाडु के किसानों का मसला उठाया है.
दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बहाने हार्दिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा और मीडिया के खिलाफ भड़ास निकाली है - और इसी बहाने अरविंद केजरीवाल के प्रति समर्थन भी जताया है.
किसानों का मुद्दा
आदित्यनाथ योगी ने यूपी की सत्ता संभालने के करीब दो हफ्ते बाद किसानों के कर्ज को लेकर बीजेपी का चुनावी वादा निभाया, लेकिन दिल्ली में महीने भर से ज्यादा वक्त से प्रदर्शन कर रहे किसानों की आवाज केंद्र की बीजेपी सरकार तक नहीं पहुंच पा रही. आत्महत्या कर चुके किसानों की खोपड़ी के साथ दिल्ली पहुंचे तमिलनाडु के किसान अपने लिए सूखा राहत पैकेज और कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं.
ताकि सुन ले सरकार...
सत्ता के गलियारों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए इन किसानों ने कभी नंगे होकर तो कभी साड़ी पहन कर तो कभी खुद पर कोड़े बरसाकर अपनी भावनाएं शेयर कर रहे हैं. किसानों ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो वे मल-मूत्र पीने को मजबूर होंगे - और अब तो उन्होंने इसे भी कर के दिखा दिया है.
हार्दिक पटेल गुजरात के किसानों का मसला अक्सर उठाते रहते हैं. 15 अप्रैल के ट्वीट पोस्ट में हार्दिक ने कहा था, "सबसे ज्यादा किसान अमरेलि जिले में आत्महत्या करते हैं और सबसे ज्यादा कृषि मंत्री अमरेलि जिले से आते हैं."
अप्रैल में ही हार्दिक ने एक ट्वीट में कहा था कि अगर किसानों के कर्ज माफ हो गये होते तो उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता, "गुजरात के किसानों का कर्ज वक्त पर माफ हुआ होता तो किसान का बेटा रोड पर नहीं आता. पांच साल में चार हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है."
किसानों की अनदेखी को लेकर पाटीदार आंदोलन के नेता ने अब प्रधानमंत्री मोदी के साथ साथ मीडिया को भ्रष्ट और बिकाऊ करार दिया है.
खुदकुशी के दो साल
ठीक दो साल पहले दिल्ली में राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह ने पेड़ से लटक कर खुदकुशी कर ली थी. ये घटना तब की है जब नीचे मैदान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सभा चल रही थी. गजेंद्र की मौत को लेकर तब केजरीवाल पर भी सवाल उठे थे और उनके साथी आशुतोष तो गजेंद्र की बेटी के सामने आज तक चैनल पर खूब जोर जोर से रोये भी थे.
दो साल पहले दिल्ली में गजेंद्र ने खुदकुशी कर ली थी
दो साल बाद गजेंद्र का मामला उठाते हुए हार्दिक पटेल ने मोदी और मीडिया को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
आज 22 अप्रैल है । दो साल पेहले राजस्थान से आए गजेंद्र नामके एक दुःखी किसानने जंतर मंतर पर एक पेड पर लटककर अपने प्राण त्यागे थे । 1/1
— Hardik Patel (@HardikPatel_) April 22, 2017
भ्रष्ट-बिकाऊ मीडियाने इतना हंगामा किया था जैसे देश का PM और राजस्थान का CM केजरीवाल हो । 1/2
— Hardik Patel (@HardikPatel_) April 22, 2017
2साल बाद गजेंद्रवाले उसी पेड़ के नीचे 40दिन से तामिलनाडु के किसान नंगे बैठे है,घास खा रहे है,कभी चूहे खा रहे है तो कभी पेशाब पी रहे है!! 1/3
— Hardik Patel (@HardikPatel_) April 22, 2017
पाटीदारों से नजदीकी
पिछले साल सौराष्ट्र दौरे पर गये केजरीवाल ने पाटीदारों से जुड़ने की पूरी कोशिश की थी. यात्रा से पहले केजरीवाल को हार्दिक के हर ट्वीट को रीट्वीट करते देखा गया था, लेकिन हार्दिक के साथ कोई बात नहीं बन पायी थी. इस साल के आखिर में होने जा रहे गुजरात चुनाव में हार्दिक और केजरीवाल के हाथ मिलाने के अब तक कोई मजबूत संकेत नहीं मिले हैं. जहां तक ट्वीट की बात है तो बगैर केजरीवाल का जिक्र किये हार्दिक के लिए गजेंद्र का मामला उठाना और फिर उसे तमिलनाडु के किसानों से जोड़ना संभव न था. हार्दिक के इस ट्वीट के बाद उनके और केजरीवाल के रिश्तों में कोई नया मोड़ आता है कि नहीं देखना होगा.
हाल के अपने गुजरात दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने सूरत में वैसे ही वक्त दिया जैसे यूपी चुनाव के दौरान वाराणसी में रोड शो किया था. वाराणसी की ही तरह सूरत के रोड शो का मकसद भी नाराज पाटीदार समुदाय के लोगों को मनाना ही रहा. गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके मोदी ने खुद को पाटीदारों से जोड़ने की हर संभव कोशिश की और उन्हें परिवार की तरह बताया. पाटीदार समुदाय बीजेपी के लिए फूल और कांटे की तरह रहा है. पाटीदारों का 16 फीसदी वोट बीजेपी के 20 साल से सत्ता में बने रहने की एक वजह है तो पाटीदार आंदोलन के चलते ही पार्टी को मोदीकी उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल तक को बदलना पड़ा है.
हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग के साथ आंदोलन चला रहे हैं - और इसके लिए उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल और गुजरात से बाहर रहने को भी मजबूर होना पड़ा है. चुनावी मैदान में बीजेपी और मोदी से दो-दो हाथ करने को आतुर हार्दिक हमले का कोई मौका नहीं चूकते - तमिलनाडु के गजेंद्र की खुदकुशी और तमिलनाडु के किसानों का मामला भी उन्हीं में से एक है.
इन्हें भी पढ़ें :
क्या सूरत रोड शो से पाटीदारों के जख्मों पर मरहम लगा पाए मोदी?
आपकी राय