हार्दिक पटेल का बिखरता कुनबा !
गुजरात के सियासत में हार्दिक पटेल के लिए अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. आलम ये है कि ये नहीं कहा जा सकता कि अभी हार्दिक के और कितने करीबी उनका हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामेंगे.
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जैसे-जैसे गुजरात चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को झटका देने की तैयारी में जुटे हार्दिक पटेल खुद झटके पर झटका खाते जा रहे हैं. एक तरफ जहां पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा को खुलेआम हराने का प्रण लिए हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके ही सहयोगियों के बीच उन्हें छोड़कर भाजपा ज्वाइन करने की होड़ लगी हुई है. हार्दिक के करीबी लगातार हार्दिक को झटके पे झटका दे रहे हैं. अभी तक हार्दिक के करीबी रहे लगभग 9 बड़े नेताओं ने भाजपा का दमन थाम लिया है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे गुजरात चुनाव से पहले ही हार्दिक पटेल का कुनबा बिल्कुल ही बिखर चुका होगा.
अभी हाल में ही हार्दिक पटेल के करीबी माने जाने वाले केतन पटेल ने भाजपा का दामन थामा. केतन पटेल से पहले हार्दिक के करीबी रह चुके अमरीश पटेल, रेशमा पटेल, वरुण पटेल, चिराग पटेल आदि भाजपा का दामन थाम चुके हैं. भाजपा का दामन थामने के बाद इन नेताओं ने हार्दिक पटेल पर समाज के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया था.
एक नज़र ऐसे बड़े नेताओं पर जिन्होंने हार्दिक पटेल को छोड़कर भाजपा का दामन थामा...
हार्दिक पटेल के साथी ही उनका साथ छोड़ रहे हैं
केतन पटेल: शनिवार को पाटीदार आंदोलन के प्रसिद्ध नेता और हार्दिक पटेल के बेहद करीबी केतन पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया. एक समय था जब केतन पटेल को हार्दिक पटेल का साया बोला जाता था. जब गुजरात में पाटीदारों के आरक्षण के लिए आंदोलन चल रहा था, उस समय केतन और हार्दिक पटेल साथ-साथ ही नजर आते थे. केतन पटेल पर राजद्रोह का मामला भी दर्ज था. लेकिन बाद में वे हार्दिक के खिलाफ ही गवाह बन गए थे. राजनीतिक पंडितों के अनुसार हार्दिक के लिए यह बड़ा झटका है.
अमरीश पटेल: अमरीश पटेल भी हार्दिक पटेल के पूर्व सहयोगी रहे हैं. इन्होंने पटेल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. केतन पटेल के साथ वो भी भाजपा में शामिल हो गए हैं. इन पर भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ हुआ था. उस वक्त देशद्रोह के आरोप के बावजूद, अमरीश पटेल को गिरफ्तार नहीं किया गया था.
श्वेता पटेल: पाटीदार आंदोलन की महिला नेता श्वेता पटेल ने भी पाटीदार आंदोलन पर मुद्दे से भटकने का आरोप लगाते हुए भाजपा का दामन थाम लिया. इनके अनुसार आरक्षण आंदोलन अब धन-संग्रह कार्यक्रम बन गया था.
चिराग पटेल: हार्दिक पटेल के करीबी चिराग पटेल ने भी आंदोलन के पैसों का गलत इस्तेमाल का आरोप लगते हुए, भाजपा का दामन थाम लिया था. वो पाटीदार आंदोलन के समय से ही हार्दिक पटेल के साथ जुड़े हुए थे. उन्हें पाटीदार आंदोलन के बड़े नेताओं में से एक माना जाता था. इन पर भी गुजरात सरकार ने राजद्रोह का केस दर्ज कराया था.
वरूण पटेल: हार्दिक पटेल के महत्वपूर्ण सहयोगी वरुण पटेल, दीवाली के तुरंत बाद ही भाजपा का दामन थाम लिया था. वे पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के प्रमुख चेहरा थे और आंदोलन के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के आलोचक भी रहे थे.
रेशमा पटेल: हार्दिक पटेल को कांग्रेस का एजेंट बताते हुए रेशमा भाजपा में शामिल हुईं थीं. हां, ये बात और है कि कभी प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नेताओं के खिलाफ ज़हर उगलने के कारण सोशल मीडिया पर छाए रहती थी.
इस तरह से गुजरात के सियासत में हार्दिक पटेल के लिए अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. आलम ये है कि ये नहीं कहा जा सकता कि अभी हार्दिक के और कितने करीबी उनका हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामेंगे. हार्दिक पटेल को अपने पुराने साथियों को अपने साथ बनाए रखने के लिए एक जंग लड़नी पड़ रही है. लगातार पाटीदार आरक्षण से जुड़े नेताओं का भाजपा में जाना हार्दिक पटेल के साथ-साथ इस पूरे आंदोलन पर कहीं न कहीं असर डालता दिखाई देता है.
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