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Updated: 31 अगस्त, 2015 01:57 PM
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लोकसभा चुनाव 2014 : यह मेरी स्मृति में 'लहर' और 'फेंकू' शब्द के कारण बना हुआ है, बना रहेगा. जिन दो लोगों ने इसे गढ़ा होगा, उसे आज तक सलाम करता हूं. जातिवाचक संज्ञा से उठाकर किसी शब्द को व्यक्तिवाचक संज्ञा में तब्दील कर देना कोई हंसी-ठठे का खेल नहीं. अब जब 'फेंकू' व्यक्तिवाचक संज्ञा बन ही चुका है तो इस पर किसी एक का अधिकार क्यों... सो, हार्दिक पटेल कूद पड़े इसे हथियाने. एक इंटरव्यू में कह डाला कि 27 करोड़ गुर्जर उनके साथ हैं.  

देश का पांचवां 'हिस्सा' अकेले गुर्जर
27 करोड़ गुर्जर!!! जी हां, 27 करोड़ गुर्जर. लगभग 125 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 27 करोड़ गुर्जर रहते हैं. यादव-कुर्मी-कहार कितने हैं, इसकी बात मत कीजिए. मत कीजिए क्योंकि आंकड़े तो सरकार ने भी जारी नहीं किए हैं लेकिन आपको मानना पड़ेगा... 'मानना पड़ेगा' क्योंकि हार्दिक पटेल ने ऐसा कहा है. क्योंकि भीड़ जिस किसी के साथ होती है, उसकी बात माननी पड़ती है.

भारत का अगला सरदार पटेल!!!
सब-हेड देख कर इतना मत चौंकिए. यह मैंने मिर्च-मसाला लगाकर नहीं लिखा है - खुद हार्दिक पटेल ने कहा है. 22 साल का एक लड़का जो खुले आम कहता है कि जाति देख कर वोट करता हूं, जो कहता है कि एके-47 रखने का लाइसेंस भी इस देश में होना चाहिए - वह भारत का अगला सरदार पटेल होने वाला है.

भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद से प्रभावित
हार्दिक पटेल खुद को भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद से प्रभावित मानते हैं!!! कहते हैं कि 'जनरल डायर' को मार दूंगा - अहमदाबाद के जालियांवाला बाग के 'जनरल डायर' (जिसने 25 अगस्त को पाटीदार रैली के दौरान पुलिस कार्रवाई का हुक्म दिया) को मार दूंगा.

हर्ज क्या है? औसत फेंकू तो लगभग सभी होते हैं. जो औसत से ऊपर है - बहुत ऊपर - उसका 'हार्दिक' स्वागत कीजिए. भीड़ की खूबी और खामी का स्वागत कीजिए... स्वागत कीजिए 27 करोड़ गुर्जरों का... लोकतंत्र की इस खूबसूरती के साथ स्वागत कीजिए हार्दिक पटेल का... क्योंकि आपको स्वागत करना पड़ेगा!!!

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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