हरीश रावत ने अपना रोना रोया, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मौज ले ली!
सब दिन होत न एक समान... अभी कुछ दिन पहले की ही बात है. कांग्रेस हाईकमान के इशारे पर हरीश रावत ने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की छुट्टी करवा दी. अब कैप्टन वाली हालत उत्तराखंड में हरीश रावत की हो गई है, और ये दर्द उनसे सहा नहीं गया. ऐसे में इस बार प्रतिक्रिया देने की बारी कैप्टन अमरिंदर सिंह की थी.
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कांग्रेस के भीतर नेताओं के अर्श से फर्श पर आने की गति कितनी तेज है, इसका सबूत कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अपनी हताशा जाहिर करने वाले हरीश रावत दे सकते हैं. दरअसल, उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत का दर्द सोशल मीडिया पर छलक आया है. वैसे, हरीश रावत का ये गुस्सा कांग्रेस आलाकमान से लेकर उत्तराखंड कांग्रेस इकाई तक के खिलाफ नजर आ रहा है. लेकिन, हरीश रावत के इस गुस्से पर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर ने उनकी मौज ले ली है. अमरिंदर सिंह ने हरीश रावत के बयान पर तंज सकते हुए लिखा है कि 'जो बोएंगे, वही काटेंगे. आपको भविष्य की कोशिशों के लिए शुभकामनाएं (अगर हैं तो).'
You reap what you sow! All the best for your future endeavours (if there are any) @harishrawatcmuk ji. https://t.co/6QfFkVt8ZO
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) December 22, 2021
अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है, जब पंजाब कांग्रेस में लगी आग को बुझाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व के कहने पर हरीश रावत को भेजा गया था. उन्होंने आग तो क्या ही बुझाई, कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ पंजाब कांग्रेस के लोगों को जमा करवाया, और कैप्टन को कांग्रेस से बाहर का दरवाजा दिखा दिया था. लेकिन, अब वक्त ने करवट ली है. जिन हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सियासी राह में कांटे बो दिए थे. वो हरीश रावत अब अपने ही घर यानी उत्तराखंड में हताश है. हताशा कांग्रेस के ही संगठन को लेकर है. बुधवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट करके उन्होंने अपने उखड़े हुए मन, राजनीति से सन्यास और जंग लड़ने का संकेत एकसाथ दे दिया.
हरीश रावत ने क्या कहा?
हरीश रावत ने सिलसिलेवार ट्वीट में अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के समुद्र के बारे में अपना दर्द साझा किया है. हरीश रावत ने लिखा कि है- न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है. जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं. जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है. फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है 'न दैन्यं न पलायनम्' बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे.
#चुनाव_रूपी_समुद्रहै न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, 1/2 pic.twitter.com/wc4LKVi1oc
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 22, 2021
राहुल की रैली से रावत के पोस्टर गायब
हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड के देहरादून में एक रैली की थी. इस रैली से हरीश रावत के पोस्टर गायब थे. चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत को ये बात शायद नागवार गुजरी. क्योंकि, माना जा रहा था कि कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर उनको ही आगे किया है. लेकिन, देहरादून की रैली में पोस्टर से गायब रहने की वजह से हरीश रावत का गुस्सा भड़क गया है. उत्तराखंड में कांग्रेस के सबसे बड़े और कद्दावर नेता का चेहरा ही अगर राहुल गांधी की चुनावी रैली से गायब हो जाएगा, तो गुस्सा आना लाजिमी भी है. वैसे, हरीश रावत को जब पंजाब प्रभारी का पद दिया गया था, वो तब भी कांग्रेस आलाकमान से नाराज थे. हो सकता है कि उन्होंने अपना गुस्सा पंजाब कांग्रेस में बवाल भड़का कर ही निकाला हो. क्योंकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी अभी पंजाब में सब कुछ ठीक नहीं हुआ है. नवजोत सिंह सिद्धू पहले कैप्टन के खिलाफ हमलावर थे, तो अब सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.
उत्तराखंड में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता का चेहरा ही अगर राहुल गांधी की चुनावी रैली से गायब हो जाएगा, तो गुस्सा आना लाजिमी है.
संगठन में नहीं बन पा रही है पकड़
उत्तराखंड चुनाव 2022 से पहले राज्य स्तर पर कांग्रेस ने संगठन में व्यापक बदलाव किया था. इसमें हरीश रावत को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने के साथ ही उनके करीबी गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा गया था. लेकिन, यहां भी कांग्रेस आलाकमान ने दांव खेल दिया था. उत्तराखंड में भी पंजाब की तरह ही चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे. जिसके जरिये प्रीतम सिंह की अगुवाई वाले रावत विरोधी गुट को साधने की कोशिश की गई थी. माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह की अगुवाई वाला गुट अब हरीश रावत के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. माना जा रहा है कि संन्यास की बात कर हरीश रावत ने एक बार फिर से अपना पुराना दांव खेला है, जो पहले भी कामयाब रहा है. क्योंकि, उत्तराखंड में सबकुछ हरीश रावत के हाथ में होने के बाद भी राज्य कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव सीएम चेहरे को लेकर समय आने पर फैसले की बात करते नजर आते हैं. प्रीतम सिंह भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कहते ही रहते हैं.
#WATCH | "When the time comes, I will call you and share it with you...For now, enjoy...," says senior Congress leader Harish Rawat on his cryptic tweets about party leadership pic.twitter.com/ZqfObUuVPr
— ANI (@ANI) December 22, 2021
हालांकि, ट्वीट के जरिये कांग्रेस संगठन पर सहयोग न करने का बड़ा आरोप लगाने के बाद अब हरीश रावत कुछ भी कहने से बच रहे हैं. हरीश रावत की ओर से इतना ही कहा जा रहा है कि जब समय आएगा, तो मैं इस पर बात करूंगा. अभी केवल इसका आनंद लीजिए. कहा जा सकता है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बगावती तेवर अपनाने के बाद हरीश रावत भी यहां कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए वैसा ही कुछ ट्राई करने की कोशिश कर रहे हैं. खैर, रावत इसमें कितना कामयाब होंगे, ये तो वक्त बताएगा. लेकिन, इतना तय है कि अगर हरीश रावत को उत्तराखंड कांग्रेस संगठन का सहयोग नहीं मिला, तो यहां भी कांग्रेस की हालत खराब हो सकती है.
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