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समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
कुमार विवेक
@5348576095262528
दरकता जोशीमठ जूझते लोग
आर्थिक लाभ की हवस नें एक पूरे समुदाय को खतरे में डाल दिया है. प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा जीवन के जोखिम के रूप में सामने है. उस पिकनिक या पर्यटन स्थल के विकास के क्या मायने है जो मानव जीवन की कीमत पर हो. क्या जब हमारे पास पूर्वानुमान के इतने साधन थे. कई आपदाओं के उदाहरण थे.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
रजनीश कुमार सक्सेना
@5760451224046017
जोशीमठ की तर्ज पर कहीं हिमाचल का मैक्लोडगंज भी विकास की भेंट न चढ़ जाए
जिस तरह से जोशीमठ में जमीन धंस रही है. वैसा ही खतरा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में भी मंडरा रहा है. इस खतरे की वजह नगर निगम के नियमों को दर किनार कर लोगों की ओर से किया जा रहा अवैध निर्माण है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जोशीमठ की रोती-बिलखती महिलाएं दिल पर पत्थर रख अपने घरों को अलविदा कह आईं हैं
दुनिया कहां से कहां जा रही है मगर महिलाओं की दुनिया तो उनका घर होती है. घर की चारदावारी में उनकी धड़कन बसती है. वे कहीं भी चली जाएं घर आकर ही उन्हें चैन मिलता है. वे ही तो मकान को घर बनाती है. अपने हाथों से करीने से सजाती हैं. तीज त्योहार पर खुद भले ना सजें मगर घर को जरूर सजाती हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
सिर्फ जोशीमठ ही नहीं उत्तराखंड के ये 5 शहर भी 'विकास' की भेंट चढ़ गए हैं!
एक ऐसे समय में जब पवित्र शहर जोशीमठ पहले से ही डूब रहा है, 678 घरों को निवास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है. उत्तराखंड में पांच ऐसी अन्य जगहें हैं जहां के लिए अगर वक़्त रहते नहीं चेता गया तो फिर आने वाले वक़्त में कुछ संभालने को बचेगा नहीं.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
Shrsti Tiwari
जोशीमठ में आईं दरारें प्रकृति का नहीं, बल्कि सरकार का दोष है...
जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है वो दिल दहला देने वाला है, तमाम लोग हैं जो इसका दोष प्रकृति को दे रहे हैं. लेकिन ऐसा है नहीं. मामले में अगर वाक़ई दोष किसी का है तो वो अलग अलग सरकारें हैं जिन्होंने जोशीमठ को विकास की भाड़ में झोंक दिया.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जोशीमठ के लोगों का दर्द महसूस कर कलेजा फट जाएगा, घर बनाने में एक उम्र खपानी पड़ती है
घर बनाने में सिर्फ पैसा लगता है क्या? घर बनाने में इंसान झोंक देता है अपनी जवानी. अपनी जिंदगी भर की कमाई. घर सिर्फ मकान नहीं होता, घर होता है पूर्वजों की निशानी. बच्चों का भविष्य. घर सिर्फ सीमेंट, बालू, ईंट नहीं होता. घर होता है बच्चे का पहला रूंदन. घर से आंगन में गाए जाते हैं ब्याह के गीत. पहली बार उतरती है किसी की डोली. उसी घर से होती है जिंदगी के सफर की अंतिम विदाई और उठती है अर्थी...
संस्कृति
| 2-मिनट में पढ़ें
Ankita Tiwari
बाबा नीम करोली: वो चमत्कारी बाबा जिन्होंने मार्क जकरबर्ग तक को हैरत में डाल दिया!
बाबा राम रहीम, राधे मां जैसे केस के बाद भले ही लोगों का बाबाओं और संतों पर से विश्वास उठ गया हो लेकिन कुछ नीम करोली बाबा जैसे लोग भी हुए हैं जिन्होंने अपने चमत्कार से कई लोगों के बिगड़े काम बनाए हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
गुजरात में गर्लफ्रेंड इतिहास बस रचने वाली थी फिर बीच में 'जलकुकड़ा' आ गया!
गुजरात के सूरत में एक गर्लफ्रेंड ने अपने बॉयफ्रेंड को पास कराने के लिए ऐतिहासिक काम किया है. लेकिन भूल चूक करा दी एक जलकुकड़े ने, जिसकी मुखबिरी ने गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड दोनों की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ की लंका लगा दी है. ये दिल की बात है, इसलिए दिल से कही गई है. पढ़ते वक्त दिल पर मत लीजियेगा.
संस्कृति
| 3-मिनट में पढ़ें
आयुष कुमार अग्रवाल
@100006809583831
इगास-बग्वाल: उत्तराखंड का लोकपर्व जो दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है!
उत्तराखंड के लोकपर्व इगास-बग्वाल को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय अवकाश की घोषणा की है. यह दूसरा मौक़ा होगा जब उत्तराखंड के इस लोकपर्व को लेकर सरकारी अवकाश घोषित किया गया है. यह लोकपर्व दीपावली से 11 दिन बाद मनाया जाता है. इसे बूढ़ी दीवाली भी कहा जाता है. आइए इसके पीछे की मान्यता को जानते हैं.