जोशीमठ की रोती-बिलखती महिलाएं दिल पर पत्थर रख अपने घरों को अलविदा कह आईं हैं
दुनिया कहां से कहां जा रही है मगर महिलाओं की दुनिया तो उनका घर होती है. घर की चारदावारी में उनकी धड़कन बसती है. वे कहीं भी चली जाएं घर आकर ही उन्हें चैन मिलता है. वे ही तो मकान को घर बनाती है. अपने हाथों से करीने से सजाती हैं. तीज त्योहार पर खुद भले ना सजें मगर घर को जरूर सजाती हैं.
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अपने घर को आखिरी बार निहारती महिलाओं की आखें उस दिन को याद कर रही होंगी जब उनकी डोली आंगन में उतरी थी. वे नवेली दुल्हन बनी थीं. उनके बच्चे हुए थे. उनके बच्चे ने घऱ में पहला कदम रखा होगा. उस घर में रहते हुए जिन महिलाओं की उम्र ढल गई आज वे अपने घरों को छोड़कर जा रही हैं. हमेशा के लिए. उन्होंने आखिरी बार अपने घऱ को निहारा होगा. आखिरी बार रसोई को पोछा होगा. आखिरी बार घर में झाड़ू लगाई होगी.
दुनिया कहां से कहां जा रही है मगर महिलाओं की दुनिया तो उनका घर होती है. घर की चारदावारी में उनकी धड़कन बसती है. वे कहीं भी चली जाएं घर आकर ही उन्हें चैन मिलता है. वे ही तो मकान को घर बनाती है. अपने हाथों से करीने से सजाती हैं. तीज त्योहार पर खुद भले ना सजें मगर घर को जरूर सजाती हैं. वे भले ही आज घर से हमेशा के लिए दूर हो गई हैं लेकिन उनकी रूह इन घरों में ही गूंजेगी. उन्होंने तो सोचा होगा कि मरने के बाद ही इस घर से दूर होंगी लेकिन आज उन्हें हमेशा के लिए घर छोड़कर जाना पड़ रहा है.
अपने घर को आखिरी बार निहारती महिलाओं की आखें उस दिन को याद कर रही होंगी जब उनकी डोली आंगन में उतरी थी
आज किसी ने उनसे उनकी दुनिया छीन ली है. जिसके सहारे उनका दिन बीत रहा था. उम्र बची ही कितनी थी वे जैसे तैसे उस घर में काट ही लेतीं. मगर अब वे क्या करेंगी? किस सहारे रहेंगी? कितने तो सपने देखे दे. अभी बच्चों की शादी भी करानी थी. अब बिना शादी के घर में रौनक कहां होगी? जिस घर में उनकी जान बसती थी अब वही नहीं रहा. जान तो बची है बस जिंदगी खत्म हो गई...
वे आज टूट कर रो रही हैं. बिलख रही हैं. अपनी दुनिया उजड़ते देख रही हैं. मगर कुछ कर नहीं पा रही हैं. हाय इतनी मजबूरी खुदा किसी को ना दे, जितनी आज इन महिलाओं को मिली है. देखो एक कैसे दूसरे का दुख समझ रही है और वे दर्द बांट रही हैं. उन्हें पता है कि सबका दर्द एक ही है. वे औऱ कर भी क्या सकती हैं. उन्हें इस शहर से जाना ही होगा. जहां जिंदगी गुजारी वहां से जाना आसान नहीं होता है. अब अपने घर की यादों का ही सहारा है. इन आसुंओं से वैसे भी किसी को क्या फर्क पड़ता है. जिसपर बीतती है वही समझता है.
यह सच है कि जिंदगी में परेशानियां आती हैं. लेकिन ऐसी कोई रात नहीं होती जिसकी सुबह नहीं होती. यह सच है कि इन लोगों का घर गिर जाएगा. उस घर में बनाई गईं स्मृतियां ढक जाएंगी. मगर जिंदगी की यही कहानी है कि हर दुख की बदली को छंटना ही होता है. जिंदगी ने इन लोगों पर सितम किया है तो क्या हुआ फिर नया घरौंदा मिलेगा, फिर सपने संजेंगे.
परिवार वाले साथ हैं तो उस घर में फिर से नई यादें बनेंगी. शुक्र बनाइए कि कोई अनहोनी नहीं हुई और जिंदगियां बची हुई हैं वरना रोने वाला भी कोई नहीं होती. तो माना कि जिंदगी ने तमाम दुख दिए हैं लेकिन वह फिर से मुस्कुराने का मौका देगी. इसलिए हालात कोई भी क्यों ना हो हार नहीं मानना चाहिए, क्योंकि जिंदगी एक बार फिर मुस्कुराने का मौका देगी.
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