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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अयुष अग्रवाल
केदारनाथ त्रासदी के एक दशक: भयंकर तबाही के निशान अभी भी बाकी है!
Kedarnath Disaster: केदारनाथ आपदा को दस वर्ष का समय पूरा हो गया है. इसके बावजूद आज भी वहां भयावह आपदा के कई निशान मौजूद है. देवभूमि में इस आपदा के दुष्प्रभावों को खत्म करने के विभिन्न प्रयास किये गए है लेकिन अभी भी देवभूमि पर खतरा मंडरा रहा है.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
कुमार विवेक
@5348576095262528
दरकता जोशीमठ जूझते लोग
आर्थिक लाभ की हवस नें एक पूरे समुदाय को खतरे में डाल दिया है. प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा जीवन के जोखिम के रूप में सामने है. उस पिकनिक या पर्यटन स्थल के विकास के क्या मायने है जो मानव जीवन की कीमत पर हो. क्या जब हमारे पास पूर्वानुमान के इतने साधन थे. कई आपदाओं के उदाहरण थे.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
रजनीश कुमार सक्सेना
@5760451224046017
जोशीमठ की तर्ज पर कहीं हिमाचल का मैक्लोडगंज भी विकास की भेंट न चढ़ जाए
जिस तरह से जोशीमठ में जमीन धंस रही है. वैसा ही खतरा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में भी मंडरा रहा है. इस खतरे की वजह नगर निगम के नियमों को दर किनार कर लोगों की ओर से किया जा रहा अवैध निर्माण है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जोशीमठ की रोती-बिलखती महिलाएं दिल पर पत्थर रख अपने घरों को अलविदा कह आईं हैं
दुनिया कहां से कहां जा रही है मगर महिलाओं की दुनिया तो उनका घर होती है. घर की चारदावारी में उनकी धड़कन बसती है. वे कहीं भी चली जाएं घर आकर ही उन्हें चैन मिलता है. वे ही तो मकान को घर बनाती है. अपने हाथों से करीने से सजाती हैं. तीज त्योहार पर खुद भले ना सजें मगर घर को जरूर सजाती हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
सिर्फ जोशीमठ ही नहीं उत्तराखंड के ये 5 शहर भी 'विकास' की भेंट चढ़ गए हैं!
एक ऐसे समय में जब पवित्र शहर जोशीमठ पहले से ही डूब रहा है, 678 घरों को निवास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है. उत्तराखंड में पांच ऐसी अन्य जगहें हैं जहां के लिए अगर वक़्त रहते नहीं चेता गया तो फिर आने वाले वक़्त में कुछ संभालने को बचेगा नहीं.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
Shrsti Tiwari
जोशीमठ में आईं दरारें प्रकृति का नहीं, बल्कि सरकार का दोष है...
जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है वो दिल दहला देने वाला है, तमाम लोग हैं जो इसका दोष प्रकृति को दे रहे हैं. लेकिन ऐसा है नहीं. मामले में अगर वाक़ई दोष किसी का है तो वो अलग अलग सरकारें हैं जिन्होंने जोशीमठ को विकास की भाड़ में झोंक दिया.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जोशीमठ के लोगों का दर्द महसूस कर कलेजा फट जाएगा, घर बनाने में एक उम्र खपानी पड़ती है
घर बनाने में सिर्फ पैसा लगता है क्या? घर बनाने में इंसान झोंक देता है अपनी जवानी. अपनी जिंदगी भर की कमाई. घर सिर्फ मकान नहीं होता, घर होता है पूर्वजों की निशानी. बच्चों का भविष्य. घर सिर्फ सीमेंट, बालू, ईंट नहीं होता. घर होता है बच्चे का पहला रूंदन. घर से आंगन में गाए जाते हैं ब्याह के गीत. पहली बार उतरती है किसी की डोली. उसी घर से होती है जिंदगी के सफर की अंतिम विदाई और उठती है अर्थी...