पुलिस के हाथों में चालान की जगह फूल का आना प्यार नहीं चुनावी मजबूरी है !
जो पुलिस वाले कल तक सीधे मुंह बात नहीं करते थे, बस चालान काटने के बहाने ढूंढ़ने लगते थे, आजकल वो प्यार से लोगों को समझा रहे हैं कि ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए. हाथों में चालान लिए घूमने वाली पुलिस फूल देकर समझाए, तो हैरानी तो होगी ही.
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वो पहला चालान तो आपको भी याद ही होगा, 15 हजार की स्कूटी और 23 हजार का चालान. वही चालान जिसने अपना डर फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. नया नियम लागू होने के बाद ये पहला चालाना था, जिसके तहत इतना भारी-भरकम जुर्माना लगाया गया था. अब अगर वो स्कूटी का चालान याद आ गया है तो ये भी याद आ ही गया होगा कि वह हरियाणा के गुरुग्राम में कटा था. लेकिन अब इस गुरुग्राम की फिजा बदली-बदली सी लग रही है. जो पुलिस वाले कल तक सीधे मुंह बात नहीं करते थे, देखते ही बस चालान काटने के बहाने ढूंढ़ने लगते थे, आजकल वो प्यार से लोगों को समझा रहे हैं कि ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए. रातोंरात गुरुग्राम की हवा में ऐसी कौन सी गैस फैल गई, जिसने पत्थरदिल पुलिसवालों को मोम का बना दिया?
दरअसल, ये चुनावी बयार है, जो जब चलती है तो जनता को पुचकारती जरूर है, लेकिन बस तब तक, जब तक अपना स्वार्थ पूरा नहीं हो जाता. बता दें कि 21 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसी के मद्देनजर काफी पहले से ही हरियाणा सरकार जागरुकता फैलाने लगी थी. चालान काटने की जगह फूल तक दिए जा रहे थे. वैसे भी, हाथों में चालान लिए घूमने वाली पुलिस फूल देकर समझाए, तो हैरानी तो होगी ही. भले ही हरियाणा के बाकी हिस्सों जागरुकता फैलाई जा रही थी, लेकिन गुरुग्राम में चालानों का कटना बदस्तूर जारी था, जो अब रुक सा गया है. 21 सितंबर के बाद चालान कटने की दर तेजी से इतनी नीचे गिरी है कि मानो रुक सी गई हो.
हाथों में चालान लिए घूमने वाली पुलिस फूल देकर समझाए, तो हैरानी तो होगी ही.
97 फीसदी कम हुए चालान कटने के मामले
ये वही गुरुग्राम है, जहां पिछले दिनों तक चालान काटने की होड़ मची थी. यूं लग रहा था मानो पुलिसवाले एक दूसरे को इस बात की टक्कर दे रहे हैं कि कौन सबसे ज्यादा बड़ा चालान काटेगा. लेकिन 21 सितंबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा क्या हुई, कल तक शिकारी की तरह घूमने वाले पुलिसवाले दोस्त बन रहे हैं. वो लिखा हुआ रहता है ना- 'पुलिस आपकी मित्र.' गुरुग्राम की सड़कों पर पहली बार पुलिस को मित्र की भूमिका में देखा जा रहा है. कल तक जो पुलिसवाले रोजाना 1500 तक चालान काट रहे थे, अब ज्यादा से ज्यादा 50 चालान काट रहे हैं.
चुनावी मौसम आते ही 'बर्ताव में बदलाव'
ऐसा नहीं है कि सिर्फ नेताओं के बर्ताव ही चुनावी मौसम में बदलते हैं. गुरुग्राम के पुलिसवालों के बर्ताव भी चुनावी मौसम में बदल गए हैं. वो बात अलग है कि वजह इसकी चुनावी ही है. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की भाजपा सरकार ये तो जानती ही है कि लोग नए चालान के नियमों के कुछ खास खुश नहीं हैं. बल्कि खुद हरियाणा सरकार ने भी नए नियमों को लागू करने में थोड़ी टाल-मटोल की. सख्त फैसलों के लिए जानी जाने वाली मोदी सरकार भी ये समझती है कि हर वक्त सख्ती काम नहीं आती. वक्त की नजाकत को समझते हुए नरमी भी बरतनी पड़ती है. और यही वजह है कि आजकल गुरुग्राम के सख्त पुलिसवाले नरम दिल हुए जा रहे हैं.
जागरुकता पहले फैलाई जाती है, बाद में नहीं !
किसी मुहिम की शुरुआत करनी हो तो सरकार उसके लिए महीनों और कई बार सालों से जागरुकता फैलाना शुरू कर देती है. स्वच्छ भारत अभियान को ही ले लीजिए. सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी ने हर ओर जागरुकता फैलाई और इसी का नतीजा है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर मोदी ने सीना ठोकते हुए कहा कि अब भारत खुले में शौच करने से मुक्त हो चुका है. जीएसटी लागू करने से पहले भी सरकार ने खूब उसके फायदों का गुणगान किया. लेकिन इतने भारी भरकम जुर्मानों की झड़ी लगाने से पहले मोदी सरकार ने जागरुकता का नहीं सोचा. भाजपा की सरकार ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को भी वैसे ही लागू कर दिया, जैसे नोटबंदी लागू की थी. हां, चुनाव देखते हुए मनोहर लाल खट्टर ने काफी पहले ही कह दिया था कि वह हरियाणा में जागरुकता फैलाएंगे, लेकिन चालान के रिकॉर्ड बनाने में सबसे पहला नाम भी हरियाणा का ही रहा. जागरुकता फैलाना शुरू भी किया, लेकिन गुरुग्राम में चालान कटते रहे. भले ही ट्रैफिक के सख्त नियम के पीछे सरकार की मंशा सही है, लेकिन ये बात सरकार भी समझ रही है कि लोग नाराज हो सकते हैं. यही तो वजह है कि हरियाणा चुनाव आते ही भाजपा आलाकमान ने फैसला किया कि अब लोगों के साथ नरमी बरती जाएगी, क्योंकि इसका फायदा विरोधी पार्टियां भी उठा सकती हैं.
विरोधियों की रणनीति में चालान भी अहम मुद्दा
हरियाणा की जननायक जनता पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह चौटाला को ही ले लीजिए, अपनी चुनावी रैलियों में वह नए मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव की बात करते नजर आ रहे हैं. भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को लोगों पर अत्याचार करने वाला बता रहे हैं. कांग्रेस नेता और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपिंदर सिंह हुडा भी अपनी रैलियों में भाजपा सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं. उनका कहना है कि नया मोटर व्हीकल एक्ट जनता विरोधी है और अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो वह जुर्माने में कटौती करेंगे. इतना सब होने के बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि गुरुग्राम पुलिस अपनी मर्जी से नरम नहीं हुई है, बल्कि मजबूरियों के बोझ तले दब गई है. आखिर घर भी तो चलाना है और घर तब चलेगा, जब नौकरी बचेगी. चालान के रिकॉर्ड बनाकर गिनीज बुक में नाम दर्ज नहीं होने वाला.
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