राजनीति के 'अभिमन्यु' तो नहीं हो गए हैं अखिलेश यादव! - has akhilesh become abhimanyu of up politics after mulayam yadav denies him as chiefminister candidate
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Updated: 15 अक्टूबर, 2016 12:51 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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मुलायम सिंह ने आज यह कह कर कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चयन विधायक करेंगे, इस बात को और बल दे दिया कि बाप बेटे में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. भले ही समाजवादी पार्टी के सारे बड़े नेता यह भरोसा जगाते दिखते हों कि पार्टी में सब कुछ ठीक है पर ऐसा लगता नहीं. अगर बात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की की जाय तो उनकी स्थिति चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु की तरह हो गयी है, जहां उनके बाप-चाचा ही उन्हें घेरने में लगे हैं.

अखिलेश के पर कुतरने की शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने उसी समय कर दी जब बिना अखिलेश को विश्वास में लिए भाई शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. पद संभालते ही चाचा भी अखिलेश के कुछ समर्थकों को पद से हटा कर अखिलेश की पार्टी में पैठ कम करते ही दिखे. शिवपाल ने अखिलेश के लाख विरोध के बावजूद भी क़ौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय करा पार्टी के अंदर अपनी साख और अखिलेश को उनकी जगह दिखा दी.

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अखिलेश को बाप-चाचा के दबाव में आकर प्रजापति जैसे नेता को फिर से मंत्री बनाना पड़ा जिसे वह पहले ही निकाल चुके थे. अब मुलायम ने यह कह कर अखिलेश का चुनाव जितने के बाद मुख्यमंत्री बनना भी तय नहीं है, पार्टी के अंदर और बाहर उनके उनके भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. अब आखिर अखिलेश यादव की पार्टी के अंदर हैसियत होगी तो क्या होगी?

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 ...पार्टी में क्या हैसियत है 'मुख्यमंत्री' की

अगर अखिलेश को न तो टिकट तय करने का अधिकार है, ना ही पार्टी के अंदर अखिलेश अपने समर्थकों का बचाव कर सकते हैं, अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों के लिए भी अखिलेश को दुसरे की ही सलाह पर निर्भर रहना पड़ रहा है. और यहां तक कि अगर चुनाव जीतने के बाद भी अखिलेश का अगर मुख्यमंत्री बनना तय नहीं है, तो आखिर वे किस भूमिका में उत्तर प्रदेश के चुनावों में उतरेंगे?

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आज अखिलेश की स्थिति अपने ही पार्टी के अंदर 'बेचारे' की हो गयी है. अखिलेश की ना तो सरकार में चल रही है और नाही पार्टी के अंदर. उनके सारे अपने उनके लिए विपक्षियों की भूमिका आ खड़े हुए हैं.

अखिलेश के लिए दुख कि बात यह भी होगी कि पिछले दो वर्षों में जिस तरह उन्होंने पार्टी और सरकार कि छवि बदलने के लिए अच्छे काम किये उनका उपयोग ना तो पार्टी कर रही है ना ही इसके बड़े नेता. बजाय इसके चुनाव जीतने के लिए उन्ही तिकड़म और प्रपंचो का उपयोग किया जायेगा जिससे भागने के अखिलेश ने कई प्रयास किए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

लेखक

अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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