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Updated: 19 अप्रिल, 2017 07:27 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भाजपा के नेताओं जैसे लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी एवं उमा भारती सहित 13 अन्य नेताओं पर आपराधिक मामला चलाने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की याचिका मंजूर कर ली. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने रोजाना सुनवाई के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट दो साल में मामले की सुनवाई पूरी करे.  

प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि ये भाजपा के लिए बहुत बड़ा धक्का है. क्योंकि इसी मुद्दे ने भाजपा को केंद्र में सत्ता दिलवाने में सबसे ज्यादा मदद की थी. और ये ही वो नेता थे जिन्होंने इस मुद्दे पर पार्टी का नेतृत्व किया था. पर क्या यह भाजपा के लिए सचमुच बहुत बड़ा धक्का है? क्या इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है? इस अवधारणा के ठीक उल्टे इस आदेश से नरेंद्र मोदी को और भाजपा दोनों को फायदा हो सकता है.

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ऐसे कारण जिसके चलते भाजपा को फायदा होगा-

राम मंदिर का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से राम मंदिर का मुद्दा फिर से राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया है. आज के युवा, जो लगभग  6 दिसंबर 1992 के बाद पैदा हुए हैं, वो भी इस मुद्दे के बारे में जानेंगे. भाजपा इस मुद्दे को हिन्दू अस्मिता से जोड़ कर देखती है. अगर युवा पीढ़ी भी यही अवधारणा बनाती है तो भाजपा को उनके मन मस्तिष्क पर भगवा रंग चढाने में मदद मिलेगी.

मुद्दा लगातार दो वर्ष तक खबरों में रहेगा  

सर्वोच्च न्यायालय ने लखनऊ में सेशन जज को आदेश दिए हैं कि वह रोजाना इस मामले में सुनवाई करें और सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर नहीं होगा. न्यायलय ने सीबीआई को आदेश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गवाहों को कोर्ट में रोज पेश किया जाए ताकि बाबरी विध्वंस मामले के ट्रायल में कोई देरी न हो एवं फैसला निर्धारित दो वर्षों में हो जाए. मतलब के अगले लोक सभा चुनाव तक, जो की 2019 में होगा, यह मुद्दा हर दिन खबरों में रहेगा. इसका फायदा लाजिमी तौर पर भाजपा को होगा.

भाजपा के नेताओं का मंदिर के लिए त्याग

इस आदेश से लोगों में सन्देश जायेगा कि भाजपा के बड़े से बड़े नेता भी राम मंदिर के लिए आपराधिक मामले को सहर्ष झेल रहे हैं. यानी की भाजपा का भव्य राम मंदिर बनाने का दावा केवल जुमला नहीं हैं. पार्टी इसके लिए कृत्यसंकल्प है.

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मोदी गुरुदक्षिणा देने से बच जायेंगे

देश के अगले राष्ट्रपति के लिए जिन नामों की चर्चा है उनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम भी शामिल है. आज के फैसले के बाद से इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि ये अब राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल नहीं होंगे. आडवाणी से प्रधानमंत्री मोदी के सम्बन्ध पिछले कई वर्षों से बहुत मधुर नहीं है. ऐसा माना जा रहा था कि राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री कराने वाले अपने गुरु आडवाणी को पीएम मोदी गुरुदक्षिणा के तौर पर राष्ट्रपति पद तक पहुंचाने को तैयार हैं. अब मोदी को ऐसे कोई बाध्यता नहीं रहेगी.

सीबीआई पिंजरे का तोता नहीं हैं

सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय में इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलाए जाने की मांग की थी. साथ ही इसने मांग की थी कि साजिश की धारा हटाने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाना चाहिए. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए 21 मई 2010 को आडवाणी, जोशी समेत भाजपा व विहिप के 13 नेताओं को बरी कर दिया था. यानी की सीबीआई भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग कर रहा था. यूपीए की सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे का तोता' करार दिया था. अब सीबीआई कह सकती है की ये पिंजरा का तोता नहीं है.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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