बिहार में बाढ़ है, नीतीशे कुमार हैं - फिर से 'कितना लोगे' तो नहीं पूछेंगे PM मोदी?
प्रधानमंत्री बन चुके मोदी के बारे में अब नीतीश कुमार कहते हैं कि 2019 में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता. ये वही नीतीश कुमार हैं जो बिहार के लिए बड़े बाढ़ राहत पैकेज की उम्मीद लगाये बैठे हैं - और कभी सामने की थाली खींच लेने का इल्जाम सह चुके ये वही नीतीश कुमार हैं जो मोदी के साथ लंच का इंतजार कर रहे हैं.
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बिहार में बहार की जगह फिलहाल बाढ़ ने ले ली है. करीब साढ़े तीन सौ लोग जान गंवा चुके हैं और 18 जिलों के हजारों लोग बेघर होकर जहां तहां गुजारा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनका पूरा सरकारी अमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पैकेज के लिए ब्योरे तैयार कर रहा है. इसी दौरान सृजन घोटाला व्यापम् की तरह व्यापक रूप लेता जा रहा है और राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार से सवाल पूछना शुरू कर दिया है. उधर, लालू प्रसाद रांची के सीबीआई कोर्ट में हाजिरी लगा रहे हैं - तेजस्वी यादव जनादेश अपमान यात्रा पर हैं और आरजेडी के बाकी नेता पटना रैली की तैयारी कर रहे हैं.
ऐसी तमाम सरकारी और राजनीति गतिविधियों से परेशान लोग अपनों की तलाश कर रहे हैं. इन्हीं में बिहार के रहने वाले जयदेव भी हैं जो अपनी भावी बहू को लेकर खासे चिंतित हैं.
बहू कहां से लायें!
मोतीहारी निवासी जयदेव तीस साल से एनसीआर में रहते हैं. शुरू में ऑटोरिक्शा चलाते थे और पिछले दस साल से रिक्शा चलाते हैं - और काफी दिनों से पत्नी और दो बच्चों के साथ इंदिरापुरम में झुग्गी बस्ती में रहते हैं.
पिछले साल छठ के मौके पर जब जयदेव गांव गये थे तो बड़े लड़के के लिए रिश्ता आया. लड़की देखी और शादी तय कर दी. पिछले लगन में नहीं हो संभव नहीं हो पाया इसलिए अब नवंबर में शादी की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच गांव से खबर आई कि लड़की वालों के परिवार की कोई खोज खबर नहीं है.
बाढ़ ने किया बेघर...
बाढ़ आने के बाद लड़की के परिवार वाले कहां और किस हाल में हैं कुछ भी पता नहीं चल रहा है. जयदेव जहां कहीं से भी जानकारी मिलने की संभावना है फोन कर पता करने की कोशिश कर रहे हैं. गांव में उनके परिवार के लोग भी अपने स्तर पर लड़की वालों की खोजबिन कर रहे हैं.
जयदेव जब सुबह सोकर उठे तो भाई के नंबर से आठ मिस्ड कॉल देखे तो परेशान हो गये. होनी-अनहोनी की उलझन से उबर कर भाई को फोन मिलाया तो मालूम हुआ सरकार बाढ़ पीड़ितों को छह-छह हजार रुपये तत्काल सहायता के तौर पर देने वाली है.
जयदेव ने बताया, "सरकार पैसे दे रही है. अब गांव जाऊंगा और बहू को भी खोजूंगा." अब गांव पहुंचने की अलग मुश्किलें हैं - ट्रेनें बहुत लेट चल रही हैं और बाढ़ के चलते आवागमन के बाकी साधनों पर भी बुरा असर पड़ा है.
नये ठिकाने की तलाश...
लालू प्रसाद की रैली से ठीक एक दिन पहले, 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में बाढ़ का जायजा लेने जा रहे हैं. इस दौरान वो कटिहार, किशनगंज, अररिया पूर्णिया सहित राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे. प्रधानमंत्री से बिहार सरकार को बड़े बाढ़ राहत पैकेज की उम्मीद है और इसके लिए तमाम सरकारी विभाग बाढ़ से हुए नुकसान का ब्योरा तैयार कर रहे हैं. बाढ़ लोगों को जान तो गंवानी ही पड़ी है, फसलों के साथ साथ सड़क, पुल और बहुत सारे छोटे छोटे पुलिया को सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
सात साल बाद
सात साल लंबा वक्त होता है, लेकिन तमाम बदलावों का सफर तय करते हुए गुजर भी जाता है. 2010 में भी नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री थे, लेकिन मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. गुजरात सरकार की ओर से 2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 5 करोड़ रुपये भिजवाये गये थे. तब मोदी से तल्ख रिश्तों के चलते नीतीश कुमार ने 5 करोड़ का पैकेज लौटा दिया था. हालांकि, तब भी नीतीश कुमार एनडीए में ही थे और अभी की ही तरह गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री थे.
दरअसल, नीतीश कुमार बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान अखबारों में छपे विज्ञापन से नाराज थे. विज्ञापनों में बाढ़ राहत के लिए मोदी का धन्यवाद किया गया था. इसके साथ ही कुछ पोस्टर भी लगाये गये थे जिनमें मोदी और नीतीश साथ नजर आ रहे थे. नीतीश इन बातों से इतने खफा हुए कि बाढ़ राहत का पैकेज लौटाने के साथ ही बीजेपी नेताओं के लिए मुख्यमंत्री आवास में आयोजित डिनर भी कैंसल कर दिया था.
अब न वो दौर है... अब न वो...
दो साल पहले जब बिहार चुनाव हो रहे थे तो मोदी ने भरी सभा में कहा था कि किस तरह नीतीश ने उनके आगे की थाली खींच ली थी. 21 अगस्त की चुनावी सभा में मोदी ने कहा, "जीतन राम मांझी पर ज़ुल्म हुआ तो मैं बेचैन हो गया. एक चाय वाले की थाली खींच ली, एक ग़रीब के बेटे की थाली खींच ली. लेकिन जब एक महादलित के बेटे का सबकुछ छीन लिया तब मुझे लगा कि शायद डीएनए में ही गड़बड़ है." मोदी के डीएनए वाली टिप्पणी पर जो हुआ उसका हिसाब किताब कुछ तो हो चुका है और कुछ होने वाला है.
सात साल बाद वही नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बन चुके मोदी के बारे में कहते हैं कि 2019 में मोदी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. वही नीतीश कुमार बड़े बाढ़ राहत पैकेज की उम्मीद लगाये बैठे हैं और वही नीतीश कुमार मोदी के साथ लंच करने वाले हैं. वैसे हाल ही में नीतीश ने दिल्ली जाकर मोदी के साथ लंच किया था और उससे पहले सोनिया गांधी के भोज का न्योता ठुकरा दिया था.
आखिर कितना देंगे मोदी?
2015 के चुनावों में ही प्रधानमंत्री मोदी ने 1.25 लाख करोड़ के स्पेशल पैकेज की बात कही तो खूब हंगामा हुआ था. असल में जिस अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी ने इस पैकेज की बात की थी उसकी खूब चर्चा हुई. ऐलान से पहले मोदी ने पूछा था - कितना लोगे? बाद में लालू प्रसाद ने मोदी की मिमिक्री करते हुए खूब मजाक उड़ाया था.
नवंबर, 2015 में जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गये प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर बाढ़ राहत 80 हजार करोड़ का राहत पैकेज दिया था. फिर दिसंबर, 2015 में मोदी ने तमिलनाडु के बाढ़ पीड़ितों का हाल देखने के बाद एक हजार करोड़ रुपये तत्काल जारी करने का ऐलान किया. हाल ही में नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में आई बाढ़ के बाद बिगड़े हालात का जायजा लेने गुवाहाटी पहुंच नरेंद्र मोदी ने 2350 करोड़ के पैकेज का एलान किया है. देखना है बिहार के खाते में प्रधानमंत्री के पैकेज से कितना ट्रांसफर होता है?
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