अमेठी के लिए इतनी कॉन्फिडेंट कैसे हैं स्मृति ईरानी
अमेठी लोकसभा सीट पर दूसरी बार किस्मत आजमाने जा रहीं स्मृति इरानी के तेवर बेहद आक्रामक लग रहे हैं. वो सोशल मीडिया में प्रियंका गांधी पर कटाक्ष करने से नहीं चूक रहीं हैं.
-
Total Shares
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ यूपीए सरकार के समय से जमीन घोटाले के केस चल रहे हैं. और अमेठी से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहीं स्मृति इरानी इसीलिए डंके की चोट पर 'जमीन चोर' जैसी उपमा का इस्तेमाल कर रही है. दरअसल, रॉबर्ट के बहाने स्मृति इरानी का निशाना प्रियंका गांधी पर है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जब एक पत्रकार ने प्रियंका से स्मृति इरानी के बारे में टिप्पणी करने को कहा था, ताे उन्होंने स्मृति के बारे में सिर्फ इतना ही कहा- Who (कौन)? और ये राजनीतिक दुश्मनी 2019 में नए दौर में पहुंच गई है.
ये तो तय था कि कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी से लोकसभा चुनाव 2019 में भी बीजेपी स्मृति ईरानी को ही टिकट देगी. क्योंकि 2014 में स्मृति ने राहुल गांधी से टक्कर का मुकाबला किया था. इस बार भी स्मृति ईरानी पूरी तैयारी से मैदान में उतरी हैं. सीधा मुकाबला भले ही राहुल गांधी से हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस बार स्मृति की तुलना प्रियंका गांधी से हो रही है. स्वाभाविक भी है. क्योंकि दोनों ही पार्टियों में प्रियंका गांधी और स्मृति ईरानी बड़े नाम हैं. लेकिन इस बार स्मृति के तेवर बेहद आक्रामक लग रहे हैं. वो सोशल मीडिया में प्रियंका गांधी पर कोई कटाक्ष करने से नहीं चूक रहीं.
स्मृति का कहना है कि प्रियंका और उनका कोई मुकाबला नहीं, क्योंकि मेरे पति जमीन चोर नहीं हैं
हाल ही में स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर प्रियंका गांधी का वीडियो शेयर करते हुए प्रियंका पर लाल बहादुर शास्त्री का अपमान करने का आरोप लगाया था. एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें प्रियंका अपने गले से माला उतारकर वही माला लाल बहादुश शास्त्री की प्रतिमा पर डाल देती हैं.
मुंडी झुकाइएके सर झटकाइएकेगुमान में बिटिया भूल गई मरजादआपन गले की उतरन, पहनाए दीहिन शास्त्री जी के अपमान पर ताली बजाएके, हाथ हिलाइएके चल दीहलें कांग्रेस बिटिया तोहार pic.twitter.com/ndwT15Y8co
— Chowkidar Smriti Z Irani (@smritiirani) March 20, 2019
इसके बाद एक न्यूज चैनल पर भी स्मृति ईरानी प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी पर तंज करने से बाज नहीं आईं. उनसे उनसे सवाल किया गया कि- लोग कहते हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित कर देंगी. अमेठी और रायबरेली तो छोड़िए इस बार 25-30 सीटें कांग्रेस के खाते में आने वाली हैं. स्मृति ईरानी का मुकाबला प्रियंका गांधी से है. आपको क्या लगता है? इसपर बड़े आत्म विश्वास के साथ स्मृति ईरानी ने कहा कि 23 मई को पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि 'मेरा और प्रियंका का कहीं कोई मुकाबला नहीं है. मेरे पति जमीन चोर नहीं हैं. किस आधार पर मुकाबला?
तब उनसे कहा गया कि कांग्रेस में प्रियंका गांधी एक बड़ा नाम हैं, कांग्रेस की महा सचिव हैं. तो स्मृति ईरानी ने अपने एक्पीरियंस का हवाला देते हुए ये जताने की कोशिश की कि वो प्रियंका गांधी से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. स्मृति ईरानी ने कहा- मेरी 20 साल नौकरी की है. 2 बार से सांसद हूं. 3 बार अलग-अलग मंत्रालय में सेवा करने का मौका मिला है. फिर भी एक सामान्य परिवार से हूं राजघराने से नहीं. तो हम दोनों में मुकाबला ही नहीं है.'
और अंत में स्मृति ने राहुल गांधी पर भी कटाक्ष करते हुए उन्हें बेवकूफ कह दिया. उन्होंने कहा कि- 'भगवान की दया से मेरे भाई भी बेवकूफ नहीं हैं.' लेकिन माना नहीं- सुनिए कैसे-
#NewsAlert | My husband isn't corrupt and with God’s grace my brother is wise, says @smritiirani tells @AMISHDEVGAN on comparison with @priyankagandhi.
(An excerpt from an #EXCLUSIVE interview) pic.twitter.com/mTbK7AX6K0
— News18 (@CNNnews18) March 21, 2019
लेकिन लोगों को स्मृति की पति की जमीन चोरी वाली बात हजम नहीं हुई. सोशल मीडिया पर लोगों ने स्मृति को याद दिलाया कि उनके पति पर भी 2017 में स्मृति ईरानी के पति पर मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में गलत ढंग से जमीन हथियाने का आरोप लगा था. स्मृति के पति जुबिन ने उस जमीन से लगी हुई सरकारी स्कूल की जमीन पर भी कब्जा कर लिया. कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर स्मृति इरानी को चुनाव हारने के बावजूद मिले पद को प्रधानमंत्री की 'कृपा' बता डाला. उन्हें उनकी शिक्षा के बारे में भी याद दिलाया गया.
स्मृति का आत्मविश्वास या अति आत्मविश्वास ?
स्मृति ईरानी बेहद आतंविश्वास के साथ बोलती हैं. उनके बोलने का लेहजा और तुरंत आने वाली प्रतिक्रिया ये साबित करती है कि वो एक अच्छी वक्ता और एक प्रभावशाली नेता हैं. तीन मंत्रालयों को संभालकर उन्होंने खुद को राजनीति में स्थापित किया है. इसलिए वो खुद को प्रयंका गांधी से बेहतर आंकती हैं क्योंकि कोई भी पद संभालने या फिर राजनीति में बिताए समय को देखें तो स्मृति इरानी का प्रियंका गांधी से कोई मुकाबला नहीं है. प्रियंका गांधी वाड्रा तो अभी-अभी राजनीति में उतरी हैं.
कुछ दिन पहले स्मृति इरानी एक प्रेस कान्फ्रेंस करके आरोप लगा चुकी हैं कि जमीन घोटालों में सिर्फ रॉबर्ट वाड्रा ही नहीं, राहुल और प्रियंका गांधी पर केस चलने चाहिए. स्मृति ने एचएल पाहवा नाम के शख्स का नाम लेकर बताया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने एक ऐसे विवादित आदमी से जमीन खरीदी है, जिस पर संजय भंडारी से जुड़े होने का आरोप है. यही संजय भंडारी रॉबर्ट वाड्रा के मनी लॉड्रिंग केस से जुड़ा है. यानी स्मृति इरानी ने घोटाले की जड़ को गांधी परिवार के भीतर तक साबित कर दिया.
कितना मुश्किल है स्मृति के लिए अमेठी सीट जीतना
गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी से राहुल गांधी 15 साल से सांसद हैं. राहुल गांधी से पहले सोनिया गांधी 1999-2004 तक यहां की सासंद रही हैं. सिर्फ 1998 में ही ये सीट ने जीती थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी पहली बार राहुल गांधी से मुकाबला करने अमेठी पहुंची थीं. गांधी परिवार की इस परंपरागत सीट के लिए स्मृति की पहचान मोदी लहर पर सवार एक टीवी अदाकारा की ही थी. नतीजा ये हुआ कि वो 1 लाख से ज्यादा वोटों से हार गई. राहुल गांधी को 4,08,651 वोट मिले. जबकि, स्मृति ईरानी को 3,00,748. लेकिन यह हार इसलिए अहम थी कि इस बार कांग्रेस के लिए जीत का अंतर काफी कम हो गया था.
2014 के नतीजे के बाद ही भाजपा ने तय कर दिया था कि अगले चुनाव में फिर स्मृति इरानी अमेठी से चुनाव लड़ेंगी. और तब तक अमेठी पर अपने चुनाव क्षेत्र के रूप में काम करती रहेंगी. नतीजा ये हुआ कि अपनी राजनीतिक व्यस्तता के कारण राहुल गांधी तो अमेठी कम जाते थे, स्मृति इरानी अकसर वहां का दौरा करती रहीं. पिछले दिनों बीजेपी के कई कद्दावर नेता, और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सीट का कई बार दौरा कर चुके हैं.
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से यूपी में बीजेपी का ग्राफ ऊपर ही ऊपर गया है, जबकि कांग्रेस पूरी तरह हाशिए पर चली गई है. 2019 चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का एलान करते हुए मायावती ने कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली सीट को जिस तरह छोड़ा है, वह कांग्रेस के लिए अपमानजनक ही रहा. विपक्ष की इस तकरार का फायदा तो बीजेपी को मिलेगा ही. सवाल सिर्फ इतना ही है कि यूपी में पार्टी के भीतर कलह झेल रही कांग्रेस के हिस्से क्या इस बार भी अमेठी में परंपरागत वोट पड़ेगा.
प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि दिखती है, इस बात के लिए क्या राहुल गांधी को अमेठी से वोट मिलेगा. 2014 के चुनाव में देश में प्रमुख मुकाबला मोदी बनाम कांग्रेस था. इस बार मोदी बनाम 'अनाम' है. हर बार कांग्रेस उम्मीदवार को विजयी बनाकर अमेठी एक प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार देती आई है. इस बार राहुल गांधी के साथ ऐसी संभावना कम है. ऐसे में स्मृति इरानी के लिए संभावना ज्यादा है. नतीजा 23 मई को.
ये भी पढ़ें-
प्रियंका गांधी की यूपी यात्रा सिर्फ बहती गंगा में हाथ धोने के लिए ही...
प्रियंका गांधी जितना प्रचार करेंगी उतना भाजपा के लिए फायदेमंद
आपकी राय