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Updated: 24 जून, 2017 02:14 PM
अभिनव राजवंश
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  @abhinaw.rajwansh
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तमाम तरह के आशंकाओं और संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से अपने पांचवें अमेरिकी दौरे पर होंगे. मोदी इस दौरान पहली बार अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाक़ात करेंगे, हालांकि इससे पहले मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर कई बार बातचीत हो चुकी है. इन दो नेताओं की पहली मुलाक़ात पर दुनिया भर की निगाहें होंगी. मोदी जब ट्रंप से मुलाकात करेंगे तो उनका ध्यान दोनों देशों के आपसी फायदे के लिए आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर होगी.

Narendra Modi, Donald Trump

मोदी और ट्रम्प की मुलाक़ात ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका और भारत के बीच जलवायु परिवर्तन, H1B वीजा समेत कुछ मुद्दों पर मतभेद उपजे हैं. ट्रम्प ने पेरिस समझौते से अमेरिका के बाहर होते हुए भारत को आड़े हाथों लिया था, ट्रम्प ने भारत पर इस समझौते के तहत विकसित देशों से अरबों-अरबों पाने का आरोप लगाया था. ऐसे में नरेंद्र मोदी के लिए यह दौरा पहले के दौरे की तरह आसान नहीं रहने वाला. नरेंद्र मोदी के लिए असल मुश्किल ट्रम्प के नजरिये को समझना भी होगा, क्योंकि भारत के प्रति ट्रम्प कई तरह के बयान दे चुके हैं. ट्रम्प ने जहाँ अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारतियों के एक कार्यक्रम में कहा था कि उनका चयन भारतियों को वाइट हाउस में एक सच्चा दोस्त दे सकता है, इसके अलावा ट्रम्प आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ खड़े दिखाई देते हैं. मगर राष्ट्रपति बनते ही ट्रम्प ने शरुआती कुछ फैसलों में ही एच1बी वीजा नियमों में बदलाव भी किया, एच1बी वीजा से लाभान्वित होने वाले में ज्यादातर संख्या भारतियों की ही है. इसके अलावा ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद से ही अमेरिका में भारतियों पर नस्लीयें हमले भी बढ़े हैं. हालाँकि, दौरे के ठीक पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि दोनों देशों के लोगों के बीच का सम्बन्धो को और मजबूत करने के लिहाज से अमेरिका इस दौरे को लेकर उत्सुक हैं.

ऐसे में नरेंद्र मोदी जब अपने दौरे पर अमेरिका में होंगे तो मोदी से यही उम्मीद होगी कि मोदी और ट्रम्प के रिश्ते भी मोदी और ओबामा जैसे ही हों. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मोदी ने दो साल के अंतराल में 8 बार मिले थे जिसमे मोदी ने चार बार वाशिंगटन का दौरा किया था, जबकि साल 2015 में ओबामा की ऐतिहासिक भारत यात्रा हुई थी, जिसमें वह गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बने थे. मोदी और ओबामा के दोस्ती के खूब चर्चे भी हुए थे, टाइम्स मैगज़ीन में लिखे एक लेख में तो ओबामा ने मोदी की जम कर तारीफ भी की थी. हालाँकि बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प का व्यक्तित्व एक दूसरे से काफी जुदा है. ओबामा जहाँ एक परिपक्व राजनीतिज्ञ थे और भारत के साथ अपने सम्बन्ध को लेकर भी काफी संजीदा थे तो वहीं डोनाल्ड ट्रम्प की राजनीती में आना वाइल्ड कार्ड एंट्री की तरह हैं और अभी तक भारत के साथ सम्बन्ध को लेकर उनकी रणनीति साफ़ नहीं हो सकी है.

हालाँकि, मोदी और ट्रम्प में कई समानताएं हैं जो इन दोनों नेताओं को करीब ला सकती हैं. दोनों ने ही अपने-अपने देश में नव राष्ट्रवाद का नारा दिया है. जहाँ मोदी मेक इन इंडिया से भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो ट्रम्प मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के नारों के साथ कई फैसले ले रहे हैं. हालाँकि, जानकार इसे दोनों देशों के हितों के टकराव के रूप में भी देख रहे हैं. मगर इसकी सम्भावना कम ही है. ट्रम्प का आतंकवाद के प्रति नजरिया भी भारत के लिए सकारात्मक संकेत है. ट्रम्प पाकिस्तान को आतंकवाद पैदा करने वाले देश के रूप में देखते हैं. जो कि भारत के लिहाज से अच्छा है. मोदी के दौरे से ठीक पहले ही दो वरिष्ठ अमेरिकी सांसदों ने एक द्विदलीय बिल पेश किया है, जिसमें पाकिस्तान के साथ अमेरिकी संबंधों में कटौती की मांग की गई है. बिल में पाकिस्तान का 'मेजर नॉन-नाटो अलाय' का दर्जा रद्द करने की भी मांग की गई है.

तो कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे में कुछ चुनैतियों के साथ कई संभावनाएं भी है, और अगर नरेंद्र मोदी इन चुनैतियों को पार कर संभावनाओं के द्वार खोल सकें, तो यह नरेंद्र मोदी के साथ भारत के लिए भी अच्छी खबर होगी.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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