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Updated: 23 सितम्बर, 2019 07:34 PM
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इन दिनों पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं. रविवार को वह टेक्सास के ह्यूस्टन में Howdy Modi कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में 50 हजार से भी अधिक भारतीय पहुंचे थे. बहुत से ऐसे भी लोग थे जो चाहकर भी मोदी के कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पाए, क्योंकि वहां पर जगह की कमी थी. पीएम मोदी ने Howdy Modi में मंच से लोगों को संबोधित करते हुए यूं तो बहुत कुछ कहा, लेकिन सबसे खास बात रही हिंदी. जैसा पीएम हमेशा करते हैं, उन्होंने हिंदी में भाषण दिया. Howdy Modi में पीएम की ओर से हिंदी में भाषण देना अहम है. अगर वह चाहते तो अंग्रेजी में भी भाषण दे सकते थे, वहां मौजूद हर शख्स अंग्रेजी अच्छे से समझता है, लेकिन उन्होंने भाषण देने के लिए हिंदी को चुना. ऐसा क्यों?

दरअसल, पीएम मोदी ने Howdy Modi के मंच से हिंदी को दुनिया के सामने मजबूती से रखने की कोशिश की. वह ये दिखाना चाहते थे कि हिंदी वह भाषा है, जिसे हर भारतीय समझता है. ये बात मायने नहीं रखती कि वह किस धर्म, जाति या इलाके का है. तभी तो, 'पीएम मोदी ने कहा- अगर आप मुझसे पूछेंगे Howdy Modi, तो मैं कहूंगा भारत में सब अच्छा है.' इसके बाद पीएम मोदी ने पंजाबी-बंगाली से लेकर तमिल तक कई भाषाओं में यही बात कही कि भारत में सब अच्छा है और आखिर में उसे अंग्रेजी में फिर से दोहरा दिया. देखिए पीएम मोदी ने कैसे भारत की भाषा की विविधता को Howdy Modi के मंच के जरिए दुनिया के सामने रखा.

हिंदी चुनने की वजह है खास

पीएम मोदी ने Howdy Modi में भाषण के लिए हिंदी को चुना, जिसे सामान्य तौर पर देखना सही नहीं होगा. दरअसल, इसके पीछे उनका एक बड़ा मकसद था. लोगों को हिंदी का महत्व समझाना और देश की विविधता को बताना उनका मकसद था. वैसे भी, इन दिनों भारत में हिंदी को लेकर काफी बहस हो रही है. मोदी ने अपने भाषण से इशारों-इशारों में ही ये साफ कर दिया कि हिंदी में दिए गए भाषण को अमेरिका में हर भारतीय ने सुना, लेकिन किसी ने भी ये नहीं कहा कि हिंदी को उन पर थोपा गया. उन्होंने बहुत सी भाषाओं में एक ही बात कह कर ये स्पष्ट करने की कोशिश की कि भारत में भाषा की विविधता है और यही भारत की ताकत भी है.

हाउडी मोदी, नरेंद्र मोदी, हिंदी, अमेरिकापीएम मोदी ने हिंदी में पूरा भाषण दिया, लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि उन पर हिंदी थोपी जा रही है.

मोदी ने कहा कि हिंदी ही भारत की लिबरल और डेमोक्रेटिक सोसाएटी की पहचान है. ये भाषाओं सैकड़ों सालों से आगे बढ़ रही हैं और करोड़ों लोगों की भाषाएं बनी हुई हैं. उन्होंने साफ किया कि विविधता में एकता ही भारत की धरोहर है, भारत की शक्ति और प्रेरणा के साथ-साथ भारत के अतुल्य लोकतंत्र का आधार भी है. अमित शाह के बयान के बात ऐसी भी बातें फैलने लगी थीं कि बहुत से लोगों पर हिंदी को थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे पीएम मोदी ने सिरे से खारिज करने का काम किया है. यानी अब हिंदी को पूरे देश की एक भाषा बनाने की दिशा में दोबारा काम शुरू किया जा सकता है, लेकिन पूरी प्लानिंग के साथ.

अमित शाह के बयान से गरमाई थी हिंदी पर बहस

हिंदी को लेकर बहस गरम हुई थी गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत को एक करना है तो ये सिर्फ हिंदी के जरिए ही मुमकिन है. यानी वह ये कहना चाह रहे थे कि हिंदी को पूरे देश की भाषा के तौर पर देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि ये गांधी और पटेल का भी सपना था कि पूरे देश की एक भाषा हो. हालांकि, उनका इतना विरोध हुआ कि उन्हें अपनी बात पर सफाई तक देनी पड़ी. उन्होंने साफ कहा कि उनका मतलब हिंदी को सब पर थोपना नहीं था, बल्कि ये था कि हिंदी को दूसरी भाषा के तौर पर देशभर में चुना जाना चाहिए.

क्यों जरूरी है एक भाषा?

भारत में भले ही भांति-भांति के लोग और बोलियां हैं, लेकिन जब बात आती है एक भाषा की तो वो आज भी अंग्रेजी ही है. वही अंग्रेजी जो अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. चीन-जापान जैसे लोगों ने अंग्रेजी पर खुद को निर्भर नहीं रखा है और वह अपने देश में सब कुछ अपनी एक भाषा में करते हैं. जैसे चीन को ही ले लीजिए, इंटरनेट, कंप्यूटर से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक सब कुछ चीनी भाषा में होता है, ना कि अंग्रेजी में. वहीं भारत में अलग-अलग जगहों पर भले ही बोली अलग-अलग हो, लेकिन अंग्रेजी सबकी कॉमन भाषा है. जैसे दक्षिण के लोग भले ही हिंदी जानें या ना जानें, लेकिन अंग्रेजी जानते हैं. मोदी सरकार की कोशिश है कि पूरे भारत में हिंदी को मुख्य भाषा की तरह स्थापित किया जाए.

ये पूरे देश में सब कुछ हिंदी में करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है. आपको बता दें कि हिंदी को ही इसलिए चुना जा रहा है क्योंकि भारत में सबसे अधिक लोग हिंदी ही बोलते हैं. Howdy Modi के मंच से हिंदी में भाषण देकर उन्होंने सिर्फ उन 50 हजार भारतीयों तक अपनी बात नहीं पहुंचाई जो उस कार्यक्रम में पहुंचे थे, बल्कि सवा सौ करोड़ भारतीयों तक भी अपना संदेश साफ-साफ पहुंचा दिया. हिंदी में भाषण देकर उन्हें ये साफ कर दिया कि हिंदी ही वह भाषा है, जिसमें अगर किसी मंच पर भाषण दिया जाए तो हर भारतीय या यूं कहें कि अधिकतर भारतीय उसे समझते हैं.

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