मोदी अमेरिका की बिज़नेस ट्रिप पर हैं, जबकि इमरान खान लोन/अनुदान लेने की
पांच साल पहले मैडिसन स्क्वायर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रॉकस्ट्रार के तौर देखे गये - और कभी वीजा नहीं देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति मंच शेयर कर रहे हैं - इमरान चाहते तो टिकट कैंसल करा कर बेइज्जती से बच सकते थे.
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Houston में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में बिछी रेड कार्पेट देख कर पाकिस्तान में कोहराम मच गया है - और मुल्क की पूरी अवाम सारी भड़ास अपने PM इमरान खान पर निकाल रही है.
प्रधानमंत्री मोदी और इमरान के अमेरिका दौरे का सबसे बड़ा फर्क ये है कि जो मसले पाकिस्तान के एजेंडे में हैं, भारत उन सब को जरा भी भाव नहीं दे रहा है. इमरान खान के दौरे का मुख्य एजेंडा कश्मीर मसला है और भारत ने पहले ही कह दिया है कि मोदी के दौरे में कश्मीर पर कोई बात ही नहीं होनी है.
समझने वाली बात ये है कि Howdy Modi तो भारत और अमेरिका दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित होने वाला है - लेकिन पाकिस्तान की झोली में इमरान खान क्या डाल पाएंगे?
अमेरिका में मोदी के लिए रेड कार्पेट और इमरान के लिए?
पाकिस्तान के लोग इमरान खान से हद से ज्यादा खफा हैं, कारण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिकी सरकार के नुमाइंदे पलक पांवड़े बिछाये हुए हैं और इमरान खान को कोई पूछ भी नहीं रहा है.
जिस कश्मीर मसले को लेकर इमरान खान तमाम बेइज्जती सहते जा रहे हैं, उनके दिल पर क्या बीता होगा जब एक कश्मीरी पंडित इतना भावुक हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी का हाथ चूम लिया. जम्मू-कश्मीर को लेकर धारा 370 खत्म किये जाने को लेकर उस कश्मीरी पंडित ने कहा, 'सात लाख कश्मीरी पंडितों की ओर से आपको धन्यवाद.' हालचाल पूछने के बाद मोदी ने भी कहा, 'आप लोगों ने जो कष्ट झेला है वो कम नहीं है.'
मोदी के दौरे के बीच इमरान ने अमेरिका जाकर गलती कर दी!
अब भला ये सब पाकिस्तान को कैसे बर्दाश्त हो क्योंकि इमरान खान ने तो शर्त ही रख दी है कि जब तक धारा 370 पर भारत फैसला वापस नहीं लेता कोई बातचीत नहीं होगी. मतलब, बातचीत तो अब होने से रही क्योंकि भारत के फैसला बदलने का सवाल ही पैदा नहीं होता. वैसे भी अब भारत कहने लगा है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत अब सिर्फ PoK पर ही होगी.
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे तो अमेरिकी सरकार के कई मंत्री और अधिकारी उनके स्वागत में एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद थे - और सबने मिल कर मोदी का भव्य स्वागत किया. दूसरी तरफ, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को लेने एयरपोर्ट पर सिर्फ पाकिस्तानी अधिकारी ही पहुंचे थे.
Who all from the US govt received PM Pakistan in New York? https://t.co/AL9GBQ4ygK pic.twitter.com/v34Snp4y30
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) September 22, 2019
एक ट्विटर यूजर ने तो इमरान खान का एक ऐसा मीम शेयर किया है जिसमें समझाने की कोशिश है कि इमरान खान भी अपना चेहरा छुपाकर हाउडी मोदी कार्यक्रम देखने पहुंचे हैं. पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था को लेकर शेयर की जा रही पोस्ट में कहा जा रहा है कि एक बार फिर इमरान खान मदद के लिए दूसरों के आगे हाथ फैला दिये हैं.
ये तो फायदे का ज्वाइंट वेंचर है - लेकिन इमरान को कौन समझाये
आपको याद होगा इसी साल जून में अमेरिका ने भारत को GSP यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस से बाहर कर दिया था. GSP अमेरिका का सबसे बड़ा बिजनेस प्रोग्राम है जिसके दायरे में आने वाले देशों को अमेरिका में हजारों उत्पादों के निर्यात में ड्यूटी से छूट मिलती है. GSP के तहत भारत को भी अमेरिका के साथ व्यापार में तरजीह मिलती रही है.
अमेरिका के 44 सांसदों ने ट्रंप प्रशासन को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी कांग्रेस भारत को जीएसपी दर्जा फिर से दिये जाने की मांग का मजबूत समर्थन देती है, ताकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन मिल सके. कांग्रेसमैन जिम हाइम्स और रॉन एस्टेस की पहल पर भारत को GSP स्टेटस देने की मांग वाले पत्र पर 26 डेमोक्रैट और 18 रिपब्लिकन सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. पत्र में सांसदों का कहना है कि जल्दबाजी की जगह हमें अमेरिकी उद्योगों के लिए बाजार उपलब्ध कराना होगा - और इसमें छोटे मसले आड़े नहीं आने चाहिये.
पाकिस्तानी मीडिया में वे खबरें कम देखी जाती हैं जो भारत के पक्ष को मजबूत करती हैं. पाकिस्तानी अखबारों ने ये तो बताया ही है कि इमरान खान ने दुनिया के कई देशों, जिनमें इस्लामी मुल्क भी शामिल हैं, की वो बात खारिज कर दी है जिसमें भारत के साथ बैकडोर बातचीत की सलाह है - लेकिन ये लिखने से परहेज नहीं किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में इमरान खान अपने लहजे में थोड़ी नरमी बरतें - और अपने भाषण में हिटलर तो हरगिज न कहें.
Howdy Modi को अमेरिका और भारत के रिश्तों के लिहाज से अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है और माना जा रहा है कि पोप के बाद किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका जुटने वाली ये सबसे बड़ी भीड़ होने जा रही है. बेहतर तो ये होता कि इमरान खान फिलहाल अपना अमेरिकी दौरा टाल दिये होते या हफ्ते भर के कार्यक्रम की जगह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए जाते और उसके इर्द गिर्द अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से भी मिल लेते.
मोदी के कार्यक्रम को नजरअंदाज करना ट्रंप के लिए वैसे ही मुश्किल लग रहा होगा जैसे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के लिए बीजेपी नेतृत्व को. वजह अमेरिका में अगले साल चुनाव होने हैं - भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों से कनेक्ट होने के लिए ट्रंप हाउडी मोदी का मोह नहीं छोड़ पाये होंगे. मालूम नहीं ये बात इमरान खान को किसी ने समझाया होगा या नहीं, या खुद उनके समझ में आयी होगी भी या नहीं?
एक तरफ मोदी के साथ मंच शेयर करने पर इंडो-अमेरिकी लोगों से जुड़ने का मौका मिल रहा हो और दूसरी तरफ इमरान खान से मुलाकात में बस कश्मीर-कश्मीर, भला ट्रंप जैसी शख्सियत पार्टी और सेलीब्रेशन छोड़ कर सहानुभूति भरी मीटिंग क्यों करे. बाद की बाद में देखी जाएगी. 2016 के राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नेशनल एशियन अमेरिकन सर्वे से मालूम हुआ था कि भारतीय मूल के 77 फीसदी अमेरिकी नागरिकों ने ट्रंप को टक्कर दे रहीं हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था - दूसरी पारी के लिए जोर लगा रहे डोनॉल्ड ट्रंप इस बार करीब 40 लाख मतदाताओं को अपनी ओर करने का ये बड़ा मौका गंवाना भला क्यों चाहेंगे.
बिजनेस के मामले में अमेरिकी दुनिया में सबसे तेज माने जाते हैं, लेकिन इस बार पाला एक गुजराती से पड़ा है जिनके खून में ही बिजनेस है - ये बात ट्रंप तो जान गये हैं लेकिन इमरान खान को शायद नहीं समझ आ रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हिसाब से सोचें तो एक तरफ मोदी के साथ बिजनेस की बात है तो दूसरी तरफ इमरान खान लोन लेने पहुंचे हैं. जिस तरह से अमेरिकी बिजनेस को सबसे ऊपर रखते हैं, ट्रंप के लिए तो आने वाला चुनाव भी बिलकुल वैसा ही है. एक तरफ मोदी से ट्रंप को हासिल होना है, दूसरी तरफ इमरान ट्रंप से ही सब कुछ हासिल करना चाहते हैं, जिसे वो भला लोन न समझें तो क्या समझें. लोन का मतलब बतौर कर्ज पैसे ही नहीं होता. अमेरिकी मदद भी एक तरीके का लोन ही है, जो भी लेता है उसे लौटाना ही होता है. अगर इमरान खान अमेरिका से कुछ मदद मांग रहे हैं तो पहले से तय है कि उसे भी लौटाना है. अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान से बातचीत में पाकिस्तान की मदद चाहता है - लेकिन डोनॉल्ड ट्रंप ये मदद भी कर्ज के तौर पर देना चाहते हैं. जुलाई में जब इमरान खान और ट्रंप की मुलाकात हुई उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान आया कि वो कश्मीर पर मध्यस्थता करना चाहते हैं - लेकिन बाद में अमेरिकी प्रशासन ने साफ साफ कह दिया कि औपचारिक तौर पर ऐसी कोई बात ही नहीं हुई है. ऐसा लगा जैसे इमरान से मिलने पर ट्रंप ने कह दिया होगा कि हां-हां मध्यस्थता कर देंगे और मीडिया में बयान भी दे दिया - लेकिन औपचारिक तौर पर अपने मातहतों से उसका खंडन भी करा दिया. एक बार फिर इमरान खान उसी उम्मीद के साथ ट्रंप से दो-दो मुलाकात करने वाले हैं.
Howdy Modi कार्यक्रम को देखा जाये तो एक भव्य व्यापार मेले की तरह भी लगता है जिसमें भारत और अमेरिका दोनों के लिए फायदा ही फायदा है - लेकिन पाकिस्तान के हाथ सिफर ही लगने वाला है. ऐसा लगता है इमरान खान से पहले ये बात पाकिस्तानी अवाम को मालूम हो चुकी है और उसी हिसाब से लोग रिएक्ट कर रहे हैं.
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