Howdy Modi में जलवा मोदी का, परीक्षा ट्रंप की
एक त्यौहार की तरह शुरू हुआ Howdy Modi इवेंट राजनैतिक रूप ले चुका है. यही वजह है कि अमेरिका में राजनैतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे भारतीय समुदाय से जुड़ने का मौका ट्रंप भी नहीं छोड़ पाए.
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शुक्रवार को अमेरिका में टैक्सास में कहर बरपाने वाला Imelda तूफान शनिवार को धीमा पड़ गया है. अचानक हुई तेज बारिश और बाढ़ ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों को चिंता में डाल दिया था. Howdy Modi कार्यक्रम के आयोजक टेक्सास इंडिया फोरम के सदस्य इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने वालों को लगातार SMS के जरिए अपडेट भेज रहे हैं. और इन संदेशों का बेसब्री से इंतजार करने वालों में मैं भी शामिल हूं. मैं और मेरे पति राजीव करीब 750 किमी का सफर तय करके मोबिल (अलाबामा) से ह्यूस्टन पहुंचने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी के लिए उत्साहित भारतीयों को उम्मीद है कि मौसम भी रास्ता देेेेेगा.
रविवार सुबह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Houston में एनआरजी स्टेडियम के मंच पर पहुंचेंगे तो करीब 50 हजार भारतीय अमेरिकी और 1500 से ज्यादा वॉलेंटियर्स की एक ही आवाज होगी 'Howdy, Modi'. टेक्सास इंडिया फोरम ने भी नहीं सोचा होगा मगर इस महाआयोजन के लिए चुना गया यह catchy slang, buzzword बन चुका है. मोदी का यह मेगा शो हयूस्टन और अमेरिका में रह रही भारतीय आबादी की तादाद और शक्ति का जोरदार प्रदर्शन है. मोदी पहले भी दो बार ऐसी सभाएं कर चुके हैं मगर इस बार पैमाना बड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इसमें शामिल हो जाने से सारी दुनिया की निगाहें इस रैली पर हैं. दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र प्रमुख एक मंच पर होंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में ह्यूस्टन की सड़कें ऐसे बैनरों से पटी हुई हैं
मोदी, भारत और अमेरिकी भारतीयों के लिए टेक्सास का महत्व
अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए Howdy Mod किसी उत्सव से कम नहीं है. न सिर्फ टेक्सास बल्कि अमेरिका के 48 राज्यों से लोग हाउडी मोदी का हिस्सा बनेंगे. मोदी के आने की तारीख तय होते ही हयूस्टन की अमेरिकी कम्युनिटी और टेक्सास की कई इंडियन एसोसिएशन ने बिना देरी किए मिलकर टेक्सास इंडिया फोरम बनाई. करीब 600 इंडियन एसोसिएशन अब इस फोरम का हिस्सा हैं.
जॉनसन स्पेस सेंटर नासा के लिए मशहूर हयूस्टन को दुनिया का एनर्जी कैपिटल भी कहा जाता है. यह 500 से ज्यादा ऑयल और गैस एक्स्प्लोरेशन फर्म का घर है. अपनी नौ रिफाइनरी से 2.3 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन करने वाला हयूस्टन दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है. वहीं दूसरी तरफ भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ एनर्जी मार्केट है.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में देश का फॉरेन एनर्जी इंवेस्टमेंट 85 बिलियन डॉलर है. जो कि एनर्जी इंवेस्टमेंट के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा है. भारत और अमेरिका के बीच करीब एक ट्रिलियन डॉलर के एनर्जी प्रोजेक्ट भी दांव पर हैं. मोदी यहां कई बड़ी कंपनियों के सीईओ से मिलकर एलपीजी के आयात से जुडे मुददों पर भी बात करेंगे. यही वजह है कि न सिर्फ भारतीय अमेरिकी आबादी बल्कि व्यापार के लिहाज से भी हयूस्टन इस रैली के लिए बेहतर विकल्प बना.
Houston में NRG स्टेडियम में तैयारियां जोरो पर चल रही हैं. यहां करीब 50 हजार भारतीय अमेरिकी और 1500 से ज्यादा वॉलेंटियर्स होंगे
Howdy Modi और ट्रंप का चुनाव कैंपेन
एक त्यौहार की तरह शुरू हुआ यह इवेंट राजनैतिक रूप ले चुका है. यही वजह है कि अमेरिका में राजनैतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे भारतीय समुदाय से जुड़ने का मौका ट्रंप भी नहीं छोड़ पाए. इस रैली में शामिल होने का उनका एजेंडा 2020 का प्रेसिंडेशियल इलेक्शन हो सकता है.
2016 के राष्ट्रपति चुनावों को देखें तो पाएंगे करीब 77 फीसदी भारतीय अमेरिकियों ने डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था. लगभग 40 लाख भारतीय अमेरिकी वोटरों को लुभाने का इससे अच्छा मंच ट्रंप को नहीं मिलेगा.
भारतीयों की बढ़ती राजनैतिक ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के प्रचार के लिए भी भारतीय अमेरिकियों ने तीन मिलियन डॉलर की राशि दी है. ट्रंप का सहयोग करने वाली कमेटी को भी भारतीय अमेरिकियों ने एक लाख डॉलर की राशि दी है. पिछले चुनाव में भी भारतीय मूल के शलभ कुमार ट्रंप की कमेटी को एक मिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि देने के लिए सुर्खियों में रहे थे.
दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र प्रमुख एक मंच पर होंगे
Howdy Modi, ट्रंप और भारतीयों के लिए अमेरिकी वीजा पॉलिसी
मोदी और ट्रंप के इतनी बड़ी रैली में साथ आने से भारत और अमेरिका के संबंधों में तो मजबूती आई ही है, गैर प्रवासी भारतीयों के मन में भी उम्मीद की किरण जागी है. हालांकि वीजा नियमों में सख्ती और बदलावों से अनिश्चितता के माहौल में जी रहे इन भारतीयों का मन जीतना ट्रंप के लिए आसान नहीं होगा.
2017 में राष्ट्रपति बनने के साथ ही ट्रंप ने इमीग्रेशन नियम कड़े कर दिए थे. इसका पहला असर उन विशेष योग्यता वाले प्रोफेशनल्स पर पड़ा, जिन्हें अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B visa दिया जाता था. H-1B visa पर सख्ती के बाद अब बारी है 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के पहले H-4 वीजा धारकों के काम करने के अधिकार को खत्म करने की. ये वीजा H-1B वीजा पाने वालों की पत्नी और उनके 21 साल से छोटे बच्चों कोे मिलता है.
2015 में ओबामा ने H-4 वीजा होल्डर्स को अमेरिका में काम करने का अधिकार दिया था. इसके खत्म होने से करीब एक लाख लोगों पर असर पड़ेगा जिसमें अधिकांश भारतीय हैं. यह वही 1 लाख हैं जिन्होंने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया हुआ है. बात ग्रीन कार्ड की करें तो यह भारतीयों के लिए कभी खत्म न होने वाली दौड़ की तरह है. दरअसल हर साल हर देश से सिर्फ सात फीसदी लोगों को ही ग्रीन कार्ड मिलता है. जहां कम आबादी वाले देशों के लोगों को तो ग्रीन कार्ड एक या दो साल में ही मिल जाता है वहीं पुराने जमा आवेदनों की वजह से भारतीयों को इसमें दस से बारह साल तक लग जाते हैं. करीब 3 लाख भारतीय अभी भी ग्रीन कार्ड आवेदन की कतार में हैं.
Howdy Modi कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के आने सेे उत्साहित अमेरिकी-भारतीयों की लालसा अपनी मातृभूमि के प्रति प्यार औेर समर्पण दर्शाने की थी. लेकिन, टेक्सास के ह्यूस्टन में होने जा रहे इस महा-सम्मेलन में ट्रंप के आने से कई उम्मीदें जुड़ गई हैं. देखना यह है कि क्या भारतीय अमेरिकी समुदाय के इस महाआयोजन से अमेरिका में रह रहे गैर प्रवासी भारतियों की दिक्कतों में कमी आएगी या वीजा संबंधी कानून उन्हें डराते रहेंगे.
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