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Updated: 07 दिसम्बर, 2019 03:32 PM
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हैदराबाद पुलिस (Hyderabad Police Encounter) ने तो जया बच्चन की जैसे मुंह मांगी मुराद ही पूरी कर दी है. हैदराबाद में महिलाएं पुलिसवालों को राखी बांध रही हैं तो भीड़ जय-जयकार कर रही है. भीड़ तो भीड़ जया बच्चन की प्रतिक्रिया भी बिलकुल उसी अंदाज में सुनी गयी है - 'देर आय, दुरूस्त आये'.

समाजवादी पार्टी की सांसद और गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा जया बच्चन ने हाल ही में बलात्कारियों के लिए लिंचिंग की वकालत की थी. राज्य सभा में जया बच्चन ने ये कह कर हैरान कर दिया था कि बलात्कारियों को भीड़ के हवाले कर देना चाहिये.

जया बच्चन की ही तरह यूपी की मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव ने भी हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर का सीधे सीधे सपोर्ट किया है - हालांकि, मेनका गांधी और सुशील मोदी जैसे भी नेता हैं जिन्होंने फटाफट पुलिसिया इंसाफ के तरीके को गलत बताया है.

एनकाउंटर कब फर्जी होता है?

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों के एनकाउंटर के लिए अपने पुलिसवालों की पीठ लगातार थपथपाते रहे हैं - लेकिन योगी आदित्यनाथ के विरोधी यूपी पुलिस के एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए मुख्यमंत्री को ही कठघरे में खड़ा करते रहे हैं.

यूपी पुलिस के एनकाउंटर को फर्जी बताने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी हरदम दो कदम आगे नजर आती हैं - लेकिन हैदराबाद में रेप के चार आरोपियों को मुठभेड़ मार गिराने का दावा करने वाली पुलिस की तारीफ करते नहीं थक रही हैं.

बीएसपी शासन को कानून-व्यवस्था के मामले में सबसे अच्छा होने का दावा करने वाली मायावती का कहना है कि यूपी की पुलिस को हैदराबाद पुलिस से सीख लेनी चाहिये. मायावती ने यही सीख दिल्ली पुलिस को भी दी है. दिल्ली पुलिस को मायावती की सीख देने के पीछे निर्भया कांड है जिसके अभियुक्तों की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास पहुंची हुई है.

mayawati supports hyderabad encounterमायावती के लिए फर्जी एनकाउंटर की परिभाषा क्या है?

निश्चित तौर पर यूपी पुलिस को सीख देने के पीछे मायावती का आशय उन्नाव से जुड़े बलात्कार के मामलों से रहा होगा. उन्नाव की एक रेप पीड़ित की जेल से छूट कर आये आरोपियों ने ही जलाकर मार डालने की कोशिश की है - और वो अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है. उन्नाव के ही गैंग रेप के एक मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर जेल में हैं और कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. एक बात समझ में नहीं आ रही है कि हैदराबाद के पुलिस एनकाउंटर को सही और यूपी में होने वाली मुठभेड़ों को फर्जी कैसे माना जा सकता है? मायावती क्यों यूपी की पुलिस मुठभेड़ों को फर्जी मानती हैं - और हैदराबाद पुलिस के कारनामे को सही किस आधार पर ठहरा रही हैं?

हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर पर रिएक्ट करते हुए मायावती ने कहा, 'दुख की बात ये है कि दिल्ली-यूपी में पुलिसकर्मी आरोपी लोगों को सरकारी मेहमान बनाकर रखे हुए हैं. दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस को बदलना होगा, तभी बलात्कारी लोगों की हरकतें रुक सकती हैं... लोगों में कानून का खौफ नहीं है.' उत्तर प्रदेश के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्विटर पर ऐसा ही रिएक्शन दिया है - वैसे ये अखिलेश यादव ही हैं जो झांसी में हुए पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर को फर्जी बता रहे थे.

दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने भी तेलंगाना की के चंद्रशेखर राव सरकार की पुलिस का ये कहते हुए बचाव किया है कि पुलिस को हथियार सजा कर रखने के लिए तो दिये नहीं गये हैं. आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के नेता अरविंद केजरीवाल कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कराने के लिए भले ही दिल्ली की सड़कों पर धरने पर बैठ जाते हों, लेकिन हैदराबाद की घटना के बारे उनकी राय है, 'हैदराबाद में जो कुछ भी हुआ उससे आज देश की जनता में संतोष है. लोगों में खुशी है कि उन चारों दरिंदों जिन्होंने हैवानियत की थी उनको पुलिस ने मार गिराया है.'

सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि जो एनकाउंटर में मारे गये वे ही चारो दरिंदे थे जिन्होंने डॉक्टर के साथ रेप के बाद जला कर मार डाला था? आखिर पक्के तौर पर कैसे माना जाये कि बलात्कारियों का ही वास्तव में एनकाउंटर हुआ है?

फिर तो पुलिस ही काफी है

AIMIM के नेता और हैदाराबाद से लोक सभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा ही नपा-तुला बयान आया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हर मुठभेड़ की जांच की जानी चाहिये.

जांच का मामला तो इसलिए भी बनता है कि जिस पुलिस अफसर की अगुवाई में ये एनकाउंटर हुआ है, 11 साल पहले वही अफसर इसी अंदाज में एसिड अटैक के एक केस के आरोपियों को गिरफ्तार कर बिलकुल ऐसे ही एनकाउंटर कर चुके हैं. वो घटना भी दिसंबर महीने की ही है, हां वो साल 2008 रहा.

बिलकुल वही स्क्रिप्ट जो किसी भी एनकाउंटर के बार हर पुलिस सुनाती है - अपराधियों के बारे में मुखबीर से सूचना मिलती है, मुठभेड़ होती है और आत्मरक्षा में पुलिस को गोली चलानी पड़ती है - लेकिन निशाना सटीक होता है. गोलियां भी कम ही खर्च होती हैं.

अब साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर बन चुके वीसी सज्जनार ने एनकाउंटर वाली जगह से ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहानी सुनायी की किस तरह चारों आरोपियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया और हथियार छीनकर भागने की कोशिश की.

बीजेपी सांसद मेनका गांधी का हैदराबाद एनकाउंटर के बारे में कहना रहा, 'अदालत और कानून का कोई फायदा ही नहीं... जिसको मन हो बंदूक उठाओ जिसको मारना हो मारो. कानूनी प्रक्रिया में गये बिना आप उसे मार रहे हो तो फिर कोर्ट, कानून और पुलिस का क्‍या औचित्‍य रह जाएगा?'

बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'मेरा मानना है कि जो लोग पकड़े गए थे उनको जेल में बंद करते और रिकॉर्ड समय में ट्रायल कर उन्हें फांसी की सजा दिलाते. वहां पुलिस ने जो कहानी बताई है वो काफी अजीब है. मैं इस तरह की मॉब लिंचिंग के खिलाफ हूं.'

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में 48 जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जिन पर महिलाओं से जुड़े अपराधों के इल्जाम हैं और इनमें तीन तो सांसद हैं जिन पर बलात्कार के इल्जाम हैं - जया बच्चन के हिसाब से तो इन सभी को भीड़ के हवाले कर देना चाहिये!

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