इतिहास को देखते हुए हिजबुल का अमरनाथ पर बयान संदेहास्पद है
कश्मीर में सेना द्वारा लिए जा रहे एक्शन से आतंकवादी बौखलाए हैं और ये उस बौखलाहट का नतीजा ही है जिसके चलते हमारे सामने हिजबुल जैसे आतंकी संगठन से नीति और ज्ञान की बातें आ रही हैं.
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पिछले साल अमरनाथ यात्रा से लौटते हुए श्रद्धालुओं की एक बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था. बस यात्रियों को लेकर वैष्णो देवी माता की यात्रा पर कटरा जा रही थी कि अनंतनाग के पास आतंवादियों ने उस पर हमला कर दिया था. सात लोग मारे गए थे जिसमें पांच महिलाएं शामिल थीं और 19 लोग घायल हुए थे. तब ये कहा गया था कि कई बड़े आतंकवादियों के मारे जाने के बाद आंतकवादी ग्रुप गंभीर दबाव में थे और अमरनाथ यात्रा को टारगेट करने का प्लान कर रहे थे. कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल मुनीर का इस सम्बन्ध में लिखा खत बाद में लीक भी हो गया था.
आतंकवादियों के लिए पहले से बुरी स्थिति अब है. बीजेपी के समर्थन लेने के बाद मेहबूबा मुफ़्ती सरकार गिर चुकी है और स्टेट अब बीजेपी के डायरेक्ट कंट्रोल में आ चुका है और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट 2.0 की शुरुआत हो चुकी है जिसमें सुरक्षा बलों ने 250 से ज्यादा आतंकवादियों की लिस्ट बनाई है. इसके पहले सुरक्षा दलों द्वारा चलाया गया ऑपरेशन आल आउट 1.0 भी काफी सफल हुआ था जिसमे 220 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे. इसमें कई सारे बड़े उग्रवादी शामिल थे.
कश्मीर में सेना द्वारा लिए जा रहे एक्शन से आतंकवादी बौखलाए हैं
जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A को हटाकर पूरे राज्य को भारत की मुख्य धारा में शामिल करना बीजेपी का मुख्य लक्ष्य रहा है और 2019 के चुनावों से पहले बीजेपी इसका राजनीतिक फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी और आतंकवादियों को टारगेट करना उसमे मुख्य लक्ष्य रहेगा. जैसा पिछले साल हुआ था, आतंकवादियों को अमरनाथ जैसे धार्मिक यात्रा को टारगेट करने और कम्युनल फसाद फ़ैलाने में काफी फायदा दिखता था उस समय. और उनके लिए पिछले साल से भी बुरी स्थिति है इस साल. सो, क्यों ना अमरनाथ यात्रा को फिर टारगेट किया जाए.
हिजबुल के ऑपरेशनल कमांडर रियाज़ नाइकू का बयान हमें इसी सन्दर्भ में देखना चाहिए. रियाज़ ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा हमारा टारगेट नहीं है क्योंकि श्रद्धालु वहां अपना धर्म निभाने आते हैं. रियाज़ ने कहा है कि हमने कभी भी अमरनाथ यात्रा को टारगेट नहीं किया है. हमने गन तो अपने अधिकारों की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए उठाया है.
अमरनाथ यात्रा पर कुछ बड़े हमले हो चुके हैं और भविष्य में भी होते रहेंगे. 2006 में पांच तीर्थयात्री मारे गए थे, 2002 के अटैक में नौ, 2001 के अटैक में 13, तो 2002 में 35, जो आजतक की सबसे भीषण घटना है.
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