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Updated: 23 अप्रिल, 2018 03:03 PM
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राज्यसभा के सभापित वेंकैया नायडू ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इस प्रस्ताव को 7 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर नायडू के सामने पेश किया था, जिनकी अगुआई कांग्रेस कर रही थी. वेंकैया नायडू ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न तो मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग उचित है, ना ही अपेक्षित. इसके बाद सभी कानूनी सलाह लेने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग को खारिज कर दिया. हालांकि, कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें पहले से ही पता था कि कुछ ऐसा ही होगा, तो इससे वो हैरान नहीं हैं. चलिए जानते हैं इस फैसले पर कैसी आ रही हैं प्रतिक्रिया.

दीपक मिश्रा, महाभियोग, सुप्रीम कोर्ट, वेंकैया नायडू, मोदी सरकार

कांग्रेस ने 'संविधान बचाओ' नाम से एक अभियान शुरू किया है. इसमें उन्होंने पीएम मोदी और मोदी सरकार पर हमला बोला. न्याय व्यवस्था पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग कोर्ट में न्याय मांगने जाते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में जज जनता से न्याय मांग रहे हैं. उन्होंने तो पीएम मोदी को चुनौती तक दे डाली है कि वह संसद में उनके सामने 15 मिनट भी टिक नहीं पाएंगे.

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है- महाभियोग की प्रक्रिया 50 सांसदों की सहमति से शुरू की गई. इस प्रक्रिया पर राज्य सभा के सभापति फैसला नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास इसका अधिकार नहीं है. यह लोकतंत्र को नकारने और लोकतंत्र के बचाने के बीच की लड़ाई है. 64 सांसदों द्वारा महाभियोग दायर करने के चंद घंटों बाद ही राज्य सभा के नेता (वित्त मंत्री) ने इसे बदले वाली याचिका करार दिया, जो एक तरह से राज्यसभा सभापति को ये बताना था कि क्या फैसला देना है. तो क्य अब बदले की याचिका बचाने की याचिका बन गए है?

पीएल पुनिया ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को खारिज किए जाने पर कहा है- यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है. हम नहीं जानते कि महाभियोग को खारिज करने का कारण क्या है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां कुछ लीगल एक्सपर्ट्स से बात करेंगी और अगला कदम उठाएंगे.

तहसीन पूनावाला ने ट्वीट किया है- सरप्राइज! सभी जानते थे कि महाभियोग को वेंकैया नायडू जी खारिज कर देंगे. कई संवैधानिक तरीके हैं, जिनसे इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट जाना भी एक है. महाभियोग पर फैसला करने का अधिकार उपराष्ट्रपति को नहीं होता है.

अगर सांसद इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं तो वहां मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा इसकी सुनवाई नहीं करेंगे और उनके बाद सबसे सीनियर जज के पास इस केस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

अभिषेक सिंघवी लिखते हैं कि जैसी अपेक्षा थी, श्री नायडू ने महाभियोग को खारिज कर दिया है. उन्होंने यह बाहर से वापस आने के बाद महज एक दिन में ही कर दिया. उम्मीद है कि यह फैसला लेने में तत्परता इसलिए नहीं दिखाई गई होगी ताकि मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक कामों में कोई रुकावट न आए.

गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रेसिडेंट अर्जुन मोधवाडिया कहते हैं- पहले मुख्य न्यायाधीश ने जज लोया के केस में जांच की मांग वाली याचिका को खारिज करके सरकार को बचा लिया. अब मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की याचिका को सरकार ने खारिज कर दिया. दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं.

इस मामले पर प्रशांत भूषण ने कहा है कि आखिर नायडू ने किस आधार पर राज्य सभा के 64 सांसदों द्वारा हस्ताक्षर की गई याचिका को खारिज किया? उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. यह काम 3 जजों की छानबीन करने वाली कमेटी का है. वह इस मामले में तभी फैसला दे सकते हैं अगर महाभियोग को 50 से कम सांसदों ने साइन किया हो और अगर गलत व्यवहार के चार्ज लगाए गए हों.

जस्टिस लोया के केस में जांच की मांग खारिज होने के बाद ही मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है. फिलहाल तो इस याचिका को खारिज कर दिया गया है, लेकिन इस मामले के अभी और तूल पकड़ने की संभावना है. उम्मीद है कि विपक्षी पार्टियां इस फैसले के खिलाफ भी याचिका दायर करेंगी.

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