Article 370 के खत्म होने से कांग्रेस की दरार सरेआम हो गई
मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म किये जाने पर जहां एक तरह राहुल गांधी इसके विरोध में आए हैं. तो वहीं कांग्रेस के तमाम नेता ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए बता दिया है कि कहीं न कहीं इस फैसले के बाद पार्टी बंटवारे की कगार पर आ गई है.
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जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म कर दिया गया है. मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद कांग्रेस में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिल रहा है, जिसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की हो. बात क्योंकि देश की है तो पार्टी और पार्टी से जुड़े लोगों के विचारों में एक बड़ा गैप दिखाई दे रहा है. कश्मीर से आर्टिकल 370 रद्द किये जाने और उस पर कांग्रेस के पक्ष के बाद कह सकते हैं कि हम जितनी तरह का बंटवारा सोच सकते हैं इस अहम मुद्दे को लेकर कांग्रेस में हो गया है. बात की शुरुआत राहुल गांधी के पक्ष से. जिस समय सदन में भाजपा की तरफ से अमित शाह अनुच्छेद 370 और 35 ए को लेकर तमाम बातें उठा रहे थे. मुद्दे पर राहुल गांधी खामोशी बनाए हुए थे. राहुल गांधी ने अपनी चुप्पी तोड़ी और वही कहा जैसी उम्मीद उनसे की जा रही थी. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला है. साथ ही राहुल ने ये भी कहा कि क्योंकि अब वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं है इसलिए वह इस मुद्दे पर बैठक नहीं बुला सकते.
आर्टिकल 370 पर राहुल गांधी का तर्क है कि भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला है
ध्यान रहे कि धारा 370 हटाए जाने को लेकर कांग्रेस के अंदर स्थिति साफ नहीं है. तमाम ऐसे नेता हैं जो इस मुद्दे पर अपनी पार्टी की विचारधारा से इतर विचार रखते हैं. कांग्रेस का पक्ष रखते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जिस तरह से इस धारा को हटाया गया है वह तरीका सही नहीं है.
वहीं इस मामले पर कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी पार्टी की जमकर किरकिरी कराई है. लोकसभा में जब अमित शाह ने पुनर्गठन बिल को पेश किया तो उसके जवाब में अधीर रंजन ने कहा कि 1948 से लेकर अभी तक जम्मू-कश्मीर के मसले पर संयुक्त राष्ट्र (UN) निगरानी कर रहा है, ऐसे में ये आंतरिक मामला कैसे हो सकता है. रंजन ने सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर मसले की निगरानी कर सकता है कि नहीं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिमला समझौता, लाहौर घोषणापत्र में इसे कश्मीर को द्विपक्षीय मसला माना गया है.
अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर मसले पर जो बातें कहीं हैं उसने कांग्रेस का पक्ष उजागर कर दिया है
कांग्रेस नेता ने इसे सरकार का रुख स्पष्ट करने की मांग की. कांग्रेस नेता के इस बयान पर अमित शाह ने नाराजगी जाहिर की और पूछा कि कौन सा नियम तोड़ा गया है? इसके बाद गृह मंत्री ने कहा, 'मैं जब जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन दोनों शामिल हैं. पीओके के लिए हम जान दे देंगे. भारत और जम्मू-कश्मीर के संविधान ने देश की जो सीमा निर्धारित की है उसमें पीओके और अक्साई चिन दोनों शामिल हैं.'
Union Home Minister Amit Shah moves the resolution to revoke #Article370 in Jammu and Kashmir, in Lok Sabha. pic.twitter.com/aRzAMul64G
— ANI (@ANI) August 6, 2019
अधीर की बातों से साफ था कि पार्टी कश्मीर मुद्दे को लेकर बुरी तरह से बंटी हुई है. कह सकते हैं कि अधीर की बातों ने बता दिया है कि पार्टी कश्मीर जैसे मसले पर कितनी संवेदनशील है.
बहरहाल, राहुल गांधी इसे भले ही सही तरीका न मानते हों. मगर पार्टी के अन्य नेता इस मुद्दे पर एकदम क्लियर हैं. पूर्व कांग्रेस महासचिव और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार जनार्दन द्विवेदी इस मामले पर राहुल गांधी से इतर राय रखते हैं. द्विवेदी के अनुसार सरकार ने एक 'ऐतिहासिक गलती' में सुधर किया है. द्विवेदी ने कहा है कि तमाम ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे. अपने राजनीतिक गुरु डॉक्टर राम मनोहर लोहिया का हवाला देते हुए द्विवेदी ने कहा कि लोहिया अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे. हमने छात्र आंदोलन में इसका विरोध किया था. मेरे हिसाब से यह राष्ट्रीय संतोष की बात है. जो भूल आजादी के समय हुई थी, उसे देर से ही सही सुधारा गया. ये स्वागत योग्य है.
इसी तरह दीपेंद्र हुड्डा ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है और पार्टी को चुनौती दी है. आर्टिकल 370 पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि मेरा पहले से विचार रहा है कि 21वीं सदी में अनुच्छेद-370 का औचित्य नहीं है. इसे हटना चाहिए। यह देश की अखंडता और अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर की जनता के हित में भी है. लेकिन यह मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है कि इसका क्रियान्वयन शांति और विश्वास के माहौल में विकास के लिए हो.
वहीं कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके मिलिंद देवड़ा का इस पूरे मामले पर अपने अलग तर्क हैं. देवड़ा का कहना है कि आर्टिकल 370 हटाना मोदी सरकार 2.0 का नोटबंदी जैसा कदम है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को उदारवादी, रूढ़िवादी की लड़ाई में बदला जा रहा है. आर्टिकल 370 पर बोलते हुए देवड़ा ने ये भी कहा है कि पार्टी (भाजपा ) वैचारिक जड़ता छोड़कर देखे कि देश जम्मू कश्मीर कि शांति, कश्मीरी युवाओं की नौकरियों और कश्मीरी पंडितों से न्याय के लिए क्या सही है. साफ है कि अपनी प्रतिक्रिया के जरिये देवड़ा, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं.
आर्टिकल 370 को लेकर पार्टी में किस हद तक गतिरोध की स्थिति बनी हुई है इसे हम असम से राज्य सभा सांसद भुबनेश्वर कलिता के पार्टी छोड़ने से भी समझ सकते हैं. सोशल मीडिया पर कलिता ने नाम से एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि कांग्रेस ने उन्हें ही कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने को कहा था, वायरल पत्र में लिखा है, 'कांग्रेस ने मुझे कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने को कहा है लेकिन सच्चाई यह है कि देश का मिजाज अब बदल चुका है और ये व्हिप जनभावना के खिलाफ है. जहां तक 370 की बात है तो खुद पंडित नेहरू ने कहा था कि एक दिन घिसते-घिसते यह पूरी तरह घिस जाएगा. आज की कांग्रेस की विचारधारा से लगता है की पार्टी आत्महत्या कर रही है और मैं इसका भागीदार नहीं बनना चाहता, इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं. आपको बताते चलें कि इस पत्र को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
Congress Chief Whip Bhuvaneshwar Kalita quits party over Article 370 stand. Says, he was asked by party to issue Whip but this is against the mood and emotions of the nation. Says he quits the party as the party is on way towards destruction. Huge. Embarrassment for Congress. pic.twitter.com/txxQKJoPrf
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 5, 2019
बात अगर कांग्रेस पार्टी के युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो तो उन्होंने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए राहुल गांधी का साथ छोड़ दिया है. सिंधिया ने ट्वीट किया है कि जम्मूकश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं. संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नही होते. लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित मे लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं.
I support the move on #JammuAndKashmir & #Ladakh and its full integration into union of India.
Would have been better if constitutional process had been followed. No questions could have been raised then. Nevertheless, this is in our country’s interest and I support this.
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) August 6, 2019
बात आर्टिकल 370 को रद्द किये जाने पर पार्टी के अन्दर मचे गतिरोध के मद्देनजर चल रही है तो हमारे लिए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल शास्त्री का जिक्र करना स्वाभाविक हो जाता है. इस अहम मसले पर शास्त्री ने भी अपनी पार्टी का दामन छोड़ दिया है और वो सरकार के साथ खड़े हो गए हैं. शास्त्री ने ट्वीट किया है कि हमें आर्टिकल 370 के निरसन का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ पूरी तरह से एकीकृत करने की अनुमति देता है और देश और राज्य के लिए सही है. बेहतर होता कि भाजपा सरकार द्वारा इसके निरसन के लिए अधिक सहयोगी और परामर्शी दृष्टिकोण अपनाया जाता.
We should support the revocation of Article 370 as it allows J&K to be fully integrated with India & is right for the country & the state. It would have been better if a more collaborative & consultative approach had been taken by the BJP govt for its revocation.
— Anil K Shastri (@anilkshastri) August 6, 2019
बहरहाल आर्टिकल 370 और 35A पर जैसे कांग्रेस के अन्दर विचार भिन्न हुए हैं अब इसे संभालना इसलिए भी मुश्किल हो गया है क्योंकि सीधे तौर पर बात देश पर आ गई है. चूंकि ये मुद्दा देश के फायदे से जुड़ा है इसलिए इसके विरोध में आकर कांग्रेस के नेता किसी बेवजह के रिस्क को मोल नहीं लेना चाहते.
खैर कश्मीर मामले के बाद पार्टी में कितनी एकता रहती हैइसका फैसल वक़्त करेगा. मगर जो ताजा स्थिति है वो खुद इस बात को साफ कर दे रही है कि पार्टी के हालात आए रोज बद से बदतर होते जा रहे हैं और वो दिन भी दूर नहीं जब यही सब बातें कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के पतन का कारण बनेंगी.
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