#SayNoToWar : यह कैसा मानसिक दिवालियापन है?
आज जो लोग भी पाकिस्तान से युद्ध के खिलाफ हैं और सोशल मीडिया पर Say no to war हैशटैग चला रहे हैं. उन्हें समझना होगा कि वो न सिर्फ अपने द्वारा कही बातों से देश को कमजोर कर रहे हैं बल्कि पाकिस्तान को आतंकवाद के आरोप से बच निकलने का मौका दे रहे हैं.
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विंग कमांडर अभिनंदन को कैद से रिहा करने की बात इमरान खान द्वारा कही गई है.भारत सरकार द्वारा पहले ही यह साफ कर दिया गया था कि हम किसी भी दबाव में नहीं आने वाले और पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन की कैद को मोहरा बनाने का ख्वाब भी न देखे. यह नए भारत की पाकिस्तान के संबंध में नई मजबूत नीतियों का स्पष्ट परिचायक था. भारत के कड़े रुख और अंतरराष्ट्रीय दबाव ने आखिरकार पाकिस्तान को घुटने टेकने पर विवश कर दिया. इस सबके मध्य हमारे लिए सोचने की बात यह है कि, देश के एक वीर योद्धा के बंदी होने को भी शांति गिरोह के लंपटों ने अपना मोहरा बना लिया. एयर फोर्स की बालकोट की स्ट्राइक के उपरांत गर्वित जनता से विंग कमांडर की तस्वीरे और वीडियो दिखाकर प्रश्न पूछे जा रहे हैं कि यही चाहते थे न तुम? अब खुश हो?
पाकिस्तान ने घोषणा कर दी है कि विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा कर दिया जाएगा
ऐसे प्रश्न करनेवाले या तो दिग्भ्रमित हैं या अपना छिपा एजेंडा लेकर चल रहे हैं. दिग्भ्रमित युवाओं या व्यक्तियों का तबका वह है जो संभावित युद्ध की आशंका से भयभीत है परंतु यह भूल जाता है कि एक अघोषित युद्ध तो हम सब लगातार प्रतिदिन देश की सीमाओं पर और उसके भीतर लड़ रहे हैं और उसका निश्चित परिणाम निकलता भी नहीं दिखता. इसी अघोषित युद्ध का लाभ हमारा नापाक पड़ोसी उठाता है. छोटे छोटे अनगिनत हमले और छद्म युद्ध पाकिस्तान करता ही इसलिए है कि जहां हमें उसका भारी नुकसान उठाना पड़ता है, हमारे सैनिकों का मनोबल गिरता है वहीं उसे इसके लिए ज्यादा खर्चे नहीं उठाने पड़ते.
दूसरा तबका वह है जो चाहता ही नहीं है कि पाकिस्तान और कश्मीर समस्या का कोई हल निकले. उनकी यही मनोभाव उनसे ऐसे प्रश्न और कुतर्क करवाते हैं. भारतीय सेना और जनता का बढ़ता आत्मविश्वास उनके मध्य भय का संचार करता है. इन लोगों ने परमाणु हथियारों और युद्ध की विभीषिका दिखाकर भारतीय सरकारों को निर्णायक कदम उठाने से रोक रखा है. परंतु केंद्र की मजबूत सरकार और जनता द्वारा जो विश्वास उसमें दिखाया गया है उसने इन पुरानी मान्यताओं को छिन्न भिन्न कर दिया है.आज कैद अभिनंदन की फोटोज वायरल कर शांति की दुहाई देने वाले ऐसा करते वक्त वह भूल जाते हैं कि यह नीचता की पराकाष्ठा है, अपमान है उस वीर का जो मिग-21 लेकर एफ-16 से भिड़ गया. ऐसे लोगों को अपनी कायरता को छिपाने के लिए उस शूरवीर को अपनी ढाल बनाना बंद करना चाहिए. बाकी की जनता को भी कंधार विमान अपहरण याद रखना चाहिए कि ऐसे ही मीडिया नैरेटिव के चलते मसूद अजहर को हमें छोड़ना पड़ा था और उसका फल हमें जैश-ए- मोहम्मद के पुलवामा जैसे कई और हमलों के रूप में भोगने पड़े थे.
हमारी सेना लगातार सरहद पर शत्रु से लोहा ले रही है
क्या वीर अभिनंदन की आंखों में स्वयं के लिए कोई परवाह नजर आई? दुश्मनों की कैद में बैठा इस भारत मां का बेटा कहता है कि, I am not supposed to tell you, that और यहां बैठे कुछ लोग #NoToWar चलाते हैं? यह कैसा मानसिक दिवालियापन है? अपने ही हाथों देश के वीर जवानों को कमजोर करने का कैसा घृणित प्रयास है?
शांति का राग अलापने वालों को समझना चाहिए कि 1999 के कारगिल युद्ध की आधिकारिक समाप्ति के पश्चात शांति तुम्हारे लिए आई होगी, देश की सेना के लिए नहीं आई. तथाकथित शांतिकाल में एक हाथ बांधकर जो अघोषित युद्ध सेना को लड़ना पड़ता है उसके जिम्मेदार वही लोग हैं जिन्हें अपने आराम से उपर उठकर देखने की आदत नहीं.
कैसी शांति और कैसा शांतिकाल? जब देश के 44 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए तब इन लोगों और पाकिस्तान के लिए शांतिकाल ही था. 5000 से उपर सैनिक हम तथाकथित शांतिकाल में खो चुके हैं। तुम शांति के कबूतर उड़ा रहे थे और पाकिस्तान और उसके पाले आतंकी भारतीयों का खून बहा रहे थे. वह कैसी शांति जो सिर्फ एकपक्षीय हो और दूसरे पक्ष को खूंरेजी की छूट हो.
भारत द्वारा की गई स्ट्राइक पाकिस्तान को एक संदेश थी कि शांति की आड़ में नॉन स्टेट ऐक्टर्स द्वारा किए जा रहे हमलों का खुले रूप से जवाब देने की क्षमता हम रखते हैं. यह इस स्ट्राइक का फल था जिसने पाकिस्तान को छद्म युद्ध छोड़ आमने सामने आने को मजबूर किया है. वर्तमान की आर्थिक परिस्थितियां, भिखारी पाकिस्तान को पारंपरिक युद्ध लड़ने की इजाजत नहीं देतीं. ऐसे में उसे सबक सिखाने का यही उत्तम अवसर है. यही अवसर है उसे समझाने का कि हर हमले के उपरांत उसमें उसका हाथ होने का सबूत देने से भारत आगे बढ़ चुका है.
आज यदि इमरान खान अभिनंदन को वापस भेजने की बात कर रहे हैं तो इसलिए नहीं कि पाकिस्तान अचानक से एक शांति चाहने वाला मुल्क हो गया है. परंतु ऐसा इसलिए है कि वो समझ चुके हैं कि पाकिस्तान को लेकर भारत की जनता और सरकार का रुख हमेशा हमेशा के लिए बदल चुका है. यह जरूरी है कि भारत पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध की कीमत पाकिस्तान के लिए इतनी बढ़ा दे कि उसकी कमर टूट जाए.
पाकिस्तान को अपने अस्तित्व और हिंदुस्तान में अशांति फैलाने के बीच में चुनाव करना होगा. या तो भारत में कायराना हमले रुकेंगे या पाकिस्तान को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी होगी. परंतु इसके लिए जरुरी है कि पूरा देश डटकर देश की सेना और राजनैतिक नेतृत्व के साथ खड़ा हो. यह न भूलें कि कायर कौमें विश्व शक्ति होने का स्वप्न नहीं देखा करतीं.
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